3.8.09

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है

तस्वीर जबसे तेरी इस दिल में बिठाई है
हर हाल में बस तेरी सूरत दिखाई देती है

तस्वीर में जिस अदा से.. तुम हँसती हो
दिल टूट जाने के बाद क्या ऐसे ही हँसोगी

तेरी तस्वीर हाथो में लिए जब घूमता हूँ
तुझे समझ कर कहीं मै गैर को छू न दूं

तस्वीर कैसे मिटाऊ मै इस अपने दिल से
काश कागज पे होती तो फाड़ ही देता मै

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है
तेरी अश्को से.. बनी तस्वीर याद आई है

न कोई निशानी है और न कोई तस्वीर है
बस अब तेरी यादो के सहारे.. रो लेते है .