29.3.10

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

आज सुबह से फुरसत नहीं मिली दिनभर यहाँ वहां बेमतलब घूमता रहा अचानक उड़नखटोला फिल्म का ये गीत जिसे रफ़ी साहब ने गया है को सुनकर तत्काल दिमाग में आया की क्यों न इसे लेकर ब्लागिंग के ऊपर एक परोडी लिख दी जाए तो वह जम भी गई और लिख भी गई प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद ही आपको पसंद आये .

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के
यहाँ जो भी आया वह रह गया कलम घिसके

न किसी ने पाई यहाँ मोहब्बत की मंजिल
कुछ दिन लिख्खा कदम डगमगाए आगे बढ़के
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

हम ढूँढते है यहाँ ब्लागिंग में बहारो की दुनिया
अरे कहाँ आ गए हम रह गए दलदल में फंसके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

कहीं टूट न जाए आगे जाकर ब्लागिंग का सपना
ब्लागिंग में पोस्टो न फेंकों किसी को निशाना बनाके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

27.3.10

ए गनपत जरा इंटरनेट तो खोल ए गनपत जरा ब्लाग तो खोल

ए गनपत जरा इंटरनेट तो खोल ए गनपत जरा ब्लाग तो खोल
ए गनपत जरा जोरदार पोस्ट तो लिख रे
ए गनपत के रे फिर से देख इस पोस्ट पर कितनी पोस्ट आई रे
ए गनपत नहीं आती हैं तो तू भी टिप्पणी धकेल रे तब तो बाबा लोग आयेगा रे
ए गनपत टिप्पणी नहीं आती है तो किसी खासे से पंगा ले न रे तेरी पूछ बढ़ जायेगी रे
ए गनपत जरा धर्म पर पोस्ट लिख दूसरो की भी धो और अपनी भी धुलवा रे
ए गनपत ज्ञानी है तो अपना ज्ञान और कहीं रे बघार इतनी बड़ी दुनिया पड़ी है रे
ए गनपत लोग लुगाई के झगड़े में न पड़ना रे नहीं तो खाट भी न रहेगी रे
ए गनपत तू तो बड़ा टॉप क्लास ब्लॉगर है रे तू तो टिप्पणी देना पसंद नहीं करता है रे
ए गनपत ब्लॉग पे तू अपनी ढपली अपना राग अलाप रे फटेला नहीं का समझे रे
ए गनपत चम्मचो के मकड़जाल में न पड़ना रे
ए गनपत जरा चैटिंग कर लिया कर रे
ए गनपत दूसरो की वैसाखियों पर न चल रे बाबा
ए गनपत तू तो एग्रीकेटर बन गयेला रे अब तो तेरी मर्जी चलती है रे .
ए गनपत अखबारों की पोस्ट ब्लॉग में छाप रे और पसंदगी पे चटका लगवा और आगे बढ़ रे रेटिंग के शिखर में .
ए गनपत तेरे को टॉप २० में नहीं रहना है क्या रे .

.......

26.3.10

बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के स्वयंभू अध्यक्ष महोदय ....के नाम एक चिट्ठी

बडे ही दुखित मन से मैंने दादाजी के बुढऊ कहने पर गुस्से से एक पोस्ट फेंक कर मारी थी जिसे पढ़कर बुढऊ लोग भी पसीज गए थे और आनन फानन में ताउजी ने बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन की स्थापना की घोषणा कर दी तो बुढऊ लोगो में एक आशा की लहर जाग उठी की दुनिया में कोई उनका अपना हितेषी भी है और बुढऊ लोगो ने ब्लागर्स एसोसियेशन की स्थापना को हाथोहाथ लिए और अपने पोपचे मुंह से इसे स्वागतयोग्य कदम बताया और चाहुऔर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की बस हमारे ताउजी को मौके का इंतज़ार था वे बिना किसी चुनाव के स्वयं भू अध्यक्ष बन बैठे और मुझे भी अपनी मंडली में घसीटकर बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन का सचिव सेकेटरी नियुक्त कर दिया और हम दोनों अध्यक्ष और सचिव सारे दिन बुढऊ लोगो की खोजबीन करते रहें पर वह दिन निराशा में गुजर गया और हम दोनों को कोई बुढऊ नहीं मिला और हम लोग हाथ मलते रहें .


बड़े खुश होकर स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के कार्यालय में बैठकर हुक्का गुडगुडाते रहे और एजेंडा घोषित करने के नाम पर सारे बुढऊ लोगो को तरह तरह के सुनहरे सपने नेताओं की तरह दिखलाये और बिना बताये फरार हो गए . अभी तक बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी द्वारा कोई एजेंडा घोषित नहीं किया गया और चुपचाप न जाने कहाँ कथरी ओढ़कर छिप कर बैठ गए है इससे बुढऊ लोगो में अफरा तफरी और भगदड़ का माहौल बन गया है और एक एक कर सारे बुढऊ जो एक झंडे के तले इकठ्ठे हो रहे थे अब धीरे धीर फूटने लगे हैं और मै फंस गया हूँ जिसे दादाजी ने असमय बुढऊ बनवा दिया और मौके का फायदा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए हमारे स्वयं भू अध्यक्ष महोदय ने उठाया और खुद अध्यक्ष बन बैठे .

अभी जिन बूढों ने छटवां पन पार नहीं किया है उन लोगो को बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन से बड़ी आशा जागी है की यह एसोसियेशन भविष्य में उनके लिए कुछ न कुछ जरुर करेगा और जिन युवाओं को भविष्य में बूढा होना है वे भी इस एसोसियेशन में भरी रूचि दिखा रहें है की भविष्य में वे जब बूढ़े होंगे यह एसोसियेशन उनके लिए उपयोगी और मददगार रहेगा और बूढों के लिए कल्याणकारी योजनाये आगे जाकर क्रियान्वित करेगा .

अतः हे बुजुर्ग श्रेष्ठ स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी आप जहाँ भी हो जल्दी प्रगट हो और बूढों के हित में कल्याणकारी योजनाओं का एजेंडा सहित खुलासा करें . यहाँ हो रहे बूढें ने एकमतेन संकल्प पारित किया है की यदि स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी मीटिंग में उपस्थित होकर एजेंडा घोषित नहीं करते हैं और इस मंडली में उपस्थित नहीं होते हैं तो उपस्थित बुढऊ लोगो के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जावेगा और सजा के तौर पर आपको एक ही दिन में बुढऊ लोगो के हित में सारे एजेंडे कार्ययोजना के साथ प्रस्तुत करने होंगे ...

रिमार्क - पोस्ट मात्र हँसने हँसाने के उद्देश्य से . किसी को दुखी करने का कोई इरादा नहीं है .
महेन्द्र मिश्र

23.3.10

महान क्रान्तिकारी वीर शहीद भगत सिह और उनके विचार जयंती अवसर पर .....

आज शहीद भगत सिह की जयंती के अवसर पर भारत ही नही पूरा विश्व जगमगा रहा है.


भगत सिह ने लिखा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनके विचारो को हमारे देश के नौजवान मार्गदर्शक के रूप मे लेंगे . भगत सिह के शब्दो मे क्रांति का अर्थ है, क्रांति जनता द्वारा जनता के हित मे और दूसरे शब्दो मे 98 प्रतिशत जनता के लिए स्वराज जनता द्वारा जनता के लिए है . भगत सिह जी का यह कहना था की अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए रूसी नवयुवको क़ी तरह हमारे देश के नौजवानो को अपना बहुमूल्य जीवन गाँवो मे बिताना पड़ेगा और लोगो को यह समझाना पड़ेगा क़ी क्रांति क्या होती है और उन्हें यह समझना पड़ेगा क़ी क्रांति का मतलब मालिको क़ी तब्दीली नही होगी और उसका अर्थ होगा एक नई व्यवस्था का जन्म एक नई राजसत्ता का जन्म होगा . यह एक दिन एक साल का काम नही है . कई दशको का बलिदान ही जनता को इस महान कार्य के लिए तत्पर कर सकता है,और इस कार्य को केवल क्रांतिकारी युवक ही पूरा कर सकते है .

क्रांतिकारी का मतलब बम और पिस्तौल से नही है वरन अपने देश को पराधीनता और गुलामी की जंजीरों से मुक्त और आज़ाद कराना है . भगत सिह क्रांतिकारी क़ी तरह अपने देश को आज़ाद कराने क़ी भावना दिल मे लिए स्वतंत्रता आंदोलन मे शामिल हुए थे . भगत सिह को इन्क़लाबी शिक्षा घर के दहलीज पर प्राप्त हुई थी. भगत सिह के परिवारिक सॅस्कार पूरी तरह से अंग्रेज़ो के खिलाफ़ थे. हर हिंदुस्तानी के मे यह भावना थी क़ी किसी तरह अंगरज़ो को हिंदुस्तान से बाहर किसी तरह खदेड़ दिया जाए . जब भगत सिह को फाँसी क़ी सज़ा सुनाई गई थी उन्होंने अपने देश क़ी आज़ादी के लिए हँसते हँसते फाँसी पर झूल जाना पसंद किया और उन्होने अपने देश के लिए अपने प्राणों क़ी क़ुर्बानी दे दी . सरदार भगत सिह ने छोटी उम्र मे अपने प्राणों क़ी क़ुरबानी देकर देश के नवयुवको के सामने मिसाल क़ायम क़ी है, जिससे देश के नवयुवको को प्रेरणा ग्रहण करना चाहिए.

भारत के महान क्रांतिकारी महान वीर क्रान्तिकारी शहीद भगत सिह को शत शत नमन.

20.3.10

दिल की हर धड़कन को मै कैसे इस ख़त में लिखता हूँ

दिल का हाल मै लिखता हूँ हो सके तो यकीन कर लो
मै तुझे तेरे ख़त लौटाता हूँ अगर हो सके तो दिल दे दो.
दिल की हर धड़कन को मै कैसे इस ख़त में लिखता हूँ
इस बैचैन दिल की धड़कनें शब्दों में कैसे लिख सकता हूँ.
तूने दिल से मुझे ख़त लिखा..मैंने कब इनकार किया है
तेरा ख़त पढ़ा है तुझे सीने से लगाने को दिल चाहता है.

महेंद्र मिश्र ...

17.3.10

बढ़ती नकाब संस्कृति पर विचार...

जब मैं बहुत छोटा था उस समय महिलाये बड़े बुजुर्गो का मान सम्मान करने के लिए घूंघट का सहारा लिया करती थी . समय बदलने के साथ साथ लोगों की विचारधारा में परिवर्तन हुए आज स्थिति यह है की जगह जगह घूंघट की जगह लडके और लड़कियों में नकाब पहिनने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है .



ठण्ड के दिन हों या गरमी के दिन हों लडके और लड़कियाँ पूरा चेहरा ढांक कर घर से बाहर निकलते हैं . गली में सड़कों पर ऐसे बहुत से नकाब धारी देखने को मिल जाते हैं . बढ़ती नकाबपोशी के सम्बन्ध में मैंने कई बुजुर्ग लोगो से उनके विचार जानने चाहे और सभी ने इस बढ़ती नकाबपोशी पर अपने विचार कुछ इस तरह से प्रस्तुत किये जो इस तरह से हैं .

एक बुजुर्ग ने तीव्र रोष प्रगट करते हुए कहा की इन नकाबधारियो की पहिचान करना मुश्किल है की वह लड़की है अथवा लड़का है . कई लोग नकाब पहिनकर अपराध करते हैं जिससे मौके पर उनकी पहिचान करना मुश्किल हो जाता है . कई लडके और लड़कियाँ नकाब पहिनकर तौलिये से पूरा चेहरा ढांककर गलत कामो को अंजाम देते हैं . आजकल आधुनिकता की दौड़ में कई लडके और लड़कियाँ पूरा चेहरा ढांककर लिपटकर बाइक पर तेजी से निकल जाते हैं तो परिवारजन भी उस समय उन्हें पहिचान नहीं पाते है और नकाब की आड़ में लडके और लड़कियों क्या कर रहे हैं और कहाँ जा रहे हैं यह परिवारजन भी अनुमान नहीं लगा सकते हैं .



इस सम्बन्ध में मैंने लड़कियों से भी चर्चा की और उनके विचार जाने की कोशिश की तो नाम न छापने की शर्त उन्होंने अपने विचार कुछ इस तरह से दिए . एक लड़की ने कहा इसे पहिनने से धूप में चेहरे की त्वचा जलती नहीं हैं और त्वचा काली नहीं पड़ती हैं .

एक बहिन जी और वहां खडी थी उनका कलर कुछ काला था उनसे मैंने पूछा बहिन जी आप वैसे ही काली है और भगवान ने आपको काली त्वचा प्रदान की है तो आप नकाब से चेहरा और हाथपोस वगैरा क्यों ढांक कर रखती हैं तो बहिन जी ने उत्तर दिए वगैर अपनी आंखे ततेर दी .

एक अन्य बहिन जी ने कहा चेहरा ढांककर चलने से रास्ते में शोहदे छेड़ते नहीं हैं कम से कम नकाब पहिनने से और चेहरा ढांककर चलने से छेड़छाड़ से और बढ़ते प्रदूषण से उन्हें मुक्ति मिल जाती हैं . ये तो नकाब के फायदे और नुकसान के सम्बन्ध में सबकी पक्ष और विपक्ष में राय हैं .


एक डाक्टर से नकाब और चेहरे को ढांककर रहने के सम्बन्ध में उनके विचार जाने उनका कहना है की लगातार चेहरा ढांके रहने से और लगातार उपयोग में लाया जाने वाला टाबिल गन्दा रहने से पहिनने वाले को चेहरे में त्वचा और फंगस रोग हो सकते हैं . अंत में मेरा इस सम्बन्ध में विचार हैं की बढ़ते अपराधो पर रोक लगाने के ध्येय से बढ़ते नकाबो पर रोक लगाईं जाना चाहिए . महानगरो में आजकल कई अपराधिक घटनाओं को नकाबपोश धारी अपराधियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा हैं . नकाब पहिनकर चैन स्नैचिंग और लूट पाट की घटनाए बढ़ती ही जा रही हैं अतः सभी से अनुरोध है की जब आप सही हैं तो आपको नकाब पहिनने और चेहरे पर टावल लपेटकर सड़क पर चलने की जरुरत ही क्या है . आदमी को हैलमेट आदि का प्रयोग करना चाहिए जिसको पहिनने से कम से कम व्यक्ति को पहिचाना तो जा सकता हैं .

आलेख - महेंद्र मिश्र जबलपुर

13.3.10

जबलपुर ब्लागर्स मीट : जबलपुर के ब्लागर्स इंटरनेट पर हिंदी के विकास हेतु संकल्पित और मीडिया से रूबरू हुए ....

आज दिनाक १३-०३ -२०१० को जबलपुर ब्लागर एसोसियेशन के तत्वाधान में सिटी काफी हाउस जबलपुर में अपरान्ह २ बजे ब्लॉगर मीट आयोजित की गई इस अवसर पर लखनऊ से भाई महफूज अली, भाई गिरीश बिल्लौरे जी, भाई राजेश कुमार दुबे "डूबेजी", भाई बबाल जी, भाई विजय तिवारी " किसलय " , मयूर जी , शैली जी , महेंद्र मिश्र . इंजीनियर संजीव सलिल जी उपस्थित थे . इंटरनेट पर हिंदी के विकास हेतु ब्लागरो द्वारा क्या योगदान दिया जा सकता है इसके बारे में उपस्थित ब्लागरो ने अपने अपने विचार व्यक्त किये और ब्लागिंग की बारीकियो से उपस्थित मीडिया को अवगत कराया .महफूज भाई ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है .



फोटो- ब्लागर राजेश दुबे जी , भाई बबाल जी. महफूज जी, शैली जी....





छतीस गढ़ से भाई ललित शर्मा जी आने वाले थे पर अचानक घरेलू कार्य आ जाने के कारण आज की मीट में उपस्थित नहीं हो सकें इस सम्बन्ध में आज ही उन्होंने मुझे सूचित किया था और भविष्य में जबलपुर आने की इच्छा जताई है . महफूज भाई जो एकाएक लखनऊ से लापता हो गए थे अचानक जबलपुर में प्रगट हुए तो उनसे हम सभी ब्लागर भाइयो को ब्लॉगर मीट में मिलने का अवसर प्राप्त हुआ . बहुत ही हंसमुख और मिलनसार हैं . आज उन्होंने बताया की जबलपुर ननिहाल है और हमेशा जबलपुर उनका आना जाना लगा रहता है . कल पुन उनसे मुलाकात होगी .


फोटो बांये से - ब्लागर भाई राजेश दुबे "डूबेजी". बबाल जी, महफूज जी, गिरीश बिल्लौरे जी, और मै..


ब्लागरो के समक्ष मीडिया ...








ब्लागर भाई गिरीश जी ,विजय तिवारी जी , महफूज जी, बबाल जी और भाई राजेश कुमार डूबेजी...


शैलीजी, सलिलजी, महफूज जी, मैं महेंद्र मिश्र और भाई बबाल जी ... ब्लागर मीट के दौरान लिए गए फोटो...





हिंदी ब्लागिंग और समाज में ब्लागिंग की बढ़ती उपयोगिता, महत्त्व और भूमिका विषय पर मीडिया और पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का त्वरित समाधान उपस्थित ब्लागर भाई गिरीश बिल्लौरेजी, भाई बबाल जी, भाई विजय तिवारी जी, संजीव सलिल जी, राजेश कुमार दुबे " डूबेजी" और महेंद्र मिश्र द्वारा मौके पर किया गया .

12.3.10

निरन्तर पर आज दो सौ पचास वी पोस्ट .... कल ब्लागर भाई महफूज अली जी, भाई ललित शर्माजी, अवधिया जी से मुलाकात...

जबसे ब्लागजगत की दहलीज पर मैंने कदम रखा है आलम यह है की लोग मिलते रहे और कारवां बढ़ता गया की तर्ज पर ब्लागरो से मेल मुलाकात बढ़ती गई और यहाँ ब्लॉग पर उंगलियाँ चलती रही और ब्लॉग पर पोस्टे बढ़ती गई और आज स्थिति यह है की आप सभी से मिल रहे निरन्तर प्यार स्नेह और शुभाशीष के फलस्वरूप आज मुझे निरन्तर हिंदी ब्लॉग में दो सौ पचास वी पोस्ट लिखने का अवसर मिला है . हिंदी ब्लॉग समयचक्र के बाद मुझे निरन्तर ब्लॉग बहुत पसंद है . आप सभी ने समय समय पर मेरी हौसलाफजाई की है उससे मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है इस हेतु मै आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूँ आभारी हूँ . विश्वास है कि आप इसी तरह भविष्य में भी स्नेहाशीष बरसाते रहेंगे. इस अवसर पर चंद पंक्तियाँ....

आपके साथ गुजरे हुए लम्हों की याद आने लगी है
वो मेल मुलाकातें यादे कहानी बन दिल में छाने लगी है.

आपके ख़ूबसूरत खतो को मैंने संभाल कर रखा है
जैसे कोई अपने दिल को हिफाजत से रखता है.

आपके हर खतो का लिफाफा संभाल कर रखा है
हर खतो के मजनूनो को दिल में उकेर रखा है.

कल मिसफिट पर गिरीश भाई ने पोस्ट लिखी थी की महफूज भाई न जाने कहाँ लापता हो गए हैं उनकी कोई खबर नहीं है तत्काल मैंने गिरीश जी को टीप लिखी की भाई महफूज जी से मेरी मोबाइल पर बातचीत हुई थी की महफूज जी का ११ मार्च के बाद जबलपुर आने का कार्यक्रम है . आज अचानक गिरीश जी का फोन मिला की महफूज भाई लखनऊ से जबलपुर आ चुके है .


आज करीब सात बजे शाम को महफूज भाई का फोन मिला . उन्होंने बताया की भाई मै जबलपुर आ चुका हूँ . काफी देर तक मोबाइल पर बातचीत होती रही और कल सिटी काफी हाउस में २ बजे मिलने का वादा किया है . साथ ही जानकारी मिली है की रायपुर से भाई ललित शर्माजी और जी.के.अवधिया जी का शहर आगमन हो रहा है . कल हम सब ब्लागर यारो की महफ़िल सिटी काफी हाउस में सजेगी और हम सब आपस में एक दूसरे के विचार और अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे ...

8.3.10

महिला दिवस पर - देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर

आज देश के साथ सारे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है . आज के दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक कराने और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए तरह तरह के आयोजन किये जा रहे हैं . ब्लागजगत में नर नारी अपनी अपनी अहमियत साबित करने में जोड़ तोड़ से जुटे हैं इस परिस्थिति में महिला दिवस पर ब्लॉग में लिखने की बहुत इच्छा थी पर मन में डर समाया था की कहीं कोई पंगे की बात न हो जाए इसीलिए आज सारे दिन मन मसोस कर रह गया फिर भी महिला शक्ति को नमन और प्रणाम करते हुए यह रचना " देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर " प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसकी रचनाकार माया वर्माजी हैं और यह रचना युग निर्माण योजना के सौजन्य से प्रकाशित कर रहा हूँ .


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
युग स्वयं ही बदलता जायेगा
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा

वीर संतान से कोख ख़ाली नहीं
गोद में कौन सी शक्ति पाली नहीं
जनानियाँ शक्ति को साध पाए अगर
शौर्य शिशुओ में बढ़ता चला जायेगा

मूर्ती पुरुषार्थ में है सदाचार की
पूर्ती श्रम से सहज साध्य अधिकार की
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर
पति स्वयं ही बदलता जायेगा

छोड़ दें नारियां यह गलत रूढ़ियाँ
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ
नारियां दुष्प्रथाये मिटाए अगर
दंभ का दम निकालता चला जायेगा

धर्म का वास्तविक रूप हो सामने
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर
ज्ञान का दीप जलाता चला जायेगा

यह धरा स्वर्ग सी फिर संवरने लगे
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे
देवियाँ दिव्य चिंतन जगाएं अगर
हर मनुज देव बनता चला जायेगा.


लेखिका - माया वर्मा
साभार - युग निर्माण योजना के सौजन्य से

4.3.10

जवानी के दिनों की कतरने ...दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ

दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ
इस दिल में उठे तूफानों को चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ.
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शिकायत हमें आप से है की आपने हमें अब तक देखा नहीं
तेरे पैगाम के इंतज़ार में है दिल मेरा पर तूने पैगाम भेजा नहीं.
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दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.
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2.3.10

होली के बाद के ब्लागरी चुटकुले ...

* स्वामी भविष्यानंद को गाने गाने का बड़ा शौक था . कभी भी फक्कड़ी मौज में गाना बेसुरी आवाज में गाने लगते थे . एक नया गाना मेहबूबा मेहबूबा होली की ठुर्रस में गाते हुए सीधे चले जा रहे थे और धुन्नस में सीधे नदी में घुस गए . फिर थोड़ी देर बाद नदी में से एक जोर जोर से आवाज आ रही थी मै डूबा मै डूबा .

* चौड़े और गोल शरीर के उड़न तश्तरी कहीं घूमते घूमते जा रहे थे राह में उन्हें एक छोटा नन्हा बच्चा मिला . उड़न तश्तरी ने उसे स्नेह वश गोद में ले लिए और प्यार से पूछा - बेटा तुम कहाँ हो ?

बच्चे ने उत्तर दिया - हिमालय की गोद में .

* ब्लॉगर वकील - जब अपराधी ने चाकू मारा था उस समय तुम कहाँ थे ?

मुजरिम का दोस्त - जी मै उस समय पन्द्रह कदम दूर था .

ब्लॉगर वकील - क्या तुमने फासला कदमो से नापा था ?

मुजरिम का दोस्त - जी हाँ

ब्लॉगर वकील - तुम्हें ऐसा करने क्या जरुरत थी ?

मुजरिम का दोस्त - क्योकि मुझे मालूम था की किसी दिन कोई मूर्ख मुझसे यह प्रश्न जरुर पूछेगा .

*प्रायमरी का मास्टर - तुम्हें अंग्रेजी सुधारने के लिए अंग्रेजी का अखबार जरुर पढ़ना चाहिए

छात्र - जी मै अंग्रेजी अखबार हर शुक्रवार को पढ़ता हूँ .

प्रायमरी का मास्टर - ऐसा क्यों ?

छात्र - जी अंग्रेजी सिनेमा में फिल्म इसी दिन बदलती है .

*एक ब्लेड कंपनी ने अपना विज्ञापन कुछ इस तरह से दिया - हमारे बनाए गए ब्लेड तेज और धारदार हैं . थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नब्बे परसेंट पकडे गए जेबकतरों के पास हमारी कंपनी के ब्लेड पाए गए हैं .

*ताउजी महाताऊ श्री से - जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ती जा रही है दिनोदिन मेरी शारीरिक ताकत बढ़ती जा रही है .

महाताऊ श्री - ऐसा क्यों ?

ताउजी - आजसे दस साल पहले मै बीस रुपये में जो शक्कर खरीदता था वह बड़ी मुश्किल से उठाकर लाता था लेकिन अब मै बीस रुपये की शक्कर बड़ी आसानी से उठाकर ले आता हूँ .

* एक दोस्त दूसरे दोस्त से - यार तुम्हारे घर में मख्खियाँ बहुत तंग करती हैं बार बार मेरे ऊपर आकर बैठ जाती हैं .

दूसरा दोस्त - हाँ मै भी बड़ा परेशान हूँ ये जो भी गन्दी चीज देखती हैं तो उस पर जाकर बैठ जाती हैं .


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