30.9.09

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला
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आओ तुम्हे चाँद पर ले जाए वहां पर प्यार भरे सपने सजाये
नई दुनिया में सपनों का महल बनाये वहां भरपूर पानी पाए.

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मै नदी किनारे इंतजार में बैठा हूँ. .कभी लहरे तो आयेगी
लहरों के इंतजार में हूँ लहरों को कभी मेरी याद आयेगी.

दुनिया जब जवां हुई मेरी जेहन में बचपन की यादे आ गई
बचपन में जो रात दिन साथ रहती थी न जाने कहाँ खो गई.

दुनिया हमेशा आबाद रहेगी चाहे हम रहे या न रहे जहान में
वो मस्त बहारे वो मस्त फिजाये वो बसी रहेगी सदा जेहन में.

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29.9.09

कुछ मस्ती ब्लागवाणी के आने की ख़ुशी में

ब्लागवाणी का २४ घंटो के लिए न रहना ब्लागिंग में ऐसे क्षण थे जिनका वर्णन करना मेरे लिए तो मुश्किल हो रहा है . ब्लागवाणी द्वारा बिना पूर्व सूचना के फीड बंद कर दिए जाने से ब्लागरो में हड़कंप की स्थिति मच गई थी . सभी हलाकान परेशान थे . यदि कलम में स्याही न हो तो क्या वह कलम चलेगी और यदि शरीर में खून न हो तो क्या शरीर चलेगा उसी तरह कुछ इस तरह की स्थिति एग्रीकेटर और ब्लॉगर के बीच की है .. इस घटना से यह सिद्ध हो गया है की एग्रीकेटर और ब्लॉगर एक दूजे के वगैर रह नहीं सकते है . ब्लागवाणी की पुनः वापिसी से ब्लागरो को फिरसे एक नई उर्जा मिली है ऐसा लग रहा है की हमारी धमनियों में फिरसे तेजीसे रक्त दौड़ने लगा है . सभी ब्लागरो को बधाई जिनकी पुरजोर आवाज जल्दी ही रंग लाइ और ब्लागवाणी फिरसे वापिस आई . कुछ चुटकुले आपकी नजर

एक बार अपने ताउजी साईकिल पर कहीं जा रहे थे एक इम्पाला कार से भिड गए . अदालत में मुक़दमा चला . जज ने वहां चालक की गलती मानकर उस पर जुर्माना ठोक दिया . जज ने फिर ताऊ की और देखते हुए कहा - आप इस हादसे में कैसे बच गए ?
ताऊ ने उत्तर दिया - भगवान मेरे साथ था
जज ने कहा - फिर साइकिल पर डबल सवारी करना कानूनन अपराध है इसीलिए तुम्हे भी जुर्माना भरना पड़ेगा .
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एक पति पीड़ित पत्नी ने जज से कहा - सर मै हर हाल में इस आदमी से तलाक लेना चाहती हूँ इसे रात दिन घोडो की रेस के सिवा कुछ याद नहीं रहता है और तो और इसे अपनी शादी की तारिख तक याद नहीं है .
पति जज से - यह सब सफ़ेद झूठ है मुझे अच्छी तरह से याद है की शादी की रात को बारह नंबर का घोड़ा जीता था
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मरते मरते गब्बर ने बसंती से कहा - तुम वीरू से शादी कर लेना ?
बसंती आश्चर्य से - लेकिन वह तो तुम्हारा जानी दुश्मन है
गब्बर बसन्ती से - हाँ बसंती मुझे उससे बदला लेना है .
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आज एक दूध की दूकान पर मै घूमते घूमते गया तो वहां दूध के भावो की सूची कुछ तरह से लिखी थी .
दूध के भाव
बिलकुल असली दूध - २२ रुपये लीटर
असली दूध - २० रुपये लीटर
दूध - १८ रुपये लीटर
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एक आदमी बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा था उसके चारो और भारी भीड़ जमा हो गई . भीड़ में से एक साहब बोले इसके मुंह में थोडी ब्रांडी डाल दो शायद होश आ जाए . उसके मुंह में ब्रांडी डाली गई तो वह आदमी थोडा हिला डुला फिर थोडा बुदबुदाया . उसकी आवाज भीड़ के शोर में गुम हो गई थी किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी . थोडी देर बाद वह आदमी हिलता डुलता हुआ खडा हुआ और यह कहते हुए फिर से बेहोश होकर गिर गया -अरे भाई कोई ब्रांडी की बात कहने वाले साहब की भी तो सुनो भाई .
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28.9.09

एकलव्य से साभार : व्यंग्य : अपने छोटे की दारू की टुन्नस में रामायण और रावण लीला

आठ दिनों से कलारी बंद थी दारू का मुंह तक देखने को नहीं मिला था बरिया के आज नौबे दिन शाम को कलारी खुल गई . अब छोटे के पाँव तो जमीन पर नहीं पड़ रहे थे . दूसरे से साईकिल उधार मांगकर झट से कलारी पहुँच गए खूब जी भरके पी. गिरते पड़ते घर लौट रहे थे की धडाम से दमोहनाका के पास एक गड्डे में गिर गए और कीचड में भिड गए . जैसे तैसे लोगो ने छोटे को गड्डे से बाहर निकाला और सड़क के किनारे बैठा दिया .

रामलीला के दिन तो चल रहे है न जाने कौन सी रामलीला की धुन छोटे को सवार हो गई और वह जोर जोर से लोगो रामायण सुनाने लगा. भारी मजमा सड़क पर इकठ्ठा हो गया था .छोटे ने अपनी रामायण कुछ इस तरह से सुनना शुरू किया ... मादर....चो..... तुम क्या जानो रामायण क्या होती है . राम और रावण में तुम लोग अंतर नहीं जानते हो . रावण बड़ा ज्ञानी ध्यानी था उसकी सोने की लंका थी . वह राक्षसों का नेता था . उस समय देवताओं का बड़ा आतंक था वे अपनी मनमर्जी से सारा काम करते थे जे बात से राक्षस लोग नाराज रहते थे .

उस समय सारी अच्छी अच्छी चीजे देवता लोग रखा करते थे और बदले में राक्षसों को दरी फट्टा पकडा देते थे . राम के भाई लक्ष्मण ने शूर्पनखा का अपहरण कर लिया था . बस इसी बात पर उन दोनों के बीच भारी युद्ध हुआ था . रावण ने लंका से एक पुल बनवाया था और उसी रास्ते से आकर उसने राम की सेना पर हमला कर दिया था और राम से शूर्पनखा को रावण छुडाकर पुष्पक विमान के द्वारा वापिस लंका ले गया था और उसने शूर्पनखा की अग्नि परीक्षा कराई थी .

तुम लोग क्या जानो .. इतने में मोहल्ले के किसी आदमी ने छोटू के ऊपर एक बाल्टी पानी लाकर डाल दिया . छोटू हडबडा कर उठ गया और आज की रामलीला यही समाप्त हो गई . आज जिसने भी दारू की टुन्नस में छोटू की यह रामायण लीला देखी सुनी होगी आज वह छोटू की उलटी रामायण देखकर सुनकर मुस्कुरा जरुर रहा होगा .
Aclavy...

एकलव्य से साभार :

26.9.09

व्यंग्य : चलो दिलदार चलो चाँद पर पानी के लिए चलो ....

ऐ चाँद तेरी सूरत में अगर भगवान की सूरत क्या होगी . रामायण महाभारत में चाँद को देवतुल्य माना गया है और उसकी पूजा आराधना की जाती है . करवा चौथ के दिन महिलाए चलनी में चाँद की सूरत देखती है . साहित्यकारों और कवियो ने चाँद की तुलना प्रेमिका प्रेमी से की है . चाँद तक पहुँचने के लिए लोगो में होड़ मची है . चाँद पर अपने यान से मानव भेजने की तैयारी कर रहा है तो कोई चाँद पर खुदाई करने की तैयारी कर रहा है .



हमारे देश के चंद्रयान ने चंद्रमा की धरती पर पानी के कणों की खोज क्या करली है और जबसे नासा ने इसरो की इस उपलब्धि पर पीठ क्या थपथपा दी है तो हमरे देश के लोग इसरो की इस उपलब्धि पर बेहद इतरा गए है . कोई कह रहा है अब चाँद पर अन्तरिक्ष यात्रियो को चंद्रमा पर पीने को पानी मिलने लगेगा तो मीडिया वाले अपनी टी. आर.पी. बढ़ाने के लिए चाँद पर कालोनी बसाने की लगातार बाते कर रहे है तीन दिन से टी.वी. वाले चाँद पर कालोनी बना रहे है..और लोगो का जोरशोर से दिमाग सडा रहे है .

यहाँ सारे देश के लोग बाग़ राष्ट्रिय गान जैसे गाना " पानी मिल गया पानी मिल गया " गा रहे है . चाँद पर पानी क्या मिल गया है जैसे पानी की समस्या का समाधान मिल गया हो और चाँद का पानी उन्हें पृथ्वी में पीने को मिल जावेगा . आगे जाकर चाँद पर खुदाई होगी तब जाकर चाँद की २० किलो मिटटी में से मात्र आधा लीटर से कम पानी निकलेगा और तब लोगो को पीने को पानी मिलेगा .

यदि सारे भारत की जनता को चाँद का पानी पिलाना पड़े तो ऐसे में पानी के चक्कर में सारे चाँद को खोदना पड़ेगा तब तो चाँद ही न बचेगा . प्रेमी प्रेमिकाओं के चाँद का अस्तित्व ही समाप्त हो जावेगा . अरे भैय्या जब अपने इस धरती के पानी को हम बचा नहीं पाते है और मौके पर जल संरक्षण नहीं कर पाते है तो अब काहे चाँद के पानी के पीछे पड़े हो . यदि चाँद न रहा तो प्रेमी प्रेमिका किस चाँद को अपने दिलो में जगह देंगे.



लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे

अपने ताऊ जी ने भी चाँद पर चाट का ठेला लगवाया था पर पानी की कमी के चलते चाट का ठेला बंद करना पड़ा . कोई कह रहा है की चलो यार चाँद पर हेलमेट का धंधा खूब चलेगा चलो चाँद पे हेलमेट की दूकान खोल लेते है . कोई कह रहा है की यहाँ के लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे उसकी बड़ी बड़ी पूंछ होगी और पूँछ के द्वारा सब कुछ डिस्चार्ज करेगा और हवा में उड़ता फिरेगा . आदमी चाँद पर जाकर खुद को आदिमानव फिरसे बनाने की तैयारी कर रहा है . . भैय्या ये सब दूर की गोटी है अपने लिए इस जनम तक... तब काहे आप पानी पानी चिल्लात हो जी .

24.9.09

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए
क्या कहें हम आपको पाकर खुशनसीब हो गए.
हम कहना चाहते थे बहुत कुछ पर कह न पाए
आपको देखे वगैर हम आपसे कुछ कह न पाए .

21.9.09

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती
तू सितम न होती अगर तो मै कलमकार न होता.
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करे और क्या शिकवा हम आपसे है हम सनम
ये चाहे जितना भी तडफाये प्रीत न होगी कम.
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आपको देखते दिल की बगिया में बहारे खिलती है
आपको खुश देखकर इस दिल को ख़ुशी मिलती है.
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तू हर ख्वाब मेरा है जुडी हर यादे तुझसे जुडी है
कम न हो तेरी खुशियाँ खुदा से दुआ कर रहा है
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15.9.09

जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए

तेरी यादे तुमसे बेहतर है तन्हाई में आ जाती है
याद जरुर आते होंगे अक्सर तुझे तन्हाइयो में.

यादो के सहारे जिन्दा है गर मर जाते जुदाई में
तेरी यादो में मै हर पल उदास खोया रहता हूँ.

कब सुबहो हुई कब शाम मुझे पता ही न चला
तेरी यादो को मैंने इस दिल से भुलाना चाहा.

इस दिल को तुम उतना ही खूब याद आये
हमें जब तेरी मोहब्बत में खूब ईनाम मिले.

और प्यार के बदले में मेरी वफ़ा को इल्जाम मिले
जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए
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10.9.09

बारिश - पहले तरसे फिर हुए बेहाल

बरसात के सीजन में इन्द्र देवता ने तरह तरह के कारनामे दिखाए . जून और जुलाई माह में लग रहा था की इस साल बहुत कम अल्प बारिश होगी . और लोगबाग मानसूनी बरसात के लिए तरस गए . तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे . सरकारी स्तर पर आगामी सूखे की स्थिति को भांपते हुए सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजना फ़ाइले बनाई गई पर(मित्र के व्यंग्य चित्रों के अनुसार} अचानक इन्द्र देवता ने फाइल गीली कर दी है. अब बाढ़ राहतो की फ़ाइले बने जा रही है . अगस्त तक मात्र बीस इंच बारिश दर्ज की गई थी . अचानक इन्द्र देव ने जोरशोर से अपना पैतरा बदला और और दनादन हो गए शुरू. तीन दिनों के अन्दर बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है . अभीतक शहर में बारिश का आंकडा ५० इंच को पार कर चुका है और अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है .

लोगबाग अब इस भीषण बारिश से बेहाल और हलाकान हो चुके है . कुंआर के महीने में अचानक तेज बारिश के कारण लोगो की जीवन की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गई है . जगह जगह सड़को पर गड्डे हो गए है और बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है . गरीब लोगो के घर मकान भी गिर गए है और खाने पीने के लाले पड़ गए है यह सब देखकर दुःख भी होता है पर ईश्वर के आगे अपनी क्या बिसात है . मौसम के कारण फ्लाईट बंद है . फेक्टरियों में पानी घुस गया है और उत्पादन कार्य प्रभावित हो गए है . खबर है की अधिक बारिश होने के कारण अभी अभी की होशंगाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है . नर्मदा उफान पर है . भगवान ने पेयजल की समस्या का निराकरण तो कर दिया है पर इस अधिक बारिश के कारण खेती तो सुधर गई है पर खेती में किसानो को लगभग ३० प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है सोयाबीन और दलहन की फसलो की नुकसान पहुँचने की अधिक संभावना आंकी गई है. चलिए अब बरसात पर एक रचना ....

रिमझिम बरसती बरसात देखकर
खेलने आ गए बच्चे सड़को पर
बता बरसते पानी तेरा क्या है इरादा
क्या घर मेरा तू गिराकर थमेगा
कड़कती हुई बिजली बरसता हुआ पानी
कम्बल से लिपटी तब तड़फती जवानी
बहता जो देखा हमने बारिश का पानी
याद आ गया बचपन और कागज की कश्ती
पड़ी जब चेहरे पर बारिश की बूंदे
सुकून दिया गजब का उस एहसास ने
बागो में खुश हो मोरनी जो नाची
तो समझ गए आज खुदा बरसायेगा पानी
हद हो चुकी अब तो थम जा ऐ बारिश
डूब गया सारा मै ही बचा हूँ.

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8.9.09

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना

न ख़ुशी है और न कोई दर्द रुकाने वाला
हमने अपना लिया है हर रंग जमने वाला.

उन्हें रुकसत क्या किया मुझे मालूम नहीं
सारा दर्द दे गया घर छोड़ के जाने वाला.

हम आपको भूल जाए इतने बेवफा नहीं
क्या गिला करे आपसे कोई गिला नहीं.

अपने गम देते मुझे कुछ सूकून तो मिले
कितने बदनसीब है जिन्हें गम नहीं मिले.

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना
सुबह होने को है...माहौल बनाए रखना.

आज खास बात है की आज रात रौशन है
हुश्न खूब रौशन है...उजाला साथ लाया है.

मेरी सांसो की खुशबू तेरे प्यार की प्यासी है
मेरी आंखे तेरे प्यार दीदार की प्यासी है।
ooooo

5.9.09

शिक्षक दिवस 5 सितंबर : मानवतावादी डाक्टर राधाकृष्णन

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान शिक्षाविद महान दार्शनिक महान वक्ता और एक अस्थावान हिंदू विचारक थे. स्वतंत्र भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति थे. डाक्टर राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप मे व्यतीत किए. उनमे एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे .उन्होने अपना जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की इच्छा व्यक्त की थी और हमारे देश मे डाक्टर राधाकृष्णन का जन्म दिन 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप में राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे. उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव दिमाग़ का सदउपयोग किया जाना संभव है.इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए.

एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है .जब देशो की नीतियो का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. शिक्षक दिवस का महत्त्व इस द्रष्टि से अत्यधिक बढ़ जाता है की हम इस दिन अपने गुरुजनों का सम्मान कर स्मरण कर लेते है की उन्ही के आशीर्वाद से हम जीवन में उन्नति और प्रगति कर सकते है. किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो ".

अंत में इस अवसर पर सभी गुरुजनों के चरणों में नमन कर उनका हार्दिक स्मरण कर रहा हूँ की जो भी हूँ या जो भी है वह उनकी असीम कृपा से है.

ॐ तस्मै गुरुवे नमः

1.9.09

चुटकुले हंसी के खजाने से सराबोर

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महाताऊ श्री एक बार निमंत्रण में ताउजी के यहाँ खाना खाने गए . महाताउश्री ने जो खाना खाना शुरू किया तो खाते चले गए और देखते ही देखते २० रोटी खा गए . ताउजी यह सब देखकर हैरत में पड़ गए सोचने लगे यदि इसी तरह से मेहमान महोदय खाना खाते रहे तो मेरा भटरा बैठ जायेगा . यह सोचकर ताउजी खिसिया गए और बोले यार तुम तो खाते ही चले जा रहे हो खाने के दौरान क्या आप पानी वगैरा नहीं लेते ?
ताऊ महाश्री - पीता हूँ मगर आधा खाना खाने के बाद.
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एक साहब ने एक पेटू पंडित को खाना खाने का निमंत्रण दिया था . पंडितजी ने भरपेट खाना खाया और अपनी तौंद पर हाथ फेरते हुए - "बस भर गई है"
साहब ने मलाई की एक प्लेट और पंडित जी के सामने रख दी - पंडित जी ने मलाई की प्लेट भी साफ़ कर दी . वाही पास में खड़े होकर ताउजी यह सब देख रहे थे उनसे रहा न गया बोले - पंडितजी अभी तो आप कह रहे थे की "बस भर गई है" फिर मलाई की प्लेट आपने कैसे साफ़ कर दी .
पंडित जी बोले - जजमान बस तो भर गई थी पर कंडेक्टर की सीट खाली थी .
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एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर से - दस साल से ब्लॉग लिखने के बाद मुझे बाद में पता चला की मुझमे सृजन शीलता की प्रतिभा बिलकुल भी नहीं है .
दूसरा मित्र ब्लॉगर - तो तुमने आखिर ब्लॉग लिखना क्यों बंद कर दिया ?
ब्लॉगर - नहीं ब्लॉग लिखना बंद करने से पहले मै काफी प्रसिद्द हो गया था .....है हे हेए .
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