- जब दिमाग सही नही रहता है तो कुछ नया करने की ठान ली जाए तो काफी हद तक शान्ति मिलती है . आज अपने ब्लॉगर भाई बहिनों के चिठ्ठा चर्चा करने का प्रयास किया है सभी उदीयमान ब्लॉगर ने उम्दा और अच्छा लिखा है . चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ .
जोल्ट फ्रॉम जबलपुर : नर्मदे हर
लाल न बबाल में जबलपुर को परखे
माँ संतोषी में साधना की और सिद्धि प्राप्ति बाबा बता रहे है पढ़कर आप भी सिद्धि प्राप्त कर ले और ब्लागिंग में सिद्धि प्राप्त करें और नामी ब्लॉगर बन जाए वो कैसे टपका लगाकर देखे जी
वह लोगों की उपेक्षा और अपने में हीन भावना का शिकार होती थी.....भावना जी सुनिए..
शिखा दीपक जी बता रही है नारियल की चटनी कैसे बनाए ......थोड़ा ये भी बता दे किस समय और किस मौसम में यह उपयोगी है रचना में टपका लगाये और पढ़कर घर में जरुर बनवाये और जायका स्वाद ले .....
रवि सतनामी जी बता रहे है कि चाहुऔर महिलाओ की ही बल्ले बल्ले है जब महिला चाँद पे जा सकती है ..रहती तो धरती पर ही ....जभी तो छा रही है देखे रवि सतनामी जी का हिन्दी ब्लॉग .....
प्रदीप मनोरिया जी परेशान है टी.आर.पी. के चक्कर में ..भाई साब ब्लागिंग में भी तो टी.आर.पी. का भूत सवार है जरा उनकी कलम की सटीक भावना हिन्दी काव्य मंच पर.....पढ़ ले और बल्ले बल्ले कर लें जी
योगेन्द्र मोदगिल जी की पोस्ट पर सीमाजी की टिपण्णी की नेता कैसे किस तरह और किस समय अपना रंग बदलते है ......भैय्या नेता लोग इस को पढ़कर पतली गली में सरक जायेंगे और उन्हें सुनने वाले श्रोता खड़े टापते रहेंगे कि नेता क्या कह रहा है
कारटून टुडे में व्यंग्य कारटून नही चाहिए पाकिस्तानी क्रिकेटर सामायिक व्यंग्य . जस को तस होना ही चाहिए
साहित्य शिल्पी में योगेश जी को बरगद उदास दिख रहा है भाई सबको छाया तो देता है पुन का काम कर रहा है वो उदास क्यो होगा .
अमीर धरती गरीब लोग में अनिल पुसादकर जी की कलम से कि नक्सली मार रहे है जंगल में और नेतागण बहस कर रहे है विधान सभा में ये तो होता ही है बस विधायको का एक ही काम रहा गया है . मुंह जोरी करने के लिए विधान सभा से अच्छी जगह कौन सी है वहां कम से कम सुरक्षित तो है जगल में कौन बहस करेंगे ..........
साहित्य शिल्पी में श्रध्धा जी की गजल देखे दिल की पीर पिघली नजर आती है जब पिघलती है तो आंसू बनकर निकलती है ......बहुत उम्दा गजल का आगाज
बोलता नहीं लेकिन बड़बड़ाता तो है। सच होंठ पर लेकिन आता तो है. अर्श शौक से अब ओले उड़ेल दे, मूंडे गए सरों के पास छाता तो है। तेरी मंज़िल मिले न मिले क्या पता, है तय ये रस्ता कहीं जाता तो है। फिज़ाओं में यूँ ही नहीं है हलचल, तीर चुपके से कोई चलाता तो ह
प्रकाश बादल की गजलें :
अल्पना वर्मा जी बता रही है पहचान तकनीक क्या क्या है ....
जोग लिखी संजय जी ने कि हिदी भाषा दक्षिणपंथी गामिनी हो रही इससे अच्छी बात क्या है कि हिदी भाषा का प्रसार दिनोदिन बढ़ रहा है सही है कि विरोधी समर्थक हो गए खुशखबरी है ..
मल्हार पे यही है असली आल्हा बाकी तो बकबास आला खूब पढ़े है.
तुम मुझे पंख दो मै तुम्हे उड़ान दूंगा जी
हमें नही पढ़ना उनका ब्लॉग गुस्से में भाई पी.डी भाई मेरी छोटी सी दुनिया में कह रहे है क्या कोइ जबरजस्ती है.
अनिल कान्त जी खुश होते है एक्सपायरी डेट देखकर भाई कम से कम इस स्थिति में खरीदना नही पड़ेगी
फरवरी में गर्ल फ्रेंड्स फ़िर वेलेटाइन डे ..बहुत खूब लगता है फरवरी माह बस मौजा मौजा का है .....कुछ मेरी कलम से -तब और अब .......और आगे ........कुछ मेरी कलम से - तब और अब .......और आगे ....रंजू भाटिया जी ....
मुशी प्रेमचंद जी कलम से दुनिया का अनमोल रतन
मीडिया वेव में कह रहे है शारदा जी ...खन्भों से लिपट- लिपट कर....
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई
समय ने जब बदली नजर एक परखी की नजर
आज की मेरी माइक्रो सटीक पोस्ट- कभी किसी को कम न आंके वरना किसी दिन ......धुल जायेगी .
बस यही तक बाकी अगली कड़ी में
महेन्द्र मिश्र जबलपुर.
4.2.09
उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा
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