22.12.08

अपनी ढपली अपना राग अलापना कभी कभी मंहगा साबित हो सकता है.

कहा गया है कि व्यक्ति को उचित अनुचित का विचार करना चाहिए कि जो कार्य वह कर रहा है क्या समय के अनुरूप है या किसी ने जो सलाह दी है वह उचित है अथवा उचित नही है . कभी कभी व्यक्ति उचित अनुचित का ध्यान न रखकर अपनी ढपली और अपना राग अलापने लगता है और उस स्थिति में वह किसी की सलाह मानने को भी तैयार नही होता है और उसे अपने हित अहित का ख्याल भी नही रह जाता है जिसका खामियाजा उसे कभी कभी निश्चित रूप से भुगतने पड़ते है.
पंचतंत्र में मैंने आज एक कहानी पढ़ी है जिसमे लिखा है कि असमय गधे को गीत गाना कितना महंगा साबित हुआ. एक गधा भूखा प्यासा जंगल में घूमता फिरता रहता था उसकी दोस्ती एक गीदड़ के साथ हो गई. गीदड़ के साथ गधा घूम फिरकर बहुत मौज करता था और खा पीकर वह मोटा हो गया था. गीदड़ के साथ गधा एक रात तरबूज के खेतो में घुसकर खूब माल खा रहा था.



गधे ने गीदड़ से कहा - मामा मुझे बहुत अच्छा राग आता है मै तुम्हे एक गीत सुनाऊ.

गीदड़ बोला - बेटा भांजे यह समय राग सुनाने का नही है यहाँ हम चोरी से खा रहे है. तुम्हारा गाना सुनकर हमें खेत के रखवारे पकड़ लेंगे और हमारी पिटाई करेंगे.

गधा गुस्से से बोला मामा तुम जंगली होकर गीत का आनंद नही जानते हो . विद्या तो वह कला है जिस पर देवी देवता भी मोहित हो जाते है.

गीदड़ बोला - अरे तुम गाना नही गाते हो बस खाली रेंकते हो.



गधा क्रोध से बोला - मामा क्या मै गाना नही जानता हूँ अरे सात स्वर, उन्चास ताल, नवरस, छत्तीस राग और कुल १6५ गानों के भेद जो प्राचीनकाल में भरत मुनि ने सार रूप में कहें है उन सबका मुझे ज्ञान है. मामा तुम कहते हो मुझे कुछ नही आता है .

गीदड़ बोला - अरे अच्छा भांजे मै खेत के बहार जाकर खेत के रखवारे को देखता हूँ तुम खूब खुलकर गाना इतना कहकर गीदड़ चला गया.

अब गधा महाराज शुरू हो गए लगे जोर जोर से राग अलापने. गधे की आवाज सुनकर रखवारा हाथ में ताऊ का लट्ठ लेकर आया और उसने गधे की जोरदार धुनाई कर दी बेचारा गधा पिटता हुआ दौड़ लगाकर वहां से भाग गया. रास्ते में गधे को मामा गीदड़ मिल गया.

गीदड़ ने गधे से कहा - क्यो भाई बेवक्त राग अलापने का जोरदार मजा चख लिया है . इसीलिए कहा गया है जो अपना हित अहित नही समझते वो इसी तरह मार खाते है.

साभार कहानी-पंचतंत्र से.