10.9.09

बारिश - पहले तरसे फिर हुए बेहाल

बरसात के सीजन में इन्द्र देवता ने तरह तरह के कारनामे दिखाए . जून और जुलाई माह में लग रहा था की इस साल बहुत कम अल्प बारिश होगी . और लोगबाग मानसूनी बरसात के लिए तरस गए . तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे . सरकारी स्तर पर आगामी सूखे की स्थिति को भांपते हुए सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजना फ़ाइले बनाई गई पर(मित्र के व्यंग्य चित्रों के अनुसार} अचानक इन्द्र देवता ने फाइल गीली कर दी है. अब बाढ़ राहतो की फ़ाइले बने जा रही है . अगस्त तक मात्र बीस इंच बारिश दर्ज की गई थी . अचानक इन्द्र देव ने जोरशोर से अपना पैतरा बदला और और दनादन हो गए शुरू. तीन दिनों के अन्दर बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है . अभीतक शहर में बारिश का आंकडा ५० इंच को पार कर चुका है और अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है .

लोगबाग अब इस भीषण बारिश से बेहाल और हलाकान हो चुके है . कुंआर के महीने में अचानक तेज बारिश के कारण लोगो की जीवन की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गई है . जगह जगह सड़को पर गड्डे हो गए है और बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है . गरीब लोगो के घर मकान भी गिर गए है और खाने पीने के लाले पड़ गए है यह सब देखकर दुःख भी होता है पर ईश्वर के आगे अपनी क्या बिसात है . मौसम के कारण फ्लाईट बंद है . फेक्टरियों में पानी घुस गया है और उत्पादन कार्य प्रभावित हो गए है . खबर है की अधिक बारिश होने के कारण अभी अभी की होशंगाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है . नर्मदा उफान पर है . भगवान ने पेयजल की समस्या का निराकरण तो कर दिया है पर इस अधिक बारिश के कारण खेती तो सुधर गई है पर खेती में किसानो को लगभग ३० प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है सोयाबीन और दलहन की फसलो की नुकसान पहुँचने की अधिक संभावना आंकी गई है. चलिए अब बरसात पर एक रचना ....

रिमझिम बरसती बरसात देखकर
खेलने आ गए बच्चे सड़को पर
बता बरसते पानी तेरा क्या है इरादा
क्या घर मेरा तू गिराकर थमेगा
कड़कती हुई बिजली बरसता हुआ पानी
कम्बल से लिपटी तब तड़फती जवानी
बहता जो देखा हमने बारिश का पानी
याद आ गया बचपन और कागज की कश्ती
पड़ी जब चेहरे पर बारिश की बूंदे
सुकून दिया गजब का उस एहसास ने
बागो में खुश हो मोरनी जो नाची
तो समझ गए आज खुदा बरसायेगा पानी
हद हो चुकी अब तो थम जा ऐ बारिश
डूब गया सारा मै ही बचा हूँ.

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