17.9.08

आज उनकी ही तस्वीर मेरे दिल में ही बसेगी .

उनकी ही तकदीर दिल की कलम से लिखेंगे
आज उनकी ही तस्वीर मेरे दिल में ही बसेगी .

अब किसी से न मिलेंगे हमने दिल में ऐसा ठाना
पर क्या करे हम जी से लाचार हो जनाब हम.

इस दिल को आराम नही सुबह नही शाम नही
लबो पे तेरा नाम लिखा है और किसी का नही.

16.9.08

राष्ट्रहित में अपने उत्तरदायित्वो का निर्वहन ईमानदारी से करे

हमारे देश को आजाद हुए ६१ वर्ष पूर्ण हो चुके है और हमारा देश एक परिपक्व राष्ट्र की श्रेणी में समग्र विश्व के समक्ष अब शान से खड़ा है . हमारे देश ने आजादी के बाद इन ६१ वर्षो में बहुत कुछ पाया है और बहुत खोया भी है . जहाँ एक और भौतिक सुख सुविधाओं से लबरेज समाज का चेहरा बदलने लगा है तो दूसरी और अलगाववादी सोच और आतंक के नए ताने बाने बुने जा रहे है . भाषा धर्म क्षेत्र और पहनावा की धुरी बनाकर एक ही देश के देशवासी एक दूसरे को शत्रु समझकर अपने ही घर में आग लगाने तुले हुए है और देश की सुख शान्ति के उपवन को उजाड़ने में जुटे है .

हमारा देश सम्प्रदाय और सम्प्रदायों में बंट सा गया है . आम आदमी में अब बर्दास्त करने की क्षमता लुप्त हो रही है और केवल मै और हम तक की सीमा में सारी सोच कैद सी हो गई है और इस का दुष्परिणाम यह निकला कि हमारे देश के कई प्रान्त अलगाव व हिंसा के रास्ते पर भटक गए है . आजादी के ६१ बसंत का सुख भोगने वाला हमारा देश भारत अब नैतिकता और मूल्यों के हो रहे भीषण पतझड़ को टकटकी लगाये देख रहा है .

प्रश्न यह है कि हमारा देश हम सभी पर दिलोजान से निछावर है और हम सभी को पाल पोस रहा है पर देश की चिंता किसको है यह आज के परिपेक्ष्य में ज्वलंत प्रश्न चिन्ह बन गया है . अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठावान व समर्पित न होने का दंड क्षम्य और माफ़ी योग्य नही है अतः आज देश में चल रही विषम परिस्थिति को द्रष्टिगत रखते हुए आम नागरिक और हम सभी को अपने उतरदयित्वो का निर्वहन ईमानदारी और कर्मठता के साथ करने का संकल्प लेना चाहिए .

जय भारत माँ जय जय अखंड भारती जय हिंद.

15.9.08

आज के लतीफे : एक अनाम जी की रचना

एक ब्लॉगर ने दूसरे ब्लागर को टिप्पणी प्रेषित की तो दूसरे ब्लॉगर ने
प्रतिउत्तर में कहा कि मै मूर्ख ब्लागरो को टिप्पणी प्रेषित नही करता हूँ
पहले ब्लॉगर ने उत्तर दिया - मै तो प्रेषित करता हूँ.

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ब्लॉगर अपनी पत्नी से - तुम मुझे हर समय फिजूल खर्च करने के ताने
मारती रहती हो कोई ऐसी बेकार की चीज बताओ जो मैंने खरीदी हो ?
पत्नी - पिछले साल एक फायर फाइटर खरीद लाये थे जो अब तक एक
बार भी काम में नही आया .

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नबाब साहब भी मेरे पिता के सामने सर झुकाया करते थे .
कौन थे तुम्हारे पिता ?
जी शाही हज्जाम हुजूर
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प्रेमिका प्रेमी से - मै तुम्हारे पत्रों की टिकटों को खूब चूमा कराती हूँ
क्योकि मै जानती हूँ की कभी उन टिकटों को तुम्हारे होठो ने
छुआ होगा
प्रेमी - वो तो सब ठीक है तनिक मेरी वेबकूफी पर भी विचार करो
उन टिकटों पर मै थूक लगाकर गीलाकर टिकटों को उन पत्रों पर
चिपकाया करता था .

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ब्लॉगर दंपत्ति स्टेशन पर पहुंचे कि ट्रेन छूट गई .
ब्लॉगर पति अपनी पत्नी से - तुम अगर जल्दी तैयार हो जाती तो
हमें गाड़ी मिल जाती .
ब्लॉगर पत्नी - अगर तुम जल्दीबाजी न करते तो हमें अगली ट्रेन
के लिए इतनी देर इंतजार नही करना पड़ता .

अंत कुछ और कही से एक अनाम जी की रचना जो मुझे बेहद मनपसंद है -

झुटपुटा वक्त है बहता हुआ दरिया ठहरा
सुबह से शाम हुई दिल हमारा न ठहरा.

बस एहसास है कि कोई मेरे साथ है
वरना तन्हा जीने की ख्वाहिश किसे है.

जरा सा दर्द सीने में जागा तो आंखे खुल गई
दिल में कुछ चोटे उभर आई तो आंसू आ गए.

दिल की हालत की तरफ़ किसकी नजर जाती है
इश्क की तमाम उम्र तमन्ना में गुजर जाती है .

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