23.3.09

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है
बनावटी चाहत सच्चा प्यार दे नहीं सकती है.

उनको कोशिशे कर हम.... भुलाए जा रहे है
भुलाने की चाह में वे अब और याद आ रहे है.

जिसको हीरा समझ.. दिल से तराशना चाहा
देखिये तकदीर उसकी वह पत्थर निकल गया.