30.12.09

हंसी के गुलगुले ताउजी के नाम...

साल 2009 अपने जाने की घडियों का इंतज़ार कर रहा है . सन 2010 आने को बेताब है उसके आगमन की ख़ुशी में हम क्यों न थोडा हंस ले मुस्कुरा लें . आज के चुटकुले ताउजी के नाम है .


ताउजी : आपका रेस्टोरेंट बहुत ही क्लीन है
मैनेजर : सर मै आपका बहुत ही आभारी हूँ
ताउजी : हर चीज से साबुन की बू आती है सूप से, चिकिन से, सलाद से, नान से,
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ताउजी बच्चो की क्लास ले रहे थे . एक बच्चे से उन्होंने पूछा - ब्यूटीफुल का क्या अर्थ है ?
वह बालक सकपका गया .
फिर ताउजी ने पूछा - ब्यूटी याने ? बालक - सुन्दर
ताउजी - फुल याने ? बालक - भरपूर
ताउजी - "शाबाश" हाँ अब बताओ ब्यूटीफुल का अर्थ ?
बालक - विपाशा बासु
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प्रोफ़ेसर ताउजी ने एक नव कलमकार को नसीहत देते हुए कहा - अगर किसी की राइटर की किसी पोस्ट से कोई चीज ले लो तो वह साहित्यक चोरी कहलाती है मगर कई साहित्यकारों की पोस्टो से बहुत कुछ ले लो तो वह रिसर्च
करना कहलाता है .
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प्रोफ़ेसर ताउजी बड़े भुलक्कड़ थे . हमेशा वे अपनी घडी पेंट की बांयी जेब में रखा करते थे . एक बार भूल से उन्होंने अपनी घडी पेंट की दांयी जेब में रख ली और स्कूल चले गए . स्कूल पहुँचाने पर उन्होंने समय देखने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो घडी नदारत थी वे बड़े हलकान और परेशान हो गए . उन्होंने स्कूल के एक छात्र को बुलाकार कहा जाओ जाकर मेरे घर से घडी ले आओ ? फिर पेंट की दांयी जेब में हाथ डालकर धडी निकली फिर उस छात्र से बोले - अभी दस बजकर बीस मिनिट हुआ है और तुम दस बजकर चालीस मिनिट तक वापस आ जाना .
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ताउजी ने अपने घर आये मेहमान से कहा - आ जाओ इस कुत्ते से डरो नहीं
मेहमान - क्या यह कुत्ता काटता नहीं है ?
ताउजी - अरे भाई यही तो मै परखना चाहता हूँ इसे मै आज ही खरीदकर लाया हूँ .
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एक प्रेमी दया नामक प्रेमिका के घर गया . प्रेमिका के पिता ने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - जी सब ठीक है बस आपकी दया चाहिए .

सभी ब्लागर भाई बहिनों को नववर्ष की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाये.

29.12.09

व्यंग्य - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

ये देश कलमबाजो का देश है जहाँ पुन्य आत्माए जन्म लेती है . भगवान ने इन्हें चिटठा नगरिया में रहने जगह क्या दे दी ये अब कलमबाजो के अघोषित भगवान बन गए है .

यहाँ के हर जीव एक दूसरे को अपनी पोस्टो से जोड़ लेते है .

ये जीव प्रेम प्रसंगों से लेकर घुड़का बाजी तक पोस्ट लिखने में माहिर है और समय समय पर अपनी टीप उलीचकर अपने प्रेम का इजहार करते रहते है .

ये नव कलमकार को घुड़क कर यदा कदा अपना प्रेम उलीचते रहते है और स्नेहिल आशीर्वाद प्रदान करते रहते है ..

इनकी पहचान निम्न पंक्तियों से की जा सकती है .

रांड सांड सीढ़ी सन्यासी इनसे बचे तो सेवे चिटठा नगरी

और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा कुछ इस प्रकार से भी की जा सकती है .

शूकर घुरके भौंके श्वान मारग रोके सांड सुजान

कलियुग कथा कहाँ लोउ बरनो जहँ तहं डोलत है चिटठाकार


उपरोक्त सभी प्रकार के कलमकार या चिटठाकार इस चिटठा नगरी के निवासी है . ये कन....खजूरे टाइप के है . ये प्राय एक समूह में रहते है .

ये अपने प्रेम का इजहार कलम से भौंक कर घुड़क कर करते है और जिस दिन ये चिटठा नगरी छोड़ देंगे उस दिन उनकी कलम की स्याही ख़त्म हो जावेगी और चिटठा नगरी के कलमकार उनकी भौंक और घुरके की आवाज सुनने से वंचित रह जावेंगे.

ये इस नगरी के उज्जवल प्रकाश पुंज है और इनका सीधे एग्रीक्रेटर से सम्बन्ध है इसीलिए वे कलमकारों के पूज्यनीय और वन्दनीय है .

श्वान रूपी चिटठाकार भैरव का शूकर रूपी चिटठाकार बराह अवतार का रूप है जिनकी खीसो पर सारा चिटठाजगत टंगा हुआ है .

एक जगह मैंने पढ़ा है की ""सांड सिंगानिया और मर्द मुछाड़ियाँ""" सांड जिस पर कृपा करें वो कलमकार सीधे स्वर्ग पहुँच जाता है और शूकर जिस पर घुरके वो चिटठालोक ही छोड़ देता है.

क्रमश :व्यंग्य-कल आगे प्रतीक्षा करें...

व्यंग्य भाग -दो- - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

शूकर और श्वान एवं सांड मुछाडिया प्रवृति के ये कलमकार जीव साहित्य समाज में चाहुनोर बखूबी देखे जा सकते है .

चिटठानगरी के कलमकार कुछ सांड मुछाड़ियाँ प्रवृति के होते है जो इस नगरी को अपनी उछल कूद का स्थल बनाए रहते है और समय और असमय अपने नथुने फुलाए रहते है . शूकर श्वान और सांड अपने अपने कर्मो के कारण इस जगत में अपनी अपनी अहमियत बनाए रहते है .

चिटठाकारिता पे शूकर घुरक देता है और अपनी आदत के मुताबिक कलमकारों के क्षेत्र में गन्दगी फैलाता रहता है . श्वान इस पर समय असमय भौंकता रहता है . ये जीव नेट जगत में आवारागर्दी करते रहते है पहले इन पर थोडा प्रतिबन्ध था पर जबसे इस जगत में इनकी भीड़ बढ़ गई है इनकी स्वेच्छा चरिता बढ़ गई है .

जब तक ये दुनिया में रहेंगे इनपर प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल दिखता है .

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26.12.09

हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि हमारे कितने हितैषी है ?

हमारे देश की चुने हुए जनप्रतिनिधियो की कितनी बड़ी फौज है . विगत दिनों मंहगाई के मुद्दे पर संसद में मात्र ४७ सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो इस बात को दर्शाता है की हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर गरीबो के कितने हितैषी है . आज के समय निर्वाचित राज नेता सिर्फ दिखावे के लिए गरीबो की झोपड़ी में एक रात बिताते है और दिखाने के लिए उस घर के गरीब सदस्यों के साथ सूखी रोटी खाते है . ये राजनेता यदि गरीबो के बर्तन झांक कर देखे जोकि इस भीषण मंहगाई के कारण खाली दिखेंगे. उन गरीबो के गरीबां में झांककर देखें जो गरीब दिन भर भारी मेहनत कर साठ से अस्सी रुपये मात्र एक दिन में कमाता है वह गरीब अस्सी और रुपये कीमत वाली दाल कैसे खरीद सकता है यदि उसने दाल खरीद भी ली तो उसे और उसके परिवार वालो को सब्जी भाजी खरीदने के लाले पड़ जाते है . इस स्थिति में परिवार का लालन पोषण करना तो छोडिये गरीब खुद का पेट भी पालना मुश्किल हो जाता है . गरीब रहकर जीवित है वे, यही ईश्वर की मेहरबानी है .

इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को शर्म आना चाहिए यदि पूरी संसद इस मुद्दे पर एकजुट हो जाए तो मंहगाई कम हो सकती है . इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को यह नहीं भूलना चाहिए की उन्हें जो खाना कपडे जूते और रहने के लिए जो छाया मिल रही है उन सबके पीछे मेहनतकश गरीब जनता का हाथ होता है . शर्म करो हे चुने हुए नेताओं किसी गरीब के घर एक दिन क्या रहते हो असल में हितैषी हो तो किसी गरीब के झोपड़े में साल भर रहो नहीं तो गरीबो का हितैषी होने का ढोंग रचना छोड़ दो .

23.12.09

टूटे दिल की आस : हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से

मेरी हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से
मेरी हर रात यूं कटती है ओ जानम तेरी याद में.
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जानम कुर्बान हम तेरी प्यारी सूरत देख कर हो गए
तुमसे मोहब्बत करके जानम हम बदनाम हो गए.
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तेरा करते करते इंतज़ार सारी जिन्दगी गुजर गई
आपसे एक अर्ज है आशियाँ इस दिल को बना लो.

18.12.09

जोग - ताउजी और महाताउश्री और डाक्टर झटका के कारनामे

प्रसूतिग्रह के डाक्टरों की सभा चल रही थी . सभा में परिचर्चा का मुख्य विषय था " साहित्य और साहित्यक वातावरण का गर्भिणी पर प्रभाव ".
परिचर्चा में चर्चा करते हुए डाक्टर ताऊ महाश्री ने कहा - साहित्य का तो मैंने प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है एक बार मैंने एक पेसेंट को " दो बेटी " नामक पुस्तक पढ़ने दी बाद में उस महिला को दो लड़कियाँ पैदा हुई .
डाक्टर ताउजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - मै आपकी बातो का समर्थन करता हूँ मैंने भी एक स्त्री को " तीन तिलंगे " नामक पुस्तक पढ़ने दी थी बाद में परिणामस्वरूप उस स्त्री के यहाँ तीन तीन लफंगे उप्रद्रव करने आ टपके .
इसी परिचर्चा के बीच डाक्टर झटका अचानक परिचर्चा छोड़ कर जाने लगे तो डाक्टर ताऊ महाश्री और डाक्टर ताउजी ने पूछा - डाक्टर झटका अचानक आप मीटिंग से क्यों जा रहे है ?
डाक्टर झटका ने उत्तर दिया - ओह बादशाहों मेरी तो मती मारी गई है मेरी बीबी के पाँव भारी है अरे मैं उसे " अलीबाबा चालीस चोर " पुस्तक पढ़ने के लिए देकर आया हूँ .
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एक बार ताउजी एक रेल के डिब्बे में सफ़र कर रहे थे . उस डिब्बे में स्त्रियों की संख्या अधिक थी . आदत के मुताबिक वहां उपस्थित हर महिला अपनी उम्र कम करके बता रही थी .
पचास वर्षीय बिंना ने अपनी उम्र पैतीस वर्ष बतलाई . तो शब्बो जी ने कहा अभी वो पच्चीस की दहलीज पर चल रही है . मैडम झिन्गालैला ने कहा - अभी तो वो बस बीस की ही है . झलकन बाई ने कहा - ये तो सब ठीक है अभी मै सोलह की भी नहीं हुई हूँ.
ताउजी उपरी बर्थ पर लेटे थे और उन स्त्रियों की बातो को बड़े ध्यान से सुन रहे थे . अब उनसे रहा नहीं गया और वे अचानक उपरी बर्थ से नीचे कूद पड़े. नीचे उपस्थित स्त्रियाँ अचकचा गई और ताउजी को डाँटते हुए कहा - अरे तुम कहाँ से आ गए ?
ताउजी ने विनम्र शब्दों में उत्तर दिया - अभी अभी पैदा हुआ हूँ .
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एक बार ताउजी भारत भ्रमण पर निकले और अपने मित्र डाक्टर झटका के साथ मुंबई पहुंचे . ताउजी सर उठाकर एक ऊँची इमारत को देख रहे थे उसी समय वहां एक ठग पहुंचा और ताउजी से बोला - ए क्या देख रहो हो तुम्हे मालूम नहीं है की ये मुंबई है यहाँ हर चीज को देखने के लिए रुपये लगते है .
ताउजी ने कहा - मै उस ईमारत की दूसरी मंजिल देख रहा हूँ . उस ठग ने ताउजी से कहा - अच्छा तो चलो चार रुपये निकालो . ताउजी ने उस ठग को चार रुपये दे दिए . ठग रुपये लेकर चला गया .
ताउजी ने अपने मित्र डाक्टर झटका से कहा - मैंने तो सुना था की मुंबई में बहुत ठग रहते है मगर देखो मैंने उसे कैसे ठग लिया . डाक्टर झटका ने ताऊ जी से पूछा - वो कैसे ?
ताउजी ने उत्तर दिया - असल में मै उस ईमारत की चौथी मंजिल देख रहा था . अगर मै उस व्यक्ति से चौथी मंजिल देखने की बात बताता तो वह आदमी मुझसे आठ रुपये चौथी मंजिल देखने के न ले लेता .
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एक बार ताउजी ने अपने पुलिस अफसर से पूछा - अगर कोई पुलिस वाला अपनी डियूटी अच्छी तरह से नहीं करता है तो आप उसे क्या सजा देते है ?
पुलिस अफसर ने उत्तर दिया - ऐसे पुलिस वालो के हम नाम नोट कर लेते है . जब नगर में कोई कवि सम्मेलन, धरना प्रदर्शन होता है तो ऐसे पुलिस वालो की डियूटी हम वहां लगा देते है .
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एक आदमी कुआ खोद रहा था . काफी गहरा गढ्ढा हो गया था . उस गहरे गढ्ढे में वह आदमी गिर गया . उसने बहुत निकलने की कोशिश की पर निकल नहीं पाया . शाम हो गई अँधेरा हो गया था जोरदार ठण्ड पड़ रही थी . उस आदमी ने जोर जोर से आवाजे लगाना शुरू कर दिया अरे कोई मुझे बचालो.....अरे भाई बचालो ... तभी वहां से डाक्टर झटका निकले - उन्होंने अँधेरे में झांककर देखने की कोशिश की . गढ्ढे के अन्दर से आवाज आ रही थी - खुदा के वास्ते मुझे बाहर निकालो . मै ठण्ड के मारे मरा जा रहा हूँ . डाक्टर झटका ने गढ्ढे में झांककर कहा - ठण्ड तो तुम्हे लगेगी ही भाई . लोग तुम पर मिटटी डालना भूल गए है .

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16.12.09

ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती....

काश इस सुहाने मौसम में तुम आ जाती
ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती.
*
तेरी आँखों से एक मुद्दत से नहीं पी है
तेरी अंगड़ाई देखें बरसों गुजर गए है.
*
मेरी ये जिंदगी तेरे वगैर गुजर रही है
मेरी परछाई मुझे ही अब डराने लगी है.
*

14.12.09

मेरी इन आँखों में बसे सारे ख्बाब तुम ले जाओ


मेरी इन आँखों में बसे सारे ख्बाब तुम ले जाओ
दिल में धड़कते सभी अरमां आकर तुम ले जाओ.
**
मेरी दुनिया में तुमको लौट कर आना ही नहीं है
सारे ख़त लौटा दो आकर अपने जबाब ले जाओ.
**
आखिर भरी दुनिया में दिल को बहलाने कहाँ जाये
उनसे मोहब्बत हो गई चाहने वाले दीवाने कहाँ जाए.
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12.12.09

यात्रा संस्मरण : ग्वालियर का भव्य अनोखा सूर्य मंदिर

  • विगत सप्ताह मुझे ग्वालियर जाने का अवसर प्राप्त हुआ वैसे तो ग्वालियर शहर ऐतिहासिक है और अपने साथ कई दुर्लभ यादगारे संजोये है. ग्वालियर में राजा मानसिह का किला और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधी है और भी कई दर्शनीय स्थान है. इस बार मुझे ग्वालियर में भव्य सूर्य मंदिर का अवलोकन करने का मौका मिला. सूर्य मंदिर का पट दिन में ठीक बारह बजे बंद कर दिया जाता है. बारह बजने को दस मिनिट शेष थे तब मै विलम्ब से इस मंदिर में पहुंचा.

सूर्य मन्दिर का प्रवेश सिह द्वार


सूर्य मन्दिर का सामने से लिया गया फोटो


सूर्य मन्दिर के रथ के पहिये

इस मंदिर को बिड़ला स्मृति में बनवाया गया . आम बोलचाल में बिड़ला जी का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की भव्यता बस देखते ही बनती है. यह मंदिर अदभुत कलाकृति का अनुपम उदाहरण है. मंदिर की बाहय दीवारों पर धार्मिक देवी देवताओ की, महापुरुषों और साधू संतो के नाम सहित मूर्तियाँ उकेरी गई है. मंदिर के चारो तरह ख़ूबसूरत मनोरम हरियाली लिए विशाल बगीचा है. सूर्य मंदिर एक रथ सहित विशाल आकृति लिए बनाया गया है. सूर्य भगवान के रथ को साथ घोड़े जोत रहे है. रथ के पहिये बनाये गए है. मंदिर के भीतर सूर्य भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो सूर्योदय से लेकर सूर्य के अस्ताचल होने तक सूर्य की किरणों से आलोकित रहती है जो इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता है.


मन्दिर की दीवारों पर हिन्दू धार्मिक देवी देवताओ की मूर्तियाँ उकेरी गई है एवं प्रत्येक देवी संतो और महापुरुषों के नाम भी उकेरे गए है .


सूर्यमंदिर के निचले हिस्से में सूर्य भगवान के रथ के पहिये द्रष्टव्य है .


सूर्य मन्दिर का भव्य उपरी हिस्सा अनुपम बेजोड़ कारीगिरी का नायाब नमूना


सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो .




सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो जिसमे सूर्य भगवान के रथ में जुटे हुए घोड़े सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़े जोते जाते थे.


अवकाश के दिनों में काफी दूर दूर से दर्शक इस मन्दिर को देखने आते है .






सूर्य मन्दिर की बाहरी दीवार पर भगवान शिव और पारवती की पत्थरो पर उकेरी गई भव्य प्रतिमा

मुख्य सूर्य मन्दिर के पूर्व दिशा में स्थापित सूर्य भगवान का एक मन्दिर

मन्दिर की गुम्बज की चारो दिशाओ में उपरी हिस्सों में विशाल शीशे लगाए गए है जिनमे से सूर्य की किरणे परिवर्तित होकर मंदिर के अन्दर स्थापित भगवान सूर्य के प्रतिमा सीधे पड़ती है जिसके कारण सूर्य भगवान की प्रतिमा प्रकाशमान दिखती रहती है और सूर्य किरणों से आलोकित होकर चमकती रहती है जो अदभुत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है और दर्शनीय है . भगवान सूर्यदेव की मूर्ती का दर्शन करते समय खुद अपने आप में अनोखी उर्जा के प्रवेश होने का अनुभव होता है.




मन्दिर के चारो और ख़ूबसूरत बाग़ है जिसमे चारो और फैली हरियाली मनमोहक है जिसे निहार कर काफी मानसिक शान्ति का अनुभव होता है . चूंकि मंदिर के नियमो के अनुसार मंदिर परिसर के अन्दर स्थित भगवान सूर्य देव की प्रतिमा की फोटो उतारना मना है इसीलिए मैंने दिव्य भगवान सूर्य देव की मूर्ती की फोटो अपने कैमरे से नहीं उतारी. मंदिर के बाहरी द्रश्यो की फोटो अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ.

ॐ सूर्य देव्यो नमः

10.12.09

कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले जोग....

बहुत दिनों से कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले वाली पोस्टे पढ़ने को मिल नहीं रही थी इसीलिए मैंने सोचा की कुछ हंसाने की लिखी जाए तो उदास मन में मुस्कराहट बिखेर दे और ताजगी की उमंग पैदा कर दे.. इसी तारतम्य में कुछ जोग ...

पति पत्नी से - क्या कारण है की तुम आजकल मुझसे ज्यादा कुत्ते पर फ़िदा हो ?
पत्नी - कम से कम वह तुम्हारी तरह भौकता तो नहीं है.
***

नई नई बीबी अपने पति से मुस्कुराकर बोली - जानते हो मैंने सोलह दिन केवल तुलसी के पत्ते खाकर गुजारे और दो सालो तक लगातार प्रयेक शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत किया तब कही जाकर आपको पति रूप में पाया.
पति - अगर यह सब न करती तो ?
पत्नी ने उत्तर दिया - धत तेरे की समझे नहीं तो कोई आपसे भी गया गुजरा मेरे पल्ले में पड़ता.
***

एक बीबी चटकारे ले लेकर अपनी दूसरी सहेली से कह रही थी अरे तुझे मालूम है मेरे पति की रात को देर से घर लौटने की बुरी आदत थी वह मैंने छुड़ा दी .
सहेली - वह कैसे ?
बीबी - एक रोज वो रात को बारह बजे घर लौटा तो मैंने जोर से आवाज लगाकर कहा क्या बात है मोहन आज तुमने आने में देर कर दी इसके बाद मेरा पति दिन डूबने के पहले घर आने लगा .
सहेली - यह सब कैसे संभव हो गया ?
बीबी - दरअसल मेरे पति का नाम मनोहर है .
***

एक सहेली दूसरी सहेली से - क्या तुम्हारे पति तुम्हे अब भी कांटते है ?
पहली सहेली - नहीं
दूसरी सहेली पहली से - अच्छा तो उनकी काटने की आदत अब छूट गई होगी .
पहली सहेली दूसरी से - नहीं दरअसल उनके दांत अब टूट गए हैं.
***

एक दिन ताउजी ने भारतीय रेल को धोका देने की सोची क्योकि वह कुछ नया ही करना चाहता थे. उन्होंने एक आइडिया सोचा . उन्होंने एक टिकट खरीदा पर रेल में बैठे ही नहीं .
***

एक आदमी अपने पन्द्रह बच्चो के साथ उन्हें जिराफ दिखाने के लिए चिड़िया घर गया और दरबान से कहा इन सब बच्चो को मै जिराफ दिखलाना चाहता हूँ
दरबान ने हैरत से उस आदमी को देखते हुए कहा - ये सारे बच्चे तुम्हारे है . उस आदमी ने कहा - हाँ
दरबान ने कहा - तो तुम लोग यही ठहरो मै जिराफ को यही ले आता हूँ वह तुम लोगो को देख लेगा.
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प्रेमी अपनी प्रेमिका से - आजकल मेरी शादी के लिए कार वालो के रिश्ते आ रहे है अगर तुम्हारे पिता कार दे सके तो मै तभी शादी करूँगा .
प्रेमिका प्रेमी से - मेरे पिता तुम्हे रेलगाड़ी भी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो करो .
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9.12.09

जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है

चार दिनों की ये जिन्दगी मिलती है उधार
आंचल में खुशियाँ हो...तो आती है बहार
गर दिल को मिले आंसू और काँटों का हार
तो अक्सर प्यार की होती है...करारी हार
ये शाम फिर से अजनबी सी लगने लगी है
हरी भरी ये जिन्दगी वीरान लगने लगी है
जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है
न चाहकर भी दिल को बैचेन बना देती है
मेरे घरौदे की दहलीज पर वो कदम रखेंगे
बात कहने से पहले मुझे बहुत याद करेंगे।
oooooo

1.12.09

स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता

कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा . स्वैछिक सेवानिवृति के अवसर पर कार्यालयीन अधिकारियो और सहकमियो द्वारा सम्मान में बिदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर अधीक्षण यंत्री, संभागीय अभियंता और परीक्षण संभाग जबलपुर के कर्मचारी उपस्थित थे .

परीक्षण और संचार वृत के अधीक्षण अभियंता माननीय ठाकुर साहब ने अपने उदबोधन में कहा मिश्र एक कर्मठ और सुयोग्य है ..कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सम्पादित करते है...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मिश्र इतनी जल्दी सेवानिवृति ले लेंगे. संभागीय अभियंता श्री खरे ने कहा की श्री मिश्र सेवानिवृति के उपरांत फुरसत में नहीं बैठेंगे ... इस अवसर पर सभी ने मंगलमय उज्जवल भविष्य की कामना की और भावभीनी बिदाई दी .

गृह निवास पर स्वल्पाहार का आयोजन किया गया. स्वैच्छिक सेवानिवृति के अवसर पर कुछ फोटो लिए गए है जोकि अवलोकनार्थ प्रस्तुत है. कल तक व्यस्त था ... आज अपने आपको स्वछंद महसूस कर रहा हूँ और महसूस कर रहा हूँ की मै अब किसी का चाकर नहीं हूँ और आजाद हूँ ... स्वतंत्रता के साथ साँस ले सकता हूँ और आजादी से अब घूम फिर सकता हूँ .


कार्यालय से बिदाई आयोजन के बाद घर की और रवानगी ..
एक नन्ही बच्ची "टिया " ने आकर मेरा हाथ थामा

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....एवं बाजू में खड़े कार्यपालन अभियंता श्री मनीष खरे बांयी और



कार्यालय के बाहर मुझे रिसीव करने आये परिवारजन एवं---स्नेही जन

कार्यालय में रिसीव करने आये स्नेही जन...



मेरे निवास में उपस्थित जबलपुर शहर के कवि साहित्यकार और अनेक संस्थाओं से जुड़े ब्लागार भाई डाक्टर
विजय तिवारी
"किसलय" जी

निवास में उपस्थित स्नेही जन..

निवास में उपस्थित स्टेट बार कौंसिल हाईकोर्ट जबलपुर की अनुभाग प्रभारी श्रीमती अंजू निगम और सलमा बेगम...के साथ छायाचित्र


मेरे मित्र मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव नलिनकान्त बाजपेई (जनसत्ता).. नौकरी के बाद भी साथ नहीं छूटेगा .....
गृह प्रवेश पर जब मेरी चाची जी ने मेरा सम्मान किया .....


जबलपुर सेन्ट्रल जेल और मिलेट्री जेल के मौलाना हाजी कारी काजी अब्दुल लतीफ़ कादरी जी ने श्री फल और शाल से सम्मानित किया.


कार्यालय से बिदाई के पश्चात मेरे निवास में उपस्थित मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के एफ.डी.ठाकुर साहब अधीक्षण अभियंता (परीक्षण और संचार)जबलपुर , श्री निगम संभागीय अभियंता और श्री मनीष खरे संभागीय अभियंता परीक्षण संभाग १ मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड जबलपुर.....

घर में मेरे बेटे मयूर मिश्र ने पुष्पाहार से सम्मान किया और कहा बस पापा अब मै....सुनकर आंखे नम हो गई की मेरा बाजू तैयार हो गया है .

निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन .
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन..और मै...
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन....और मै...

यूं0के0 से आये मेरे भांजे अमित मिश्र ने पुष्पाहार से मेरा सम्मान किया .....

स्वैच्छिक सेवानिवृति पर ये बहुत खुश है...मेरी पत्नी मांडवी मिश्र(बांये)और उसकी सहेली.

सम्मान के ये क्षण....


मयूर मिश्र,मोनू चौरसिया और वरुण