23.8.08

अपनी मधुर यादो के उजाले रहने दो

हमारे साथ अपनी मधुर यादो के उजाले रहने दो
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए .
जो बिछड गए.. वो शायद कभी सपनों में मिले
जिस तरह किताब में सूखे हुए सहेजे फूल मिले.
मेरे पास आए.. न जाने क्यो अब मुंह फेर बैठे
आज का नही .यह है ज़माने का दस्तूर निराला.

"हेन्द्र"

जोग उम्र पर

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पिताजी मै इसे लडके के साथ विवाह रचाना चाहती हूँ नाचना और गाना जानता हो जो प्रख्यात हो जो नित नए विनोद करता हो और सिगरेट और शराब से परहेज करता हो और जब मै कहूं तो चुप हो जाया करे.
पिताजी - बेटा मै तेरी बातो को सुनकर समझ गया हूँ तुझे वर नही टी.वी. सेट चाहिए है .

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थानेदार के पास एक आदमी आया और बोला साहब बस में किसी आदमी ने मेरी काट दी है .
थानेदार - फ़िर मेरे पास कुओ आये हो किसी दरजी के पास जाओ .
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