29.9.09

कुछ मस्ती ब्लागवाणी के आने की ख़ुशी में

ब्लागवाणी का २४ घंटो के लिए न रहना ब्लागिंग में ऐसे क्षण थे जिनका वर्णन करना मेरे लिए तो मुश्किल हो रहा है . ब्लागवाणी द्वारा बिना पूर्व सूचना के फीड बंद कर दिए जाने से ब्लागरो में हड़कंप की स्थिति मच गई थी . सभी हलाकान परेशान थे . यदि कलम में स्याही न हो तो क्या वह कलम चलेगी और यदि शरीर में खून न हो तो क्या शरीर चलेगा उसी तरह कुछ इस तरह की स्थिति एग्रीकेटर और ब्लॉगर के बीच की है .. इस घटना से यह सिद्ध हो गया है की एग्रीकेटर और ब्लॉगर एक दूजे के वगैर रह नहीं सकते है . ब्लागवाणी की पुनः वापिसी से ब्लागरो को फिरसे एक नई उर्जा मिली है ऐसा लग रहा है की हमारी धमनियों में फिरसे तेजीसे रक्त दौड़ने लगा है . सभी ब्लागरो को बधाई जिनकी पुरजोर आवाज जल्दी ही रंग लाइ और ब्लागवाणी फिरसे वापिस आई . कुछ चुटकुले आपकी नजर

एक बार अपने ताउजी साईकिल पर कहीं जा रहे थे एक इम्पाला कार से भिड गए . अदालत में मुक़दमा चला . जज ने वहां चालक की गलती मानकर उस पर जुर्माना ठोक दिया . जज ने फिर ताऊ की और देखते हुए कहा - आप इस हादसे में कैसे बच गए ?
ताऊ ने उत्तर दिया - भगवान मेरे साथ था
जज ने कहा - फिर साइकिल पर डबल सवारी करना कानूनन अपराध है इसीलिए तुम्हे भी जुर्माना भरना पड़ेगा .
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एक पति पीड़ित पत्नी ने जज से कहा - सर मै हर हाल में इस आदमी से तलाक लेना चाहती हूँ इसे रात दिन घोडो की रेस के सिवा कुछ याद नहीं रहता है और तो और इसे अपनी शादी की तारिख तक याद नहीं है .
पति जज से - यह सब सफ़ेद झूठ है मुझे अच्छी तरह से याद है की शादी की रात को बारह नंबर का घोड़ा जीता था
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मरते मरते गब्बर ने बसंती से कहा - तुम वीरू से शादी कर लेना ?
बसंती आश्चर्य से - लेकिन वह तो तुम्हारा जानी दुश्मन है
गब्बर बसन्ती से - हाँ बसंती मुझे उससे बदला लेना है .
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आज एक दूध की दूकान पर मै घूमते घूमते गया तो वहां दूध के भावो की सूची कुछ तरह से लिखी थी .
दूध के भाव
बिलकुल असली दूध - २२ रुपये लीटर
असली दूध - २० रुपये लीटर
दूध - १८ रुपये लीटर
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एक आदमी बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा था उसके चारो और भारी भीड़ जमा हो गई . भीड़ में से एक साहब बोले इसके मुंह में थोडी ब्रांडी डाल दो शायद होश आ जाए . उसके मुंह में ब्रांडी डाली गई तो वह आदमी थोडा हिला डुला फिर थोडा बुदबुदाया . उसकी आवाज भीड़ के शोर में गुम हो गई थी किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी . थोडी देर बाद वह आदमी हिलता डुलता हुआ खडा हुआ और यह कहते हुए फिर से बेहोश होकर गिर गया -अरे भाई कोई ब्रांडी की बात कहने वाले साहब की भी तो सुनो भाई .
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