31.5.09

विश्व तम्बाखू निषेध दिवस पर माइक्रो पोस्ट : हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया


हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया
आज विश्व तम्बाखू निषेध दिवस है . आप इसे पी रहे है और अपने हर फ़िक्र को धुएं में उड़ा रहे है.

आप जान जाए कि आप अपनी फ़िक्र को धुएं में नहीं उड़ा रहे है वरन आप अपनी जिंदगी को धीरे धीरे अपने पास से खुद उड़ा रहे है.



सिगरेट आप पी रहे है पर आप नहीं जानते ये आपको पीकर जल्दी निपटाने का चक्कर चला रहे है.



कृपया तम्बाखू/सिगरेट का बहिष्कार करे और दीघार्यु हो .




जनहित में

29.5.09

स्वाईन फ्लू से निजात दिलाये तुलसी की पत्तियां

तुलसी का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए सदियो से किया जा रहा है . तुलसी के बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति यदि खाली पेट तुलसी की चार-पॉँच पत्तियों का नियमित सेवन करे तो उसे कई बीमारियो से छुटकारा मिल सकता है. वैज्ञानिको ने भी अपने अनुसंधानों में तुलसी के सेवन को लाभप्रद और उपयोगी बताया है. आयुवेदाचार्यो ने हाल में बताया है कि तुलसी स्वाईन फ्लू को दूर रखने के लिए उपयोगी और लाभप्रद है. स्वाईन फ्लू से पीड़ित आदमी तुलसी का सेवन कर शीघ्र स्वास्थ्य हो सकता है.





वैज्ञानिको ने अभी हाल में ही तुलसी में स्वाईन फ्लू विरोधी तत्व पाए है. तुलसी के उपयोग से मनुष्यों में रोग प्रतिरोधक तीव्र गति से बढ़ती है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता वाइरल फीवर से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होती है. यदि बीस-तीस तुलसी की पत्ती का खाली पेट सेवन किया जाये तो यह स्वाईन फ्लू से बचाव किया जा सकता है.

तुलसी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है इसीलिए उनका पूजन कर उन्हें तुलसी माता के नाम से संबोधित किया जाता है .

तुलसी के तीन प्रकार होते है. रामा श्यामा और केतुकी . रामा तुलसी की पत्तियां हरे रंग की और श्यामा तुलसी की पत्तियां काले कथ्थई रंग की होती है. श्यामा तुलसी विभिन्न प्रकार की बीमारियो से निपटने के लिए रामवाण दवा मानी जाती है.

26.5.09

झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे

जिस्म जलता है बहुत दो पल नहाने दो मुझे
झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे.

हस्ती से बेजारी न थी मौत से यारी न थी
उन राहों पर चल दिए जिसकी तैयारी न थी.

फासला तो है मगर अब कोई फासला नहीं है
तुम मुझसे जुदा सही मगर दिल से जुदा नहीं.

आओ मै और तुम मिलकर चिरागेदिल जलाये
कल कैसी हवा चले यह कोई जानता ही नहीं
*********

22.5.09

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था


तेरे बिन ये जिंदगी गुजरती नहीं अब तेरे वगैर
जालिम जुल्मी रात भी कटती नहीं है तेरे वगैर.

अधूरे है तेरे बिन हम मत पूछ तू दिल का गम
पूर्णमासी की चांदनी देखने को नहीं करता मन .

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था
कोई शाम सजनी नहीं दिल में तेरे बिन तेरे वगैर.

खो गया है वो मौसम सुहाना गुजरा वो जमाना
उस पल की ख़ुशी ठहरती नहीं तेरे बिन तेरे वगैर।
0००००० 0

20.5.09

अक्सर ऐसा हो रहा है - नेता : महगाई :गरीब और गरीबी

नेता

चुनाव दर चुनावों के बाद अक्सर नेता कुर्सी की गंध लेकर दिनोदिन मालामाल होता जाता है अक्सर ऐसा हो रहा है .

महगाई
चुनावों से पहले और चुनावों के बाद महंगाई दिनोदिन बढ़ती जाती है पर बढ़ती मंहगाई को रोकने हेतु चुनाव लड़ रहे नेता या चुनावों के बाद कुर्सी की गंध प्राप्त करने वाले नेता मंहगाई घटाने की चर्चा ही नहीं करते है क्या किसी को उपकृत करते है ? ऐसा क्यों होता है यह समझ से परे है अक्सर ऐसा हो रहा है .

गरीब और गरीबी
चुनावों के बाद बड़ी बड़ी बाते की जाने के बाद गरीब और गरीब होता जा रहा है और नेताओं के आश्वासन और मंहगाई के तले और दिनोदिन दम तोड़ता जा रहा है और गरीब होता जा रहा है अक्सर ऐसा हो रहा है.

नेताओं के हारने और जीतने पर समीक्षा की जाती है और बढ़ती मंहगाई और मंहगाई के तले दम तोड़ती गरीबी और चुनावों पूर्व दिए गाये वादों की समीक्षा नहीं की जाती है इसे जनमानस का दुर्भाग्य कहा जाये तो कोई बड़ी बात नहीं है . अक्सर ऐसा हो रहा है .

18.5.09

इस सचित्र पहेली का सही उत्तर है - यह टाइगर नहीं यह लाइगर है



चलते है अब थोडा लाइगर के बारे में जाना जाए.

आपने लायन देखा होगा और टाइगर भी देखा होगा लेकिन इन दोनों के सम्मिलित स्वरूप को एक साथ नहीं देखा होगा. लायन और टाइगर से पैदा हुई नई प्रजाति को लाइगर कहते है. लाइगर हमारे देश भारत में नहीं पाया जाता है. इनका वजूद जंगलो में बचा नहीं रह सकता है इसीलिए इन्हें संरक्षित क्षेत्रो में रखा जाता है. दुनिया के कई देशो के चिडियाँ घरो में लाइगर मौजूद है. बिल्ली प्रजाति के कई और अजूबे क्रॉसबीड दुनिया में है. श्री के.संखला की किताब टाइगर में एक ऐसे विशाल लेपर्ड का जिक्र किया गया है. लाइगर एक नर शेर और मादा बाघ के क्रॉसब्रीड से पैदा हुई संताने होती है. अभी तक की बिल्ली प्रजातियो में यह सबसे बड़ा है. लाइगर यदि अपने पिछले पैरो पर खडा होता है तो इसकी ऊंचाई १०-१२ फीट तक हो जाती है इनके विशाल शरीर का का कारण उनके जींस की असामान्यता होती है. हरक्यूलिस और सिंदबाद नाम के दो लाइगरो के नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है इनके वजन क्रमश ४५० किलोग्राम से ज्यादा और ४५० किलोग्राम थे. इनका प्रिय शौक पानी में तैरना होता है.


एक विशाल लाइगर का फोटो देखिये ऊंचाई १२ फीट से अधिक.

इस पहेली में दस ब्लागर्स भाई/बहिनों ने उत्तर दिए

कहीं कुत्ता तो नहीं ... हिमांशु

ये बाघ कुत्‍ते जैसा क्‍यों दिखाई दे रहा है
धारियां तो बाघ जैसी हैं.... अरे नहीं महेन्‍द्र जी आप बाघ के मुंह में जो आस्‍ट्रेलियाई कीड़ा है उसकी बात कर रहे हैं.
बहुत खूब
किसी को पता भी नहीं चलेगा कि आपने किसके बारे में पूछा है
.
वैसे यह सवाल भी मैं खोटा सिद्ध कर सकता हूं क्‍योंकि मुझे पेड़ के पीछे भी कुछ दिखाई दे रहा है.:)

LION...... अर्श

http://dikshakidunia.blogspot.com/2009/04/blog-pos...लवली कुमारी

महेंद्र जी, मुझे तो यह सिंह नजर आ रहा है...... रवीन्द्र रंजन

बड़ा अजीब सा शेर है. जान नहीं है फिर भी गर्जना पर ... (P.N. Subramanian)

tiger डॉ.मनोज मिश्र

oon....shayad TIGER RAJNISH PARIHAR

Patrick the magnificent Liger at Shambala Preserve... Patrick the magnificent Liger at Shambala Preserve, an animal sanctuary in Acton, California.
सबसे पहले भाई समीर लाल जी "उड़नतश्तरी" ने सटीक और सही जबाब दिया और इस पहेली का विजेता होने का गौरव प्राप्त किया है.

Its a liger the hybrid offspring of a lion father ... (अभिषेक ओझा)

* इस सचित्र पहेली में दस ब्लागर्स भाई/बहिनों ने उत्तर दिए और सबसे पहले भाई समीर लाल जी "उड़नतश्तरी" ने सटीक और सही जबाब दिया और इस पहेली का विजेता होने का गौरव प्राप्त किया है और उसके उपरांत भाई अभिषेक ओझा जी ने इसे हाई ब्रीड श्रेणी का लाईगर बताया और पहेली का उपविजेता होने का सम्मान अर्जित किया है . विजेता साथियो को बहुत बहुत बधाई .
साथ ही इस पहेली में ब्लागर्स हिमांशुजी ,सिद्धार्थ जोशी जी ,.अर्श जी, लवली कुमारी जी,रवीन्द्र रंजन जी,पी एन. सुब्रमनियन जी, डॉ.मनोज मिश्र जी ,रजनीश परिहार जी ,अभिषेक ओझा जी......इस सचित्र पहेली में हिस्सेदारी कर सचित्र पहेली को और भी रोचक बना दिया वे भी सम्मान के पात्र है.

17.5.09

चित्र पहेली बूझो और जानिए जी ये कौन है ?

अपने कई तरह के जानवर देखें होंगे और उनके बारे में निश्चित ही आपको काफी जानकारी होगी . चलिए आपकी मानसिक हलचल की परीक्षा लेने का समय शुरू होता है अब . चित्र को देखकर आपको बताना है कि ये भारी भरकम महोदय है कौन ? पहेली का उत्तर देने के लिए आपको दो दिनों का समय प्रदान किया जाता है उसके उपरांत पहेली का हल प्रकाशित कर दिया जायेगा.



रिमार्क - भाई लोग नक़ल पट्टी कर उत्तर ठेल देते है इसीलिए टिप्पणी माडरेशन कर दी है .
अभी भी नहीं पहिचाना बस एक ने पहचाना . यह सवाल खोटा नहीं चोखा है....समय है कम .

15.5.09

बम्फर ड्रा के परिणाम : सचित्र पहेली : बूझो तो जाने ?

एक सचित्र मुहावरा अपने ब्लॉगर भाई/बहिनों से पूछा था. उत्तर देने के लिए दो दिन का समय दिया गया था. यह मुहावरा पूछा था कि "एक बगीचे में तीन महापुरुषों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं. रोज सुबह उन मूर्तियाँ को मोहल्ले के लोग फूलो की माला पहिनाते है . इन तीन महापुरुषों के नाम क्रमशः पंडित जवाहर ला जी नेहरू दूसरा राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र जी है इनकी फोटो लगाए गए थे. फोटो को देखकर अनुमान लगाकर सिर्फ उत्तर देना था कि गाँधी जी की माला गाय ने क्यों नहीं खाई ? इस रोचक मुहावरे के बारे में अनेको ब्लागर्स के उत्तर मिले.

सबसे पहले भाई गगन शर्मा जी ने उत्तर दिया कि क्योंकि उनके हाथ में लाठी है उनके उत्तर के समर्थन में सुब्रमनियन जी, विजय वडनेरे जी ने,भाई नीशू जी ने,भाई धीरू सिह जी ने,जयंत चौधरी जी ने,हिमांशु जी ने अपनी सहमति व्यक्त की. भाई नवीन शर्मा जी ने और भाई अर्श जी और भाई प्रवीण त्रिवेदी.जी .प्राइमरी का मास्टर ने लाठी से अपनी सहमति जताई. डॉ. मनोज मिश्रजी ने कहा… जो सब नें कहा वही हमारा भी उत्तर है सबके उत्तर के स्वर में अपने उत्तर के सुर मिला दिए. ताऊ रामपुरिया ने कहा… लाठी का कमाल है.

उड़न तश्तरी जी ने पहला उत्तर दिया … ”जिसकी लाठी, उसकी भैंस......फिर दूसरा उत्तर दिया ....भाई....गाँधी जी से तो गाय की कोई दुश्मनी थी नहीं..वो तो बकरी का दूध पीते थे. बाकी के दोनों गाय का दूध पीते थे, इसलिये हिसाब चुकता कर गई.....पहले भैस को घुसेड़ा फिर बकरी को भी उत्तर में समेत दिया खैर उन्होंने उत्तर में लाठी का जिक्र तो कर दिया है.

अभिषेक ओझा जी ने कहा… हम तो लाठी वाले उत्तर के साथ जाते लेकिन अब दोनों उत्तर के साथ हैं. लाठी भी और बकरी भी. लो भाई कर लो बात इन्होने भी उत्तर में बकरी को घुसेड दिया .

संगीता पुरी जी ने कहा… लाठी देखकर गाय को तो डरना ही है .. अब वो कैसे जाने कि यह मूर्ति है .. व्‍यक्ति नहीं....अरे मै लिखना भूल गया कि व्यक्ति या मूर्ती है.

काजल कुमार जी ने कहा… खायेगी तो तब न, जो गले में माला होगी. पहनाते ही उतार नही दी ?

रंजन जी ने कहा… और याद दिलाया कि गांधी जी को खादी की माला पहनाई जाती है..… वैसे.. आपके चित्र के हिसाब से तो उन्होने माला उतार दी न ? बहुत सही पकड़ा कि जो चित्र मैंने जल्दबाजी में दिया था उसमे गाँधी जी अपनी माला उतार रहे है पर उत्तर में लाठी को सम्मिलित नहीं कर पाए.

सिद्धार्थ जोशी जी ने कहा… सोच सोच कर भेजे का दही हो गया है.....लाठी तो तस्‍वीर में दिखाई गई है......जरुरी नहीं है कि पार्क में लगी मूर्ति पर भी लाठी हो......जिसकी लाठी उसकी भैंस इसलिए नहीं हो सकती कि गाय ने माला खाई है...
..... अब मैलोडी खाओ खुद जान जाओ....

हाँ यह हो सकता है कि पार्क की मूर्ती में गाँधी जी के हाथो में लाठी न हो.

भाई विजय जी ने कहा महेंद्र भाई ....आपने ही तो बताया था कि वो गाय गांधी जी की ही थी, भला गाय अपने मालिक की माला कैसे खा सकती है. हाँ सहमत हूँ कि गाय अपनी मालिक की माला नहीं खा सकती है. गायो के बारे में भाई कबु अपनी बताई नहीं हुई है. हाँ ब्लागिंग की गायो के बारे में चर्चा जरुर होती रहती है कि वो गाय कितनी सीधी है और वो गाय कितनी तेज है और वो गाय कितनी मरखू है आदि आदि.

प्रेमलता पांडे जी ने कहा…
गाँधीजी खड़े हैं ऊँचाई ज़्यादा है सो गाय का मुँह पहुँच हीन पाया जबकि वो दोनों की मूर्ति बैठी मुद्रा की नीची हैं।
( दो माला खाकर पेट भी भर गया होगा, गाय को डिडया(ज़रुरत से ज़्यादा खाने की आदत) नहीं होती. उत्तर भी गजब का दिया पूछो कुछ बताओ कुछ के अंदाज में.

अन्नपूर्ण ने कहा… गाँधीजी के दोनों हाथों में माला फंसी रही ... जी नहीं वे अपनी माला उतार रहे थे.

पहेली का सही उत्तर है गाँधी जी के हाथो में लाठी थी इसीलिए उनकी माला गाय ने नहीं खाई .


खैर जो भी है सचित्र मुहावरा बड़ा ही रोचक रहा . आप सभी ने अपने तरह तरह के विचार प्रेषित किये कुछ ने सटीक उत्तर दिए और कुछ ने अपने उत्तर लाइन से हटकर दिए . इस सचित्र पहेली मुहावरे के विजेता पहले आवे और पहले पावे के आधार पर भाई गगन शर्मा जी घोषित किये जाते है उन्होंने सबसे पहले पहले सटीक उत्तर दिया और सुब्रमनियन जी, विजय वडनेरे जी, भाई नीशू जी,भाई धीरू सिह जी,जयंत चौधरी जी ने,हिमांशु जी भाई नवीन शर्मा जी और भाई अर्श जी और भाई प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर,डॉ. मनोज मिश्र अभिषेक ओझा उड़नतश्तरी जी. संगीता पुरी को भी विजेता घोषित किया जाता है और इस पहेली में सम्मिलित होने के लिए भाई विजय जी,सिद्धार्थ जोशी जी, मुकेश कुमार तिवारी और रंजन जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने पहेली में अपनी भागीदारी देकर पहेली को और भी रोचक बना दिया.

13.5.09

सचित्र पहेली : बूझो तो जाने ? कुछ हटकर

तबियत ठीक न होने से गरमागरम मौसम के कारण आज अचानक अवकाश ले लिया. घर में परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद बच्चो की भरमार रहती है . घर में चहल पहल का माहौल रहता है . आज छोटे भाई की नन्ही नन्ही प्यारी बेटियो ने मुझ से अचानक मुहावरे पूछना शुरू कर दिया .कुछ के मैंने सही उत्तर मैंने दिए और कुछ के गलत उत्तर दिए. उन बच्चो के बीच मुझे अपना बचपना याद आ गया . एक मुहावरा उन्होंने मुझसे पूछा बड़ी देर तक उस मुहावरे को मै काफी देर तक बूझ नहीं पाया . काफी देर बाद जब उस मुहावरे को बूझ पाया तो हंसते हंसते मेरे पेट में बल पड़ गए है . . फिर मैंने सोचा कि मै यह मुहावरा क्यों न अपने ब्लॉगर भाई/बहिनों से पूछ लूं . चलिए तैयार हो जाये . उत्तर देने के लिए दो दिन का समय दिया जाता है उसके बाद पहेली का परिणाम घोषित कर दिया जावेगा .

एक बगीचे में तीन महापुरुषों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं , रोज सुबह उन मूर्तियाँ को मोहल्ले के लोग फूलो की माला पहिनाते है . इन तीन महापुरुषों के नाम क्रमशः पंडित जवाहर ला जी नेहरू दूसरा राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र जी है इनकी फोटो नीचे दिए गए है . फोटो को देखकर अनुमान लगाकर आपको सिर्फ उत्तर देना है .







प्रश्न मुहावरा - सुबह तीनो मूर्तियो को माला पहिनाई जाती है . एक गाय आती है और पंडित जवाहर लाल जी नेहरू और नेताजी सुभाष चन्द्र जी बोस की मूर्तियाँ की माला खा जाती है पर महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला गाय नहीं खाती है वह महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला क्यों नहीं खाती है आपको इसका सोच समझ कर उत्तर देना है .

चलिए उत्तर देने का समय अब हो चुका है .

11.5.09

कम्प्यूटर पर अधिक समय देकर कही आप "कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम" बीमारी को आमंत्रण तो नहीं दे रहे है ?

जैसे जैसे हम आई.टी. युग में प्रवेश कर रहे है और इंटरनेट और कम्प्यूटर हमारे दैनिक दिनचर्या के अंग बन चुके है कम्प्यूटर से मानव जीवन को होने वाले तरह तरह के दुष्परिणाम सामने आने लगे है.



एक जानकारी के अनुसार कम्प्यूटर अब आँखों के लिए बीमारी पैदा करने लगे है. कहा गया है कि कम्प्यूटर के सामने लगातार अधिक समय तक कार्य करने वालो को आँखों के आंसू सूखने की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है.





नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी आँखों के आसुओ पर प्रभाव डालती है. इस बीमारी में आँखों में तीव्र जलन होती है और रोगी को एसा महसूस होता है कि जैसे उसकि आँखों में रेत घुस गई हो. यह बीमारी तीन से चार घंटो से अधिक कम्प्यूटर पर काम करने वालो को अधिक हो रही है इसमें आँखों में आंसू बनना बंद हो जाता है इसके अतिरिक्त जो आंसू बनाते भी है तो उनका फैलाव आँखों में पूरी तरह से हो नहीं पता है.

नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि एक सामान्य आदमी एक मिनिट में २५ से २७ बार अपनी पलकें झपकाता है लेकिन कम्प्यूटर पर काम करने वाला व्यक्ति एक मिनिट में पॉँच से सात बार पलकें झपकाता है ..जिससे आंसू सरक्यूलेशन अधिक नहीं हो पाता है जिसके कारण आदमी अधिक थकावट और आँखों में रेत घुसने जैसे अनुभव करने लगता है और उसे शब्द धुंधले दिखने लगते है.



इस बीमारी से शुरुआत में ही बचाव करना भी जरुरी है. कभी भी कम्प्यूटर के सामने ४५ मिनिट से अधिक न बैठे. कम्प्यूटर के सामने काम करते समय अपनी पलकें झपकाते रहना चाहिए. इस बीमारी में अधिक परेशानी हो तो डाक्टर से सलाह लें . आजकल आँखों में आंसू बढ़ाने वाली दवाये भी डाक्टरों द्वारा मरीजो को दी जाने लगी है. आजकल हमारे देश में मेडिकल कालेजो में और हॉस्पिटल में ऐसे मरीजो की संख्या खूब बढ़ रही है.

10.5.09

मदर्स डे पर : माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है



"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.



माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है




मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.





माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है

झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये

सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना

सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये

अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है

कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है




माँ तुम्हे प्रणाम
माँ तुझे सलाम

9.5.09

हम क्या करें गिला शिकवा आपसे ओ जानम

दर्द इस दिल में है ओठो पर मुस्कान रहती है
मेरी आरजू तेरी याद में..हर पल तड़फती है.

देखते ही आपको मेरे दिल में बहारे खिलती है
देखकर खुश आपको..दिल को ख़ुशी मिलती है.

मुद्द्त से तड़फ रहा था ये दिल प्यार के लिए
इस दिल ने हार कर कहा बहुत जी लिए सनम.

चोट इस दिल ने खाई अश्क इन आँखों ने बहाये
तेरी याद में जानम न जी पाए और न मर पाये.

हम क्या करें.. गिला शिकवा आपसे ओ जानम
इस दिल को तडफा लो.. पर प्रीत न होगी कम.

6.5.09

जब इंटरनेट मददगार साबित हुआ और अपनी बीबी की उसने डिलेवरी करवा दी ?

जब से दुनिया में सूचना क्रांति का आगाज हुआ तबसे लोग बाग़ इससे होने वाले फायदों और लाभदायक होने के कारण इसमें जबरजस्त रूचि लेने लगे है . दुनिया में होने वाली किसी भी घटना व कार्यक्रमों को पलक झपकते ही आप नेट पर देख सकते है. यह क्रांति उन मौके पर भी काम आ सकती है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते है. आज ऐसा ही रोचक वाक्या एक अखबार में पढ़ा है कि इस क्रांति के माध्यम से तात्कालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

लन्दन में रहने वाले एक शख्स उनका नाम है मार्क स्टीफंस जो नेवल में इंजिनियर है उन्होंने इंटरनेट की मदद से जानकारी प्राप्त कर खुद अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी. अब आपको लग रहा होगा कि कोई व्यक्ति इंटरनेट की मदद से अपनी बीबी की डिलेवरी कैसे करवा सकता है. मार्क स्टीफंस की पत्नी की चौथी डिलेवरी होने वाली थी. कुछ दिनों उनकी पत्नी को पेट दर्द हुआ और उस समय उसको काफी तकलीफ हुई.

मार्क स्टीफंस अपनी पत्नी को लेकर फौरन हॉस्पिटल लेकर गए और इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि उस हॉस्पिटल में कोई भी मिडवाइफ उपस्थित नहीं है तो फौरन उन्होंने गूगल सर्च पर जाकर यूं टूयूब से कुछ ऐसे वीडियो खोजे जिनमे वीडियो/फोटो के माध्यम से यह दिखाया गया था कि बच्चे को कैसे जन्म दिया जाता है. स्टीफंस साहब ने दर्द से कराहती अपनी पत्नी को एक दिखाया और अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी.

जन्म देने के बाद उसकी पत्नी ने लोगो को बताया कि यह डिलेवरी काफी सुखदायक और आरामदायक थी और इसमें मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई और न कोई कष्ट हुआ और उसे डिलेवरी के दौरान कोई टेशन नहीं था. इसके पहले उसके तीन बच्चे हुए. तीनो बच्चो की डिलेवरी के दौरान उसे काफी कष्ट और तकलीफ हुई थी.

वास्तव में सूचना क्रांति के आने से सभी को काफी फायदे मिल रहे है और आप मनचाही जानकारी तुंरत इंटरनेट पर प्राप्त कर सकते है और अपनी समस्या का निराकरण भी कर सकते है और सूचनाओं का आदान प्रदान मिनिटो में कर सकते है और तात्कालिक लाभ प्राप्त कर सकते है. सूचना क्रांति के माध्यम से लोग कैसे कैसे तात्कालिक लाभ प्राप्त कर रहे है यह उसका एक जीता जागता उदाहरण है जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते है.

रिमार्क - अंश एक अखबार से साभार.

4.5.09

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है

खुशबू गुलशन में बिन फूलो के न होती
लहरे समुन्दर में बिन पानी के न होती.

गर प्यार न हो तो क्या रखा है वन में
तुम न होते तो खुशियाँ न होती दिल में.

सनम तेरी खातिर फूल क्या है मेरे लिए
तेरी खातिर हम काँटों पर भी चल देंगें.

तेरी खातिर हम बगावत जहाँ से कर देंगे
तू कहें अगर पानी में भी आग लगा देंगे.

पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.

1.5.09

कुछ मजेदार चुटकुले ......

पिछले दो माहो से मैंने खूब चुनावी चिठ्ठे जूते की भरमार भरे प्रसंग खूब पढ़े पढ़कर बोरियत सी महसूस होने लगी . सोचा अब हास्य परिहास के बारे में सोचा जाये अन्यथा सब बेकार है और जीवन जीने के लिए हास्य का समावेश होना जरुरी है वरना जीवन नीरस है . कुछ अच्छे मजेदार चुटकुले आप सभी को बाँट रहा हूँ .

मालिक अपने नौकर से - सुनो जाओ जरा स्टेशन जाओ मेरे कुछ मित्र आने वाले है इसके लिए मै तुम्हे पांच रुपये दूंगा .
नौकर - अगर मालिक आपके दोस्त न आये तो ?
मालिक - फिर मै तुम्हे दूने दस रुपये दूँगा.
*****

नाटककार - मेरे नाटक के बारे में आपका क्या ख्याल है ?
आलोचक - मै एक सलाह देना चाहता हूँ .
नाटककार - वो क्या ?
आलोचक - नाटक के अंत में विलेन को पिस्तौल से शूट करने की बजाय जहर देकर मारा जाए फायर की आवाज से दर्शको की आँख खुल सकती है.
*****

दो औरते नाटक देख रही थी एक औरत दूसरी औरत से
"अगर रोशनी ज्यादा कर दी जाए तो कितना अच्छा होगा . अँधेरे में मुझे अच्छी तरह से सुनाई नहीं देता है.
दूसरी औरत तुनककर बोली - मै तो वगैर ऐनक लगाए टेलीफोन पर अच्छी तरह से सुन भी नहीं सकती.
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उनकी अभी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी हनीमून के बाद एक शानदार मकान में खूब मौज मस्ती कर रहे थे . कुछ दिनों बाद उनके शहर में नामी नाटक के कलाकारों का आगमन हुआ . एक दिन उन पति पत्नी के घर में डाक से एक लिफाफा आया जिसमे दो टिकिट थे साथ ही एक पुर्जा भी था जिसमे लिखा था बताओ कलाकारों के प्रोग्राम के लिए ये टिकिट तुम्हे किसने भेजे ? टिकिट और पुर्जा देखकर पति पत्नी बड़े प्रसन्न हुए . वे नाटक देखने गए. आधी रात के बाद जब वे अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा उनके घर का सारा सामान गायब था . सोफा सेट तक गायब हो गए थे . वे हक्का बक्का रह गए . उन्होंने टेबल पर एक पुर्जा पड़ा देखा और उसे पढ़ा जिसमे लिखा था अब पता चल गया होगा कि टिकिट किसने भेजे थे.
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मनो चिकित्सक मरीज से पूछा - क्या तुम्हे कभी ऐसी आवाजे सुनाई देती है जिनके बारे में तुम बता नहीं सकते हो कि वे आवाजे कहाँ से आ रही है ?
मरीज (रोगी) - हाँ
मनो चिकित्सक - ऐसा कब होता है ?
मरीज - जब मै टेलीफोन पर बाते कर रहा होता हूँ

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