19.3.09

व्यंग्य - नामचीन ब्लॉगर के चमचे की डायरी (ब्लॉग)


भाई मै हूँ एक नामचीन ब्लागर्स का चमचा और उनकी प्रशंसा में अपनी डायरी लिखता हूँ जिसका मुझे बहुत ही फायदा होता है कि मेरी डायरी में टिप्पणियों का ढेर लग जाता है. मै उनको कभी वाह गुरु, तुम्हारा गुरु जबाब नहीं और तुमसे बढ़कर कौन आदि आदि लिखकर संबोधित करता हूँ . हमारे गुरु आज सुबह सुबह नेट पर दिखे तो थे पर उन्होंने बहुत जल्दी गुड नाईट कर ली उसका कारण था हमारे गुरु ने कल रात डिनर में काफी खा पी लिया था जिससे उनको बदहजमी हो गई है इसीलिए उन्होंने आज जल्दी से गुड नाईट कर ली.

गुरूजी के कारण मेरी ब्लॉग जगत में रेटिंग बढ़ गई है. हमारे नामचीन ब्लॉगर महोदय रात को घूमने निकलते है और मै उनके साथ एक थैले में खंम्बा (एक अद्धी) रखकर ले जाता हूँ फिर हम दोनों मस्ती कर शेरो शायरी करते है. रात की बात को मै अपनी डायरी में दिल से उकेर देता हूँ और अपने गुरु के सम्मान में खूब कसीदे पड़ता लिखता हूँ.

अपने गुरूजी ब्लॉगर बड़ी चालू चीज है दिन भर अपने घर में छोटे-मोटे ब्लागरो का जमघट लगाए रहते है और बड़े बड़े आश्वासन देते रहते है कि तुम मेरे सम्मान में कुछ करो कोई पार्टी वगैरा करो मुझे कोई प्रतीक चिन्ह शील्ड और दो और मेरी फोटुआ अपनी डायरी ब्लॉग में छाप दो जिससे मेरी बल्ले बल्ले हो . इन नामचीन ब्लागर को दारू और पार्टी बहुत पसंद है . डिनर में गुरूजी ने ब्लागिंग में खुद का आत्मकल्याण करने के मधुर मधुर तरीके बताये और उन तरीको को सुनकर मै निहाल हो गया .

गुरूजी ने मुझे ब्रम्हवाक्य दिया है कि लोककल्याण करने की बजाय ब्लागिंग में अपना आत्मकल्याण करने की सोचो मै भी आज उस ब्रम्ह वाक्य पर अमल कर रहा हूँ . आखिर मै भी अपने गुरु का चेला हूँ जो मुझे ब्लागिंग में नहीं आता था वह मैंने दूसरे ब्लागर साथी से सीखा बाद में मैंने उस ब्लॉगर को धता बता दिया और सीधे अपने गुरूजी से जुगत भिड़ा दी . आज मै अपने गुरूजी के बेहद करीब हूँ और ब्लागिंग जगत में अपना परचम फहरा रहा हूँ.

एक चीज और अपनी डायरी में लिख रहा हूँ कि हमारे गुरूजी ब्लॉगर बड़े झटकेबाज है कहते कुछ है करते कुछ और है . हमारे गुरूजी के ऊपर जहाँ बम वहां हम ..... वाली कहावत लागू होती है यानि कि जहाँ बम होगा वहां हमारे गुरूजी ब्लॉगर उपस्थित रहेंगे. हमारे गुरूजी के एक शिष्य ब्लॉगर है जो परमहंस से कम नहीं है. बड़े अज्ञानी ध्यानी है . सरकारी मद से अपनों के स्मृति आयोजन तक करा डालते है याने कि आड़ में झाड़ लगाने में उन्हें महारत हासिल है. किसी ब्लॉगर की बखिया उखाड़ना तो कोई उनसे सीखे और भी मेरे ब्लॉगर साथी है जो मेरे गुरु ब्लॉगर के पैदल पिद्दी सैनिक कहाते है जो हमेशा गुरूजी ब्लॉगर की हमेशा आरती उतारते रहते है.

बस आज का इतना ही मसाला मिला है जो मै अपनी ब्लॉग डायरी में लिख रहा हूँ बाकी बाते बाद में लिखूंगा गुरूजी के अगले करतब देखकर .....


व्यंग्य-आलेख
महेन्द्र मिश्र

रिमार्क- आगे देखिये अगला शीर्षक - हमारे गुरूजी ब्लॉगर चुनावों के अखाडे में

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका उल जुलूल अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है जब खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है .