22.2.22

माँ नर्मदा की महा आरती

    जबलपुर स्थित माँ नर्मदा के तट ग्वारीघाट में माँ नर्मदा मंडल द्धारा प्रतिदिन सायंकाल ७.३० बजे माँ नर्मदा की महा आरती की जाती है जिसमें हजारों भक्त उपस्थित होते हैं . सबसे पहले नर्मदा अष्टक का पाठ किया जाता है और फिर माँ नर्मदा की आरती की जाती है . यह यू टूयूब मेरे द्धारा आप सबके लिए तैयार की गई है ... नर्मदे हर ... नमामि देवी नर्मदे ...  

  


18.5.20

मध्यप्रदेश : बातें कुछ बाहर की कुछ अंदर की ...

जबलपुर क्षेत्र के पं देव प्रभाकर जी शास्त्री जी दद्दा जी सुप्रसिद्ध संत थे, का आकस्मिक निधन हो गया है । दद्दा जी के देहावसान से देश और संत समाज को अपूर्णनीय क्षति हुई है और जबलपुर कटनी के धार्मिक क्षेत्रों में शोक व्याप्त है । दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है ईश्वर उन्हें स्वर्ग में स्थान दें ।

अभी कोरोना संक्रमण के दौरान केंद्रीय सरकार के द्धारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज जारी किये गए हैं उससे सिर्फ व्यापारिक और निजी क्षेत्रों को ही फायदा पहुंचेगा और इस राहत पैकेज से देश और समाज के कमजोर वर्ग को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है । एम.पी. में बिजली कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों के विरुद्ध खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है और वे 20 मई को बिजली कर्मचारी शासन-प्रशासन को ज्ञापन देंगें और बिजली कर्मचारियों का पेंशनर भी खुल कर समर्थन करेंगें ।

केंद्र सरकार के द्धारा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता 17 प्रतिशत से बढाकर 21 प्रतिशत कर दिया गया है । एम.पी. में कमलनाथ जी के द्धारा नियमित कर्मचारियों के लिए मंहगाई भत्ता 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया गया था परन्तु पैंशनरों के लिये मंहगाई भत्ता बढ़ाने हेतु कोई भी कार्यवाही नहीं की गई थी ।

शिवराज सरकार ने सत्ता में आते ही कोरोना संक्रमण की आड़ में आर्थिक कमी का बहाना बनाकर नियमित कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता 17 प्रतिशत से घटाकर फिर से 12 प्रतिशत कर दिया गया है । कोरोना संक्रमण के चलते शिवराज सिंह के द्धारा राजस्व कमी का लगातार बहाना बनाया जा रहा है और कर्मचारियों को और पेंशनरों को मंहगाई भत्ता नहीं देने की बात की जा रही है तो दूसरी और कमलनाथ के द्धारा राजनीति चमकाने के लिए कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता आदेश वापिस लेने की ( जब केंद्र सकारकार ने डीए बढ़ाया तब ) खुलकर आलोचना की जा रही है और आंदोलन करने की धमकी भी दी जा रही है परन्तु प्रदेश के पेंशनरों के हित में मंहगाई भत्ता बढ़ाने हेतु कोई भी बात नहीं की जा रही है ।

इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी कोरोना संकट को लेकर राजस्व कमी का लगातार रोना रो रहे हैं उधर दूसरी और ग्वालियर और चंबल संभाग में आगामी दिनों में विधानसभा के चुनाव आने वाले हैं, तो उस क्षेत्र में 800 करोड़ रुपये से चंबल एक्सप्रेस वे बनाने की बात करने लगे हैं क्योंकि वोट बैंक का सवाल है और डर के आगे जीत है । चंबल एक्सप्रेस वे बनाने के मामले में राजस्व कमी की बात नहीं कर रहे हैं ये रुपये कहाँ से आयेंगें यह नहीं बता रहे हैं । महंगाई दिनोदिन बढ़ रही है इसका प्रभाव प्रदेश के पेंशनरों और सीनियर सिटीजनों के ऊपर भी पड़ रहा है उनके लिए डीए बढ़ाने के लिये कोई भी नेतागण बात करने तैयार नहीं हैं न ही कोई आदेश निकालने हेतु कार्यवाही कर रहे हैं ।

प्रदेश के कमलनाथ जी और शिवराज सिंह जी अपनी अपनी राजनीति चमकाने में माहिर हैं और लोगों को लगातार धुर बना रहे हैं उन्हें अब ये भी समझ लेना चाहिए कि वोट देते देते जनता को भी अब खासी समझ आ गई है कि किस पार्टी को वोट देने में उनकी भलाई है या नहीं है । चुनाव में जनता को वोट देना है न कि नेताओं को वोट देना हैं । चुनाव में पांसा पलटाने में कर्मचारियों को, पेंशनरों को और जनता को देर न लगेगी यह उन्हें अब अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।

मनमर्जी से अनाप शनाप करोड़ों खर्च कर सकते हैं पर कर्मचारियों और सीनियर सिटीजन और पेंशनरों का डीए बढ़ाने की बात न करेंगें । डीए न बढ़ने से सेवानिवृत्त कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन और ग्रेच्युटी में अंतर आएगा और कमी आएगी इससे कर्मचारियों में पेंशनरों में दिनोदिन रोष व्याप्त हो रहा है । नेतागण समय रहते सचेत हो जाएँ और कर्मचारियों और पेंशनरों के बारे में गंभीरता के साथ विचार करें ।

जो सोचा तो लिख दिया है जिसको अच्छा लगे तो ठीक बुरा लगे तो लगता रहें ....

समयचक्र की कलम से -

11.5.20

समय का समयानुसार सदुपयोग करें ...

समय ही जीवन है और जीवन ही समय है और ये एक दूसरे के पूरक हैं । समय की महिमा एवं मर्यादा में जीवन के सभी रहस्य जुड़े होते हैं । यदि इन दोनों को एक दूसरे अलग थलग कर दिया जाए तो जीवन की कल्पना करना असंभव है । समय के सदुपयोग से ही जीवन का अर्थ प्रगट होता है । मानव जीवन में जन्म के साथ समय हमें जीवन में वरदान के रूप में मिला है । किसी ने कहा है कि समय एक तरह से भौतिक राशि की तरह होता है ।  प्रत्येक क्षण मानव जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण होता है और यदि समय का जीवन में सदुपयोग न किया जाए तो हमारा जीवन निरर्थक है और हमें जीवन में कोई विशेष उपलब्धि प्राप्त नहीं होती है और हम कुछ विशेष कार्य भी नहीं कर पाते हैं । जैसे जैसे समय व्यतीत होता है तो घटनाएं भी घटित होती हैं एवं समय के साथ जीवन में समयचक्र भी बदलता रहता है ।

समय को काल भी कहा जाता है अर्थात सबको अपने में समाहित कर लेने वाली ही सर्वोपरि सत्ता है । यदि समय के साथ न चलें और समय का सदुपयोग न करें तो हमारा जीवन निर्रथक है । भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं काल हूँ और काल से बड़ा कोई नहीं है , काल अर्थात समय से परे कोई नहीं है । जब समय/काल समाप्त हो जाता है तो वहां कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।

जहाँ समय होता है वहां बहुत कुछ किया भी जा सकता है । जहाँ समय होता है वहाँ असीम संभावनाएं भी होती है और बहुत कुछ करने के अवसर भी प्राप्त होते हैं । समय को हम अच्छा या बुरा भी नहीं कह सकते हैं और जो समय की पहचान कर लेता है और समय के अनुरूप पुरषार्थ करता है वह सदैव सफल होता है और जो समय को पहचान नहीं पाता है वह हमेशा अपने कार्यों में असफल ही होता है ।

यदि समय हमारे हाथ से फिसल गया तो हम बहुत कुछ खो बैठते हैं । हमारे बुजुर्ग भी कहते हैं कि जो सोवे तो वो खोवे , जागो और समय के साथ पुरषार्थ करो और जीवन में कुछ अच्छा करो । जो सोकर अपना समय नष्ट करता है वह आगे जाकर अपने जीवन में कोई विशेष कार्य नहीं कर पाता है और उसे कोई विशेष उपलब्धि भी प्राप्त नहीं होती है । खोया समय दुबारा कभी लौटकर नहीं आता है,  इसीलिए कहा जाता है कि समय के साथ चलना सीखो । क्षण में जीवन है और क्षण में मृत्यु भी है ।  क्षण सफलता है तो क्षण में असफलता भी है । समय ही हमारी हार और जीत को सुनिश्चित करता है ।

विषम समय में आलसी और डरपोक लोग घबराते है और साहसी व्यक्ति विषम समय में पुरषार्थ कर सर्वश्रेष्ठ कार्य कर लेते है । उचित समय को पहचान कर प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में परिवर्तित किया जा सकता है । जो बर्तमान समय की पहचान नहीं कर पाते है अथवा समय को सम्मान देना नहीं जानता हैं वे जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते है और उन्हें हर समय असफलता का सामना करना पड़ता है । सामान्य जीवन में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किये जा सकते हैं इसके लिए समय के उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है । अपनी आवश्यकता और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना बहुत जरुरी है । जीवन में समय प्रबंधन की बहुत बड़ी भूमिका होती है । समय के साथ कार्य की प्राथमिकतायें यदि निर्धारित कर ली जाएँ तो यही जीवन की सच्ची सार्थकता होगी ।