6.12.08

व्यंग्य कहानी : गीदडो तुम अपनी मांद में ही अच्छे लगते हो शेरो के बीच तुम्हे मौत नसीब होगी

आज बड्डे बड़े उदास थे. रह रहकर उन्हें अपनी बन्नो ब्लॉगर की काफी याद आ रही थी पता नही आतंकवादियो के हमले के बाद से बन्नो बाई न जाने कहाँ लुक छिपकर बैठ गई थी . अब बड्डे से न रहा गया सो वे बन्नो के घर खोजते खाजते पहुँच गए. एक बन्नो ने बड़ी मुश्किल से घर के दरवाजे खोले और बड्डे से अन्दर आने को कहा.

हाल चाल पूछने और चाय पानी पीने के बाद बड्डे ने बन्नो ब्लॉगर से कहा भाई क्या बात है आजकल तुम्हारा अता पता नही चलता है क्या बात है ? ब्लॉग में छुट पुट पोस्ट दे रही हो आखिर क्या बात है .

बन्नो - का खाक पोस्ट लिखे चारो तरफ़ चीख पुकार मार काट मची रहती है . जब देश में शान्ति रहती है तो हमारे ही लोग चीख पुकार मार काट मचाये रहते है जब ये शांत हुए तो मुंबई में बाहरी आतंकवादियो ने मार काट मचा दी और लोगो ने काफी चीख पुकार की . सैकडो निरीह लोगो को अपनी जाने गवानी पड़ी यह सब देख सुनकर मेरी ह्रदयात्मा दुखी हो गई है कुछ लिखने को अब मन नही करता है.

बड्डे - भाई यह घटना तो असामयिक घटित हो गई है इससे हम सभी को सबक लेना चाहिए और इन घटनाओ से निपटने के लिए अब हमें मानसिक रूप से तैयार रहना होगा . ऐसे गीदडो से डर गए तो कुछ भी नही कर सकते है जो समय आने पर शेर की खाल पहिन लेते है . मुबई में दो तरह के गीदड़ देखे गए है एक स्थानीय गीदड़ जो समय आने पर अपनी केंचुली से बाहर आते है और शेर की खाल ओड़ लेते है और दूसरे गीदड़ जिन्हें हाल में मुंबई के लोगो ने भोगा है.

बन्नो बाई को फ़िर अपने बड्डे ने गीदडो की ये कहानी सुनाई और कहा बन्नो तुम इस कहानी से सीख लो और इन गीदडो से मत डरो -

एक जंगल में शेर शेरनी अपने बच्चो के साथ शिकार के लिए जा रही थी तो राह में एक गीदड़ का बच्चा मिल गया . शेर शेरनी को इस गीदड़ के बच्चे पर बहुत दया आ गई उन्होंने उसे अपनी पीठ पर बैठा लिया और अपने घर ले गए . गीदड़ का बच्चा अब शेर के बच्चो के साथ खाने पीने लगा और उनके साथ खेलने लगा . खा पीकर वह खूब मोटा ताजा हो गया . एक दिन गीदड़ का बच्चा शेर के बच्चो के साथ जंगल में खेल रहा था.

अचानक गीदड़ ने अपनी तरफ़ एक हाथी को देखा और उसने शेर के बच्चों को हाथी को दिखाया . शेर के बच्चे आखिरकार शेर के बच्चे थे उन्होंने तत्काल हाथी पर हमला करने का विचार किया तभी गीदड़ का बच्चा जोर से चिल्लाया भागो यहाँ से वरना जान चली जावेगी और यह कहकर वहां से भागा यह देखकर शेर के बच्चो ने भी भागने में ही अपनी भलाई समझी और वहाँ से फूट लिए. घर पहुंचकर शेर के बच्चो ने गीदड़ के बच्चे से कहा तुमने हाथी के सामने से हम लोगो को भागने के लिए क्यो कहा और शेर के बच्चे गीदड़ के बच्चे से लडाई झगडा करने लगे और उन्होंने उस गीदड़ को काफी मारा पीटा.

तभी उन शेर बच्चो की माँ वहां पहुँच गई. लडाई रोककर लड़ाई का कारण पूछा और कहा बेटा इसे मरो मत यह मर जावेगा यह सारा दोष तो इसकी जाति का है. यह तुम लोगो के साथ रह रहा है जरुर पर यह शेर पुत्र नही है. यह जंगल में पड़ा मिला था पला पोसकर मैंने इसे इसीलिए बड़ा किया था की एक दिन यह बड़ा होकर हमारी मदद करेगा पर मदद करना तो दूर छिपा बैठा रहा और दूसरो को भागने की सलाह देता है.

फ़िर शेरनी ने गीदड़ के बच्चे से कहा कि तुम शेरो के साथ रहकर शेर की खाल पहिनकर शेर नही बन सकते हो तुम यहाँ से भाग जाओ इसी में खैर है वरना मारे जाओगे.

आखिरी में बड्डे ने लम्बी साँस लेकर कहा देखो बन्नो शेर की खाल पहिनकर गीदड़ बिलों में छिपकर बैठे रहे और बाहरी गीदड़ तुमने देखा पढ़ा होगा अपनी मौत मारे गए अब काहे का डरना बन्नो जी हा हा हा आखिर गीदड़ तो गीदड़ होते है इनसे डरने की अब जरुरत नाही है.


महेंद्र मिश्राजबलपुर.