23.9.08

इंसान प्यार में शायर क्यो बन जाता है ?

इंसान प्यार में शायर क्यो बन जाता है ? इसको लेकर लोगो ने तरह तरह के विचार व्यक्त किए है . विचार व्यक्त करने वालो के नाम न देकर देकर उनके नाम के बदले में अ ब स दे रहा हूँ . २० वर्ष से लेकर ७५ साल तक की आयु के लोगो ने इस मसले पर अपनी अपनी भावनाए जोरदार ढंग से व्यक्त की है . उनके विचार जाने और इन विचारो के साथ आपके क्या विचार है जरुर लिखे. इस पोस्ट के साथ साथ आपकी टीप पढ़कर भी पाठक गण जिसको पढ़कर लुफ्त उठा सके .

अ.प्यार में इंसान शायर बनकर अपनी प्रेमिका की तारीफ करता है ताकि उसकी प्रेमिका खुश रहे.

ब.भावनात्मक, अनुभूति,और अंतर्मन की अभिव्यक्ति का नाम ही शायरी है . इसी के बल पर इंसान प्यार को पाने की कोशिश करता है .

स.शायर यदि शायरी नही करेगा तो क्या काम करेगा .

ड. जब इंसान प्यार में डूबा होता है उसे शायरी का ध्यान नही रहता उसे अपनी चंदा का ध्यान रहता है.

इ प्यार अँधा होता है . प्यार को अमर बनाने के लिए इंसान शब्दों के ख्यालो में डूब जाता है तो वह शायर बन जाता है .

य. प्यार में कल्पना की उडान भरते भरते इंसान शायर बन जाता है .

ज. गुस्से में फायर और प्यार में शायर ही बन सकते है जनरल डायर नही बन सकते है.

प. प्यार में इंसान के मन मन्दिर में एक छबी बन जाती है उससे उसके मुखारविंद से शायरी के स्वर अपने आप फूटने लगते है .

फ. दिल में लगी आग या दिल का दर्द शब्दों के रूप में बाहर निकलने लगते है.

त. प्यार में इन्सान शायर बनाने के साथ साथ कायर बन जाता है उसे हरदम डर ही लगा रहता है.

ट. आपने शायद यह गाना सुना होगा " मै शायर तो नही " वरना ऐसा सवाल न पूछते.
. शायर बने बिना पता ही नही चलता कि इंसान प्रेम रोग से ग्रसित है.

मै शायर बदनाम मै तो चला.......प्यार में इंसान पपीहा बन कुछ भी करने को तैयार हो जाता है तो लोग कहते है बेचारा दीवाना हो गया प्यार में पागल हो गया तो शायर क्यो नही बन सकता .