13.9.08

आओ खुल गई है टिप्पणी कार्नर की भारी भरकम दुकान अब आपके शहर में

डुग डुग डुग डुग डुग

डुग डुग डुग डुगडुगी बज रही है और डुगडुगी बजाने वाला भारी आवाज में जोर जोर से चिल्ला कर कह रह है आओ आओ अब खुल गई "टिप्पणी कार्नर" की भारी भरकम दूकान अब आपके शहर में.

मुन्ना भी आओ मुन्नी भी आओ कालू भी आओ और लालू भी मिंटू पिंटू भी आओ और सिंटू भइया भाई आओ अब टिप्पणी के लिए अब निराश होने की जरुरत नही है अब ब्लॉगर भाई बहिन और नवब्लागर ध्यान दे कि वे पोस्ट लिखते है तो उनकी पोस्ट को टिप्पणी नही मिलती है या वे खूब दूसरो को खूब टिप्पणी देते है पर उन्हें कोई टिप्पणी नही देता है बस अब आज से कही जाने की जरुरत नही है अब आपको सब कुछ टिप्पणी कार्नर की छ त के नीचे मिल जावेगा और न कही भटकने की जरुरत है .

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कभी आओ तो हमारे मशहूर "टिप्पणी कार्नर" में आये और तरह तरह की देशी विदेशी छोटी बड़ी मझौली लम्बी गोरी कारी कलूटी टिप्पणी देखे . हमारे यहाँ "टिप्पणी कार्नर" में ग्राहकों के लिए छोटे बड़े ब्लागरो की टिप्पणियो को सहेज कर फ्रिज में रखा जाता है आप यहाँ उनका स्वाद ले सकते है और यदि आपको टिप्पणी पसंद आये तो कापी कर पेस्ट कर सकते है.

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हमारे टिप्पणी कार्नर में में पुरानी घटिया टिप्पणी की खरीद भी की जाती है और बदले में पुरानी टिप्पणी को नया जामा पहिनाकर ग्राहकों की खास फरमाईस पर ब्लॉग की प्लेट में परोसकर पेश की जाती है . एक टिप्पणी के बदले दो और चार टिप्पणी के बदले बहुत बड़ी टिप्पणी दी जाती है यदि आपको पुरानी पसंद आये तो आप पुरानी टिप्पणी खरीद सकते है .

हमारे यहाँ नए ब्लागरो को पुराने ब्लागरो की टिप्पणी बाक्स में से टिप्पणी हैक करने की ट्रेनिंग दी जाती है .और एक धंटे में १०० ब्लागों को जल्दी जल्दी टिप्पणी प्रेषित करने की मेगा ट्रेनिंग दी जाती है जैसे किसी ब्लॉग का टिप्पणी बाक्स खोलकर देखे फ़िर किसी की टिप्पणी की कापी कर तुंरत अपने नाम से टिप्पणी प्रेषित कर दे आदि . टिप्पणी डिजाइनिंग की ट्रेनिंग में महारत हासिल विशेषज्ञों की सेवाए चौबीसो घंटे आप प्राप्त कर सकते है . गरम टीप ठंडी टीप लिखने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है .

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हर साइज की टिप्पणी के रेट अलग अलग है आप अपनी जेब की अहमियत के अनुसार टिप्पणी खरीद सकते है.

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सुनो सुनो त्योहारों पर कुछ खास आफर सिर्फ़ हमारे "टिप्पणी कार्नर"में

एक टिप्पणी दो और बदले में चार टिप्पणी ले जाओ यह बम्फर मेगा छूट सिर्फ़ दिवाली तक ही है अतः जल्दी आवे और जल्दी पावे नही तो बहुत पछतायेंगे.

रिमार्क- ग्राहकों की मांग पर बम्फर मेगा छूट की सीमा बढाई जा सकती है

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व्यंग्य

बुन्देलखंडी भजन : द्विअर्थी शब्दों की भरमार से धार्मिक भावनाए आहत हो रही है ?

श्री गणेश उत्सव के पावन पर्व के साथ दशहरा,दिवाली आदि त्योहारों की झडी लग जाती है . चारो तरफ़ लाउड स्पीकर और बाक्सों से भजन कीर्तन का शोर सुनाई देता है . चारो तरफ़ तरह तरह के भजन सुनाई देते है . हर साल लाखो भजन बनाये जाते है . कोई राष्ट्रिय स्तर पर तो कोई प्रान्त स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर लेता है . आजकल द्विअर्थी शब्दों से लबरेज भजन तैयार किए जाते है जो केवल युवा पीढी के लिए मनोरंजन बन कर रह जाते है इन गीतों,भजनों से हमारी धार्मिक भावनाए आहत होती है जैसे ....

कैसी कृपा करी गणराज पप्पू पास हो गया , तुम भंग छोड़ दो स्वामी नही तो मै मइके भाग जाऊ , ओ पप्पू के पापा ओ गणेश की मम्मी , अ र र मेरी जान है राधा इन दिनों शहर के गली कूचो में मुहल्लों में गूंज रहे है .

हर साल जबलपुर शहर में करीब ४० से अधिक एलबम लोकल विडियो लांच होते है जिनमे धार्मिक भावनाओ को आहत करने वाले शब्द फूहड़ नृत्य के काम आते है . लोकभाषा के दुरुपयोग से तैयार ये गीत.भजन भाषा भावः और भक्ति के परखच्चे उडाने में खरे उतरते है . इंसानी दिमाग में मनोरंजन चर्चित होने और व्यवसाय का भूत इसकदर हावी हो गया है कि वह अपने धार्मिक देवी देवताओं को भी भूल गया है जिसके जीते जागते प्रमाण उपरोक्त भजनों में देखे सुने जा सकते है . गणेश जी दुर्गा जी शंकर भगवान राधा-कृष्ण के नाम का उपयोग कर ये भजन गीत धार्मिक भावनाओ को लगातार आहत कर रहे है .

विद्वानों के अनुसार द्विअर्थी संवाद बुन्देली मलावी बधेली छत्तिसगढ़ी और निमाड़ी हर भाषाओ में होते है . लोकगीतों का कोई इतिहास नही है उनका किसने सृजन किया यह किसी को मालूम नही है . हर किसी को लोजगीतो और लोकभाषा का तकनीकी ज्ञान भी नही होता है पर ऐसे लोग फिजूल के शब्दों का प्रयोग कर भाषा को बरबाद कर बुन्देलखंडी भाषा के भजन का नाम देकर खूब कमाई कर रहे है .

एक साहित्यकार ने कहा शब्दों के पर्यायवाची समानार्थी और दो अर्थ होते है. जिनमे एक शब्द शुभ अर्थ वाला और दूसरा शब्द अशुभ अर्थ वाला होता है .जिनका सामाजिक महत्त्व श्लील दूसरा अश्लील होता है . बुन्देली मधुर और अच्छी भाषा है अब कलाकार या रचनाकार अशुभ शब्दों का प्रयोग करने से नही चूक रहे है जिससे लोकमंगल होने की बजाय लोक अहित होने की अधिक संभावना है ..

सुबह सुबह जब ऐसे वाहियात गाने सुनने मिलते है हर ऊंटपटांग शब्द और उल्टी सीधी तुकबंदी के साथ भगवान को जोड़कर लोग धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे है और लोगो की धार्मिक भावनाए आहत हो रही है . ऐसे भजन गाने बंद तो नही हो रहे है निरंतर बढ़ रहे है बस अब जरुरत है कि ऐसे गाने भजनों के मार्केट में आने के पहले कटिंग छटिंग करने के एक संस्था का गठन किया जाना चाहिए और इन गीतों भजनों की सेंसरशिप की जाना बेहद जरुरी हो गया है . ऐसे गीत भजन युवा वर्ग के संस्कारो पर विपरीत असर डाल रहे है .

जय श्री गणेश बब्बा की .