4.10.08

तेरे चेहरे पर मेरी झलक कोई न देख ले, कसम है तेरे अश्को को शंकर बन पी लूँगा.

मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.

यार बहुत बेहतर तन्हा दिल है.. मेरा
नाशाद हो जाएगा प्यार में दिल..मेरा.

मै मर जाऊंगा अपनी निगाहें न फेरो
किधर जायेंगे गर तुम साथ छोड़ दोगे.

तेरी जुल्फों का साया रहे मेरे चेहरे पर
गर जिंदगी मेरी फ़िर से संवर जायेगी.

गर किनारा न मिले भटकती कश्ती को
सब कुछ मिला पर तेरा साथ नही मिला.

मेरे कदम अब शोहरत की बुलंदी पर है
पर मेरी बांहों को तेरा सहारा न मिला.

तुम हमेशा खुश नसीब रहो दुआ है मेरी
यार जी लूँगा मै हंसकर तेरी जुदाई में.

तेरे चेहरे पर मेरी झलक कोई न देख ले
कसम है तेरे अश्को को शंकर बन पी लूँगा.

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3.10.08

रामलीला : अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से

अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से दशकंधर की लोकप्रियता निर्विवाद है . दक्षिण में उसे शिव आराधक व पांडित्यगत विशिष्ट गुणों की वजह से विशिष्ट पूज्य स्थान प्राप्त है . उत्तरभारत में वह अच्छा पात्र नही माना जाता है . इन सबके बावजूद जहाँ तक रामलीला का प्रश्न है आसुरी प्रवृति अंहकार और क्रोध के प्रतीक रावण के बिना दैवीय सदगुणों का महत्त्व स्थापित करना संम्भव नही है . किसी भी कहानी में या कथा में जबतक नकारात्मक चरित्र न हो तो दर्शक रोमांचित नही होते है .



मुझसा योद्धा मुझसा पंडित त्रिलोक में न कोई दूजा है
अपने शीशो को काट - काट मैंने शंकर को पूजा है


अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से


हिन्दी नेट पर आप बहुत कुछ पढ़ते देखते है पर आस्था से जुड़े किस्से प्रसंग बहुत कम देख पढ़ पाते होंगे. नवरात्र के पर्व के साथ देश में रामलीला मंचन की धूम शुरू हो गई है . हर कथा कहानी या अन्य नाटको के मंचन को जनसमुदाय काफी पसंद करता है . मैंने भी सोचा कि मै अपने ब्लॉगर भाई बहिनों को जबलपुर रामलीला के रावणों और उनके पात्रो से परिचित करा दूँ . इस समय इन रावणों की बड़ी धूम चल रही है देखिये



श्री रामलीला समिति गोविन्दगंज - रावण के किरदार का रोल निभा रहे है श्री प्रमोद बाजपेयी

भगवान ने बचाया ब्रेन हेमरेज से

संस्कारधनि जबलपुर में गोविन्द गंज रामलीला का मंचन सन १८६५ से किया जा रहा है . इस समिति में रावण का किरदार निभा रहे खमरिया फेक्टरी में नौकरी करते है . सन २००६ में उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था और उनका कहना है कि ईश्वर के आशीर्वाद से वे अच्छे हो गए . जबलपुर त्रिमूर्ति नगर निवासी श्री बाजपेई २३ वर्षो से इस रामलीला समिति से जुड़े है . राम का मंच पर असल विरोधी होने पर भी श्री बाजपेई असल जिंदगी में राम के अनन्य भक्त है . रामलीला की सम्रद्ध परम्परा में रावण का किरदार सबसे सशक्त माना जाता है .

श्री रामलीला समिति गढा जबलिपुरम - रावण के चरित्र को निभाते है श्रीकृष्ण शुक्ला
इस समिति से श्री शुक्ला जी २० वर्षो से जुड़े है . गढा निवासी श्री शुक्ला जी रोअगार कार्यालय में कार्यरत है . उनकी कद काठी दशानन के पात्र के लिए उपयुक्त है . रंगमंच जबलपुर के माध्यम से अपनी अभिनय कला के जलवे बिखेर रहे है . आप एक अच्छे रंगमंच कलाकार है .





श्री राघवेन्द्र रामलीला समिति झंडा चौक पुरवा - रावण के पात्र का निर्वहन कर रहे है श्री देवशंकर अवस्थी
श्री अवस्थी इस रामलीला समिति से गत ३२ सालो से जुड़े है और रावण के किरदार का रोल पिछले २४ सालो से बखूबी निभा रहे है . जव वे मंच पर जाते है उनकी रौबोली आवाज के मध्य दर्शको में श्वशारोधक वातावरण स्पष्ट देखा जा सकता है . उनके संवाद की एक झलक ........
अब अच्छा अवसर मिला है मै उनकी सारी नारियां चुराऊंगा और नर है तो उनसे अपना बदला ले लूँगा .
दमदार आवाज के कारण वे इस रोल को बखूबी से निभा रहे है .


श्री झंडा चौक रामलीला समिति पुरवा जबलपुर में रावण के पात्र का निभाने वाले श्री देवशंकर अवस्थी ने विगत वर्ष मानवहित में नेत्रदान करने का सराहनीय संकल्प लिया .







श्री गिरिजाशंकर मन्दिर रामलीला धमापुर - रावण का किरदार श्री महेंद्र शुक्ला निभाते है
रावण बनने वाले श्री शुक्ला जी कहते है कि बार वे रामलीला में सीता का हरण कर ले जा रहा था कि मंचन के दौरान उनकी नकली दाढी सीता की साडी के पल्लू में फंसकर फौरन निकल गई थी . दर्शको ने भी खूब ठहाके लगाये थे . उसके बाद से रामलीला का मंचन शुरू होने के छह माह पहले से शुक्ला जी अपनी असली दाढ़ी बढ़ाना शुरू कर देते है . वे बाई के बगीचा घमापुर रामलीला में गत पन्द्रह सालो से रावण के पात्र का अभिनय कर रहे है .



श्री धनुष यज्ञ रामलीला समिति सदर - रावण के पात्र का अभिनय करते है श्री सीता राम कुरचानिया
श्री कुरचानियाँ मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल के सेवानिवृत कर्मचारी है . वे अपनी बुलंद आवाज के लिए जाने जाते है और प्रदेशस्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुके है . वे सन १९८२ से इस रामलीला समिति से जुड़े है .



जबलपुर अधारताल रामलीला समिति के रावण श्री अजीत केवट.

1.10.08

जोग टाइम : मस्ती भरे ठिलठिले .....

जोग टाइम : मस्ती भरे ठिलठिले .....

एक टीचर अपने छात्रों को पढ़ा रहा था उसी बीच एक छात्र ने पूछा
सर आदमियो की मूंछे क्यो होती है ?
मास्साब बड़े चक्कर और उलझन में पड़ गए कि अब क्या जबाब दे
बोले यह प्रकृति का नियम है कि आदमी की मूंछे होती है . तब छात्र
बोला सर मै बताता हूँ कि आदमी की मूंछे क्यो होती है .
जिस प्रकार हम लिखते है और कोई महत्वपूर्ण चीज को अंडर लाइन
कर देते है . ठीक उसी प्रकार आदमी की नाक बड़ी महत्वपूर्ण होती है
इसीलिए भगवान ने मूंछे बनाकर नाक को अंडर लाइन कर दिया है .
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पुत्र माँ से - दे ख माँ जब मै पैदा न हुआ था तब तू ने मुझे देखा नही
था .
माँ - हाँ बेटा
पुत्र - तब तुमने मुझे पहचाना कैसे ?
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पुत्र - पिताजी एक मूंछो वाला व्यक्ति बाहर खड़ा है .
पिता - जाकर उससे कह दो हमें मूंछो की जरुरत नही है .
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टीचर - दो शादी करने के क्या परिणाम होते है ?
छात्र - एक समय में दो मालिको के आदेश माने नही जा सकते है .

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29.9.08

उड़ने वाली दुर्लभ गिलहरी (पंखविलाब) के बारे में जाने.

एक ख़बर के मुताबिक स्तनधारी उड़ने वाली गिलहरी (पंख बिलाब) उमरिया जिले में लोगो के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है . बांधवगढ़ के दक्षिण में मैकल पठार के जंगलो में इस स्तनधारी दुर्लभ गिलहरी को देखने के लिए भारी संख्या में पक्षी प्रेमी जा रहे है . यह चमगादड़ की माफिक उड़ती है . वन्य जीव प्रेमियो के अनुसार यह दुर्लभ पक्षी सिर्फ़ मध्यभारत में पाया जाता है . देशभर में उड़ने वाले स्तनधारी पक्षियो की संख्या कम है . डिन्डोरी और उमरिया में इनकी मौजूदगी से सभी उत्साहित है . गिलहरी जैसे आकार का यह पक्षी चमगादड़ जैसे पंख लिए हुए है और इसे पंखविलाब भी कहा जाता है . .







यह सूर्यास्त के समय हलकी रोशनी हो तब निकलती है . दिन और रात में यह पेडो की डाली पर छिपाकर बैठी रहती है . एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़कर जाती है . इसके तेज नुकीले दंत शिकार में मदद करते है . वन्यजीव विशेषज्ञों ने जानकारी दी है कि यह उत्तर भारत में दूसरी प्रजाति है . जबलपुर के जूलाजी म्युजिंयम में इसकी प्रतिकृति (अवशेष) मौजूद है . देखने में सुंदर यह उड़ने वाली गिलहरी १५०० फीट तक उडान भर सकती है . मध्यप्रदेश में यह प्रजाति बालाघाट और बांधवगढ़ में पाई जाती है .


फोटो अखबार से साभार-

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