27.4.09

तेरे लिए ही जीते आये है हम तेरे लिए ही जियेंगें

तेरे लिए ही जीते आये है हम तेरे लिए ही जियेंगें
तेरी ख़ुशी की खातिर जहर का प्याला हम पियेंगे.

नाम इन ओठो पर तेरी याद इस दिल में बसी है
हमें ज़माने से क्या लेना तुझमे बसी है जान मेरी.

हम बेवफा होते तुझे इस दिल से भुला सकते थे
जहाँ से डरते होते तो अरमानो को जला सकते थे.

मोहब्बत्र में बेवफाई मिले सदमा ये कम नहीं होता
आकर वो बहार चली जाए किसे वो गम नहीं होता.

तेरा चेहरा फूलों की तरह खिलता मुस्कुराते ही रहे
तेरी ये जुल्फे बहारो की तरह सदा महकती ही रहे.

हमेशा की तरह तू भी सदा चहकती मुस्कुराती रहे
इस दिल को सदा चाहत के साथ राहत तू देती रहे।
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26.4.09

वो शमां भी जल उठेगी जब हर आशिक दीवाना होगा


मिली थी जब आँखे उनसे पलको का झुकना भी हुआ
लुटा लिया अपने आपको मुस्कुराना जब उनका हुआ

लहरे समुन्दर की नहीं है ये मेरे अश्को की गंगा है
प्यार नहीं मिला फिर भी इस सीने में यादें जिन्दा है

जिन्हें दिल से चाहा था उन्होंने दिया गमो का जहर
फिर भी दुआ करते है कि वे सदा मुस्कुरा कर जिए

मुझे तो प्यार नसीब नहीं उन्हें प्यार जीवन भर मिले
प्यार में जो वादा करके भी वो निभा नहीं सकते है

ऐसे कैसे है वो लोग वादा करके भी मोहब्बत करते है
वो खुद हंसते है और यार लोग दिल से आहें भरते है

तेरी फरामोशी का जिक्र दिल से सारा जमाना करेगा
वो शमां भी जल उठेगी जब हर आशिक दीवाना होगा
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20.4.09

स्वर्ग लोक इस धरती पर है ऊपर या और अन्यत्र नहीं

स्वर्ग लोक इस धरती पर है ऊपर या और अन्यत्र नहीं
उसको तुम यही तलाश करो.. जाओ न ढूँढने और कहीं.

तुम अपने पुरुषार्थ प्रयत्नों से कर दो उसका निर्माण यहाँ
यह आशा का सन्देश तुम्हे इस भू मंडल पर फैलाना है.

चिंताएँ तजकर लाभ- हानि सब में प्रसन्न रहना सीखो
दुःख व्यथा विघ्न बाधा संकट सबको हँसकर सहना सीखो.

ईर्षा ,द्वेष को छोड़ कर प्रेम की धारा में तुम बहना सीखो
रोने - धोने को छोड़ सदा तुम मधुर संगीत गाना सीखो।
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17.4.09

नए ब्लागों और ब्लॉग जगत के नए हस्ताक्षरों का परिचय पर चर्चा

शुरुआत में ब्लॉगर भारी जद्दोजहद और भारी मसक्कत कर अपना ब्लॉग बनाता है और उसकी पहली ख्वाहिश होती है की वह पहली रचना अच्छी से अच्छी अपने ब्लॉग में लिखें. प्रथम पोस्ट लिखने के बाद अन्य ब्लागर्स की अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया का उसे बेसब्री से इंतजार रहता है . ब्लागर्स को अपनी पोस्ट के सन्दर्भ में यदि अच्छी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त होती है तो निसंदेह ब्लॉगर के मानसिक मनोबल में वृद्धि होती है और पोस्ट लिखने के लिए रूचि लेना शुरू कर देता है . सभी को मालूम है कि हिंदी ब्लॉग जगत अभी शैशव अवस्था में है इसीलिए हिंदी भाषा के विश्व में प्रचार प्रसार हेतु नए हिंदी ब्लागरो की हौसला अफजाई करना चाहिए. नए कवि लेखक और साहित्यकार और सामान्य जनों के नए हिंदी ब्लॉग हिंदी चिठ्ठा जगत में प्रवेश कर रहे है. आइये इन नव हिंदी ब्लागरो को जिन्होंने हाल में ब्लॉग जगत में दस्तक दी है . उनके नए चिठ्ठो को पढिये और उनका उत्साहवर्धन करिए. नए चिठ्ठाकारो के बारे में चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ.


खबरें ....सुबह उठने के बाद, शाम को सोने के पहले टीवी की रिमोट ख़बरों की तलाश करती है.. देश में क्या हुआ, फलाने नेता ने क्या कहा, पे कमीशन लागू हुआ कि नही, किसकी सरकार बनेगी, अर्थव्यवस्था कब सुधरेगी, मंदी में कितनो की नौकरी गई... और भी ना जाने कैसी कैसी खबरें...
पर इन सब से अलग आप पाते हैं, ख़बरों में भूत-प्रेत, चीखता चिल्लाता एंकर, तालिबान-पाकिस्तान की खबरें
भारत के गाँव, भूखों मरता किसान सभी ख़बरों से बाहर....
खेल टीआरपी का ...
लेगा इन सारे खबरी लालो की ख़बर....ख़बरदार.

प्रेम लक्ष्य मेरा था, मधुरस से भरा सवेरा था,
प्यार को अपने पाना था, या फ़िर ख़ुद मिट जाना था,
बच्चों-सी हँसी अनोखी थी, मोहिनी मूरत सलोनी थी,
अप्सरा थी या परी थी,मेरी मस्तिस्क की ही पर जनी थी,
प्रेम तेरे कितने रंग......प्रेम , प्रेम और बस प्रेम ....

रहते हैं वो किसी के ख्यालों में पर कहते हैं मुझे किसी की याद नही,
भेजते हैं किसी को संदेश पर कहते हैं कोई ख़ास नही,
पूछते हैं हाल उनका सबसे और कहते हैं कोई वैसी बात नही,
बताता हूँ उन्हे ये प्यार है जनाब, तो कहते हैं,
किसी से बयाँ हो जाए, प्यार इतना सस्ता ज़ज्बात नही
नया हिंदी ब्लॉग अर्ज किया है कलमकार अंकुश अगरवाल जी


तेरे आँचल की खूश्बू में थोडी थोडी धूप घुली हैं
आँचल में एक टुकडा मेरा तेरे अंतस का पारस पत्थर
बारिश में जब तुम भीगी ,बारिश रूककर देख रही थी
भीग गयी थी वो भी जालीम तेरे सावन -भादों में.
प्रेमांचल आदित्य जी का नया ब्लॉग


वीनस केशरी जी का नया ब्लॉग बटोरन


क्या समझा है पाकिस्तां ने , मेरी भारत माता को
भूल गया है बिकल कटक ये माँ बेटे के नाता को
रामचरित में ठीक लिखा है , महामुनि तुलसी जी ने
ये भारत माँ के सपूत थे, जिनको जाया हुलसी ने
महाकाव्य में लिखा है, उनने ऐसा कलयुग आएगा
माँ को गाली पिता को लाठी, बेटा खूब लगायेगा
रवि शंकर शर्मा जी का नया ब्लॉग पोएम्स.........पहली ही पोस्ट में दुश्मन को ललकार रहे जी आगे और भी ललकारे पढ़ने मिलेगी . नए चिठ्ठे का स्वागत ताली बजाकर कर रहा है.

नया चिठ्ठा नया जोश में बराक ओबामा अरविन्द जी नए हिंदी चिठ्ठाकार

स्वागत है आपका हिंदी चिठ्ठा जगत में निरंतर लिखते रहिये हम सभी की शुभकामना आपके साथ हमेशा रहेगी .
अल्फाज़ पल्लवी त्रिवेदी जी का नया ब्लॉग पहली पोस्ट रचना त्रिवेणी बहुत ही रोचक और सरल शब्दों में लिखी गई है . आशा है इस ब्लॉग में अच्छी रचनाये पढ़ने मिलेगी .पल्लवी त्रिवेदी जी वैसे नै ब्लॉगर नहीं है उनके और भी ब्लॉग है . सभी उनके नाम से परिचित है .

शीला जी का नया हिंदी ब्लॉग "मेरी कविताएं" पहली पोस्ट में गर्मियो का एहसास करा दिया उफ़ ये गर्मी ...
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है . आप हिंदी के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से निरंतर लिखती रहिये . सभी ब्लागरो की शुभकामनाये आपके साथ है.


ब्रिटिश मलबार के पूर्वी छोर पर स्थित तालुकों में से एक है कोट्टयम। इसी कोट्टयम तालुके में कोट्टयम के राजवंश का निवास है। चूंकि इस वंश के सभी स्त्री-पुरुष सदा विद्याव्यसनी रहे हैं, इस वंश में सभी लोग विद्वान हुआ करते थे। फिर भी एक समय अपवादस्वरूप एक मंदबुद्धि राजकुमार इस वंश में पैदा हुआ। इसी राजकुमार के संबंध में कुछ बताना हमारा यहां अभीष्ट है
नया हिंदी ब्लॉग "केरल पुराण" बालसुब्रमण्यम जी इसके कलमकार है . उम्मीद है कि यह ब्लॉग भविष्य में क्षेत्रीय एतिहासिक जानकारी के अलावा अच्छी पोस्ट प्रस्तुत करेगा . इस नए ब्लॉग का भी स्वागत है और निरंतर अग्रसर हो ...शुभकामनाये ....

14.4.09

व्यंग्य कविता - आधुनिक नेता और जनता जनार्दन


आजकल राजनीति एक रैलगाडी बन गई है
जिसका आने- जाने का टाइम टेबल तो है

टाइम टेबल तो.. सिर्फ दिखावे के लिए है
हक़ीकत मे.. रेलगाड़ी घंटो लेट आ रही है

इसी तरह.... राजनीति मे रोज़ राजनेता
जनता जनार्दन को.......मूर्ख बनाते है

नित .नए - नए सब्ज़ बाग़ दिखा रहे है
गर चुनाव मे जीत गए... समझा रहे है

तो ये करवा देंगे तो..... वो करवा देंगे
तो ये दिलवा देंगे तो.... वो दिलवा देंगे

चुनाव जीतने के बाद ...राजनेता फिर से
राजनीति की..गाड़ी के ड्राईवर बन जाते है

देश मे यहा वहां नाचते गाते मौज मनाते है
अगले चुनावो तक क्षेत्र से..ग़ायब रहते है

चुनाव आते ही नकली मुखैटा चेहरे पर लगाकर
जनता को चराने धोखा देने हाज़िर हो जाते है.

लेखक- एक अनाम लेखक (नाम नहीं मालूम)

12.4.09

व्यंग्य - गरम हथौडे पर नेता और पत्रकार जी


एक नेताजी अभी हाल मे ही लोकसभा का चुनाव हार गये थे पर फिर भी चेहरे क़ी मुस्कान मे कोई भी कमी नही आई थी . उस पराजित हारे हुए नेता के चेहरे पे हरदम मुस्कान टपकती ही रहती थी . नेताजी घर से बाहर निकले ही थे कि रास्ते मे वे एक पत्रकार से टकरा गये . भाई पत्रकार तो पत्रकार फिर उपर से था पक्का मुँह फट....देखते ही देखते वह फौरन दौड़कर नेताजी का इंटरव्यू लेने पहुँच गया.

पत्रकार- नेताजी आप चुनाव हार चुके है फिर भी आप सरकारी बंगला ख़ाली नही कर रहे है और निगम के अध्यक्ष का पद भी नही छोड़ रहे है भाई नैतिकता का ख़्याल रखो ? आप ग़ैर क़ानूनी रूप से सरकारी बंगला पर अवैध क़ब्ज़ा कर रहे है ?

नेताजी पान थूकते हुए बोले - देखो भाई ये वैध और अवैध क्या है मुझे नही मालूम और हम इनके पचडे मे नही पड़ते है और जब भी मेरी आलोचना हुई है तो भाई जनता ने भारी वोट देकर बहुमत से मुझे चुना है और सदन में मुझे भेजा है. मैंने हमेशा कहा है कि मेरा फ़ैसला जनता की अदालत करेगी और जबाब देने वाला मै कौन होता हूँ बेहतर होगा इसका उत्तर आप जनता से ही मांगे तो बेहतर होगा जी. आज आप पद छोड़ने कह रहे है और बांग्ला ख़ाली करने कह रहे है कल आप लोग मुझसे क्षेत्र छोड़ने को कह सकते है.

पत्रकार- अब आप भूतपूर्व हो चुके है ?

नेताजी- मै स्वयं को भूतपूर्व नही बल्कि अभूतपूर्व मानता हूँ मै एक बार हार गया हूँ तो क्या हुआ फिर से चुनकर आ जाएगे तब मुझे ऐसा सुख सुविधाओ वाला बंगला फिर से कहाँ से मिलेगा . जो चीज़ मिल गई है तो उसे मै ज़िंदगी भर नही छोड़ता हूँ फिर भाई जी ज़िंदगी भर सत्ता की दलाली करने और रहने के लिए दिल्ली मे भी तो कोई जगह होना चाहिए कि नहीं. अब तुम खुदई विचार करो जी और सोचो.

पत्रकार- आप क्या कह रहे है कुछ चिंतन करिए कि आप क्या सही है ?

नेता- भाई जी मेरा चिंतन व्यापक है. जनसेवा के प्रति समर्पित नेता का चिंतन समाज हितैषी दार्शनिक प्रवृती का हो जाता है उसका व्यक्तित्व और कृतित्व व्यापक हो जाता है कि ये बंगला,सरकारी कारे उसके लिए कुछ भी नही न के बराबर हो जाता है और फिर नेता आदमी जनसेवा का हिसाब रखेगा क़ि नही क़ि इन सरकारी बंगले का हिसाब रखेगा क्या जनसेवा इसीलिए क़ी जाती है.

पत्रकार ने नेता जी क़ी सुनकर अपना सिर फोड़ लिया..और वहां से भाग खडा हुआ.

sabhaar- aanaam rachanakaar.

11.4.09

मुस्कुरा कर इस दिल पे वे जख्म देते है

वफ़ा की खुशबू हर रह गुजर से आती है
वफ़ा की खुशबू यारा कजां से भी आती है.

हम साथी संगदिल..मुझे बेवफा कहते है
वफ़ा की खुशबू उनके लबों से आती है.

उनके प्यार में रुसवा होता जा रहा हूँ
मै अश्को से वफ़ा के दाग मिटा रहा हूँ.

अफसाना उनके प्यार का दिल से देखो
उनका सटीक निशाना इस दिल पे देखो.

मुस्कुरा कर इस दिल पे वे जख्म देते है
दिल के करीब आने का ये बहाना देखो.

दिल टूटता है तो आहट भी नहीं होती है
रिश्ता जान का दिल से दूर हो जाता है.

अपना जो राहे वफ़ा में हमसफ़र होता है
अक्सर वही करीब होकर दूर हो जाता है.
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10.4.09

भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


यदि ऐसा दिखा दिया तो सब धुल जायेगी जी

जूते का भूत


हमारा निशान जूता है महान अब रोज जलती रहे जूते की मशाल

अब तो राजकपूर की तरह कंधे पर प्रिय जूते रखकर चलने का ज़माना आ गया है न जाने कब चलाने पड़े जी .

देखो फोटो तो उतार लो मगर भाई जूता न चलाना जी

जूतों की बौछारों के बीच जूते जब पड़ते है तो लोग डिस्को भांगरा कत्थक और राई डांस करने लगते है .

जब से विदेश और देश में जूते चले तब से जूतों की दुकानों में भीड़ बढ़ गई है .

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

जूते है अब बड़े काम की चीज जितना बड़ा जूता उतनी बड़ी इसकी मार

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

मेरे पापा कहते है की बेटा जूते की हिफाजत अभी से करना शुरू कर दो बड़े होने पे बहुत काम आएंगे हा हा

जूते मेरे अनमोल रतन अब जूते जेवर भी पहिनने लगे है . इन्हें सजा कर रखना पसंद करते है लोग बाग़

खूब गए जूते पहिन पहिन कर मीटिंग में नंगे पैर जाओ मेरे यार . जूता प्रतिबंधित है .


देखिये मेरी लोकप्रयता बढ़ गई है अब जूते के खिलौने में बच्चे खूब रूचि दिखाते है . देखिये इन खिलौने की फोटो

8.4.09

एक ब्लॉगर मीट : प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) से जबलपुर प्रवास के दौरान

दिनाक ४ अप्रेल को इलाहाबाद से भाई प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) ने मोबाइल से जानकारी दी कि मै दिनाक 5 अप्रेल को जबलपुर पहुँच रहा हूँ . दिनाक ५ अप्रेल को प्रमेन्द्र जी का मुझे फोन मिला कि मै जबलपुर पहुँच गया हूँ . चूंकि ६ अप्रेल को समीर लाल जी की पुस्तक "बिखरे मोती" का जबलपुर में अंतरिम विमोचन किया जाना था तो वही मुलाकत करने का निश्चय किया . सुबह प्रमेन्द्र प्रताप सिंह का फोन मिला और उन्होंने मुझसे पुछा कि आप कहाँ पर है और मै क्या आपसे मुलाकात कर सकता हूँ तो मैंने उन्हें सहज भाव से घर पर आने का निमंत्रण दे दिया.



प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने शहर के निवासी ताराचंद जी (जो बर्तमान में हरिभूमि समाचार पत्र जबलपुर में कार्यरत है) के साथ मेरे निवास स्थान पर ठीक १२ बजे पहुँच गए . ब्लागिंग के सन्दर्भ में और वरिष्ठ ब्लागरो के बारे में काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे से बातचीत करते रहे . उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में उनके घर के समीप ज्ञान जी (मानसिक हलचल) का निवास स्थान है . उनसे काफी देर तक महाशक्ति ब्लॉग और उससे जुड़े ब्लॉगर नीशूजी (बर्तमान में दिल्ली में} और ताराचंद और अन्य जुड़े सहयोगी ब्लागरो के सम्बन्ध में चर्चा होती रही और यह भी विचार किया कि सार्थक ब्लागिंग हो और हम इसमें क्या सहयोग कर सकते है आदि आदि बातो पर हमने विचार किया . करीब पॉँच घंटे कब गुजर गए पता ही नहीं चला .

उसी दिन समीर जी पुस्तक बिखरे मोती के अंतरिम विमोचन के अवसर पर प्रेमेन्द्र प्रताप जी से फिर रात्री में दूसरी मुलाकात हुई . प्रेमेन्द्र जी सात तारीख को दर्शनीय भेडाघाट प्रपात देखने गए और उन्होंने भेडाघाट प्रपात की जमकर तारीफ की और यहाँ के ब्लागरो की उन्होंने जमकर तारीफ भी की . उन्हें जबलपुर शहर और यहाँ के निवासियो का व्यवहार बहुत ही पसंद आया है और फिर से जबलपुर आने का वादा भी किया है . प्रेमेन्द्र जी निहायत व्यवहार कुशल संस्कारवान उत्साही ब्लॉगर है और ब्लागिंग के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरना चाहते है और बेहद उर्जावान नवयुवक है . उनसे पहली बार मुलाकात कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मै किसी सुपरिचित से मुलाकात कर रहा हूँ . यह सच है कि ब्लागिंग के माध्यम से आपस में भाई चारा और सम्बन्ध स्थापित होते है.

3.4.09

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है
ये तोहफे तुझसे मैंने मोहब्बत कर पाए है.

उनकी यादो का नशा दो चार दिन रहेगा
जब दिल से उतरेगा कोई दीवाना न होगा.

अब दुश्मनों से नहीं अब दोस्तों से गिला है
जो मिला था दोस्तों ने खंजर चला छीना है.

तेरी यादो के उजाले अब तेरे आलम में होंगे
तेरी बेवफाई के किस्से अब हर चर्चे में होंगे.