हमें गुलो के आलम को देखकर वो महबूब याद आता है
हमें जलते सूरज को देख कर उनका गुरुर याद आता है
मुझ से शिकवा न कर जुदा होने की हसरत तूने की थी
मुझ पर इल्जाम न लगा मेरी वफ़ा से शिकायत तुझे थी.
जब तेरे दिल में किसी के लिए कोई वफ़ा का नाम नहीं है
इस दिल को ठुकरा कर तू वफ़ा पाने की उम्मीद न कर
वो नशा जो इस जाम में नहीं है वो नशा तेरी सूरत में है
जो प्यार मेरे इस दिल में है वो प्यार सारे जहाँ में नहीं है