20.8.08

समयचक्र के उड़ जाने का मुझे काफी दुःख है ?

दिनाक १६-०८-०८ को सुबह सुबह किन्ही अज्ञात कारणों से मेरा सर्वाधिक प्रिय ब्लाक :समयचक्र" उड़ गया है जिसमे मेरी करीब ३४० पोस्ट थी जोकि मेरे द्वारा अथक प्रयास कर लिखी गई थी जिसमे सामायिक लेख कविता व्यंग्य चुटकुले आदि रचनाओ का समावेश था और उन सभी पोस्टो पर सभी ब्लॉगर भाइओ द्वारा करीब ३००० से अधिक टिप्पणी छोडी गई थी . किसी ने कहा कि आपका ब्लॉग हैक कर लिया गया है उन्होंने तत्काल मुझे ने ब्लाक डिजाइन करने का ऑफर दिया गया . मैंने भी अपने पुराने ब्लॉग को खोजने की पुरजोर कोशिश की पर मुझे असफलता ही हाथ लगी . तीन दिनों तक ब्लॉग में अपनी यूं . आर. एल का मुझे कोई भी आता पता नही चला . चौथे दिन पता चला कि समयचक्र की यूं.आर. एल अपने आप मेरे ब्लॉग में जीवित हो गई परन्तु ब्लॉग में मेरी द्वारा लिखी गई पोस्ट का कोई भी आता पता नही था . खाली ब्लॉग ही हाथ लगा . न मैंने इ.मेल और न पास वर्ड बदला न कोई यूं.आर.एल से छेदछाड़ नही की फ़िर ब्लॉग कैसे गायब हो गया यह मेरी समझ से परे है . इस घटना से मुझे अत्यधिक ठेस पहुँची है और अब नए सिरे से अपने ब्लॉग समयचक्र,सफलप्रहरी और निरंतर को ब्लॉग वाणी और चिट्ठाजगत में पंजीकृत कराने हेतु भारी जद्दोजहद करना पड़ रही है सही यूं आर.एल,सही ई.मेल, और सही पास वर्ड देने पर भी मेरी रचनाये ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत में प्रकाशित नही हो रही है और न ही कोई ब्लॉगर भाई सहयोग को आगे नही आ रहे है .

एक करीब के ब्लॉगर से लिंक एच टी.एम्.एल में लगाने हेतु सहयोग माँगा तो उन्होंने सलाह दे डाली कि इसकी कोई आवश्यकता नही और अपना मुंह शांत कर बैठ गए और मै जानता हूँ कि वो ग़लत सलाह दे रहे है जबकि मुझे ब्लागिंग के बारे में अधिक तकनीकी ज्ञान नही है . पूर्ण सहयोग न मिलाने से मुझे अत्यधिक निराशा का अनुभव हो रहा है और इससे निरंतर लिखने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है और हो सकता है कि मुझे जल्दी से जल्दी ब्लॉग लेखन से संन्यास लेना पड़ सकता है . हिन्दी ब्लॉग समयचक्र के उड़ जाने के बाद लगता है कि पॉँच चाय दिनों के ब्लॉगर भाई भूल गए है .

ब्लॉग उड़ जाने का मुझे कोई गम नही है
पर उम्मीदों पर कटार चलाना मंजूर नही
जिंदगी रही तो यारो एक समयचक्र क्या
बन जायेंगे हजारो समयचक्र देखते देखते

राम राम गुड बाई.

चुटकुले : भाई अच्छे लगे तो खूब हंस लेना

चुटकुले : भाई अच्छे लगे तो खूब हंस लेना

डाक्टर झुनझुनवाला के पास एक मोटा आदमी आया और उसके पतले होने का ईलाज पूछा
डाक्टर - ईलाज कराना है या पूछना है ?
मोटा आदमी - जी पूछना है .
डाक्टर - तो सुनो मोटापा बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा खाना सबसे अच्छा ईलाज है. अगर
तुम जादा खाओगे तो और जादा मोटे हो जाओगे . मोटे होने तुम अलसी आदमी हो जाओगे .
अगर तुम आलसी हो जाओगे तो तुम काम नही करोगे और काम न करने पर धन नही कमा
सकोगे . धन न कमा सकने पर खाना कैसे खरीदोगे ? खाना न मिलने पर तुम कुछ भी न खा
सकोगे और कुछ न खाओगे तो तुम दुबले हो जाओगे .

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डाक्टर ने अत्यंत सुंदर नर्स से वार्ड नंबर चार के मरीज के बारे में हाल चाल पूछा
नर्स ने उत्तर दिया - वह अपनी पत्नी के पास घर जाना चाहता है .
डाक्टर - ओह .......तो क्या वह अभी तक विक्षिप्त है .

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लेखक अपनी पत्नी से - भाई मै सनसनीखेज उपन्यास लिख रहा हूँ .
पत्नी - पर उसे छापेगा कौन ?
लेखक - यह तो जासूस ही पता लगावेगा .......

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