1.12.08

तुझे रुसवा न करेंगे अपने अल्फाजो से हम

हर मोड़ पर खुशी मिले जरुरी नही है
हंसके उठाते रहिये गम भी लाजिम है

यहाँ हर शख्स दोस्त नही हुआ करता
रस्मे दुनिया है यारा हाथ मिलाते रहिये

अंधेरे में जलते चिरागों को न बुझाओ
आग इस महकते चमन में न लगाओ

आज हर शख्स के...अजब से हाल है
शाद होकर भी हाले दिल हाल बेहाल है

उनके ओठों पर एक झूठी मुस्कान सी है
गमो के निशान ..उनके चेहरों पर भी है

गर तुम्हे चलना नही आता है राहेवफा पे
तो कांटे न बिछाओ तुम औरो की राह पे

तुझे रुसवा न करेंगे अपने अल्फाजो से हम
मरकर न करेंगे तेरी बेवफाई का जिक्र हम

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