9.9.08

प्यार के जाम तुम मुझे बार-बार पिलाती क्यो हो

जो हरदिल अजीज था अब वह बेगाना हो गया
वो अन्जाना हो गया नजरे फेर ली उसने हमसे.

ये तो चाहत का नसीब है अंजाम वफ़ा है यारब
अजी दिल दीवाना हो गया ये कहने लगे सभी.

मिलना नसीब था या फ़िर बिछड़ना नसीब था
पास आना नसीब था या दूर जाना नसीब था.

इस दिलकश सवाल का जबाब तुम्ही बताते जाओ
हँसना नसीब है या फ़िर दिल का सिसकना ठीक है.

तुम्हारी बेरुखी का अब तक मै जहर पी चुका हूँ
प्यार के जाम तुम मुझे बार-बार पिलाती क्यो हो.

मेरी गरीबी में मेरे हरदिल अजीज गीत बिक गए थे
उन्हें सरेआम महफिलों में अब तुम दुहराती क्यो हो.