9.1.10

माइक्रो - बहुमूल्य बात ...

नियति क्रम से हर वस्तु, हर व्यक्ति का अवसान होता है . मनोरथ और प्रयास भी सर्वथा सफल कहाँ होते है ? यह सब अपने ढंग से चलता रहे पर मनुष्य भीतर से टूटने न पाए इसी में उसका गौरव है . जिस तरह से समुद्र तट पर जमी हुई चट्टानें चिर अतीत से अपने स्थान पर अड़ी बैठी रहती है . हिलोरें चट्टानों से लगातार टकराती है पर चट्टानें हार नहीं मानती है . उसी तरह हमें भी नहीं टूटना चाहिए और जीवन से कभी निराश नहीं होना चाहिए... कभी हार नहीं माननी चाहिए .

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