4.3.10

जवानी के दिनों की कतरने ...दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ

दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ
इस दिल में उठे तूफानों को चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ.
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शिकायत हमें आप से है की आपने हमें अब तक देखा नहीं
तेरे पैगाम के इंतज़ार में है दिल मेरा पर तूने पैगाम भेजा नहीं.
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दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.
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