9.10.08

जबलपुर के राइट टाऊन स्टेडियम में इस दशहरा जुलूस में दिल्ली और पंजाब की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है .

भारतीय संस्कृति की उत्सवप्रियता विश्व प्रसिद्द है . इन्द्रधनुषी समारोह सालभर उल्लासित करते रहते है और इनका रंग भारतीयो को अनादित करते करके तनावरहित बनता है . जबलपुर संस्कारधानी का पंजाबी दशहरा आधी शताब्दी की यात्रा तय कर सुनहरे अक्षरो में दर्ज हो चुका है . भारत में यह दशहरा इस समय दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर है इसकी भव्यता और रौनक देखते ही बनती है . जबलपुर के राइट टाऊन स्टेडियम में इस दशहरा जुलूस में दिल्ली और पंजाब की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है .

५८ सालो पूर्व इस दशहरे की शुरुआत हुई जबलपुर शहर में .

आजादी के बाद पकिस्तान और भारत के बटवारे के साथ पंजाबी समाज के लोग जबलपुर आये और ओमती क्षेत्र में एक कुटुंब के रूप में रच बस गए. १९५० से यह दशहरा शुरू किया गया . पहले पंजाबी दशहरा का जुलूस वशीर के बाड़े ओमती से प्रारम्भ होता था . रावण मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतलो का दहन बर्तमान पुलिस कंट्रोल रूम है वहां किया जाता था .
विगत दिवस जबलपुर में राइट टाऊन स्टेडियम में पंजाबी दशहरा कार्यक्रम आयोजित किया गया . बुराई के प्रतीक ५५ फुट ऊँचे रावण मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतलो का दहन किया गया . बमों के धमाको और रंगीन आतिशबाजी के बीच भगवान राम और लक्ष्मण हनुमान सहित रथ पर सवार होकर स्टेडियम पहुंचे . स्टेडियम में जनसैलाब उमड़ रहा था . चाइना की रंगीन आतिशबाजी के नज़ारे बस देखते ही बनते थे . पहलवानों ने उत्कृष्ट कोटि की चुस्ती फुरती का प्रदर्शन कर जनसमुदाय का मन मोह लिया . बच्चो ने " तारे जमीन पर" की धुन पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए . पंजाबी भांगडा और गिद्दा विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे .

पंजाबी दशहरा जबलपुर शहर में साम्प्रदायिकता और सदभाव के अप्रतिम कीर्तिमान स्थापित कर रहा है जिसकी जीतनी सराहना की जावे कम है .


रात्रि में स्टेडियम का विहंगम द्र्श्य








गिद्दा नृत्य करती एक कलाकार .



ओ पापे भांगडा करती मंडली .


चाइनीज रंगीन आतिशबाजी .


बुराई के प्रतीक रावण पर निशाना साधते हुए श्री राम और लक्ष्मण







रावण के वध के पश्चात हर्षित मुद्रा में श्री हनुमान.



जब रावण धू धू कर जल उठा.




पंजाबी भांगडा और गिद्दा विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे.


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8.10.08

कोई इलाज नही इन जख्मो का ये जाना सबको दिलेहाल सुनाकर

कोई इलाज नही इन जख्मो का ये जाना सबको दिलेहाल सुनाकर

गम की दास्ताँ हमसे न पूछो दिले दर्द सुनाकर हम फ़िर तडफेगे
कोई इलाज नही इन जख्मो का ये जाना सबको दिलेहाल सुनाकर

कभी कभी दिए जलाकर ख़ुद प्यार के अपने हाथो बुझाने पड़ते है
कभी कभी ख़ुद को मिटाकर वादे कस्मे फ़िर भी निभाने पड़ते है.

तमाम कोशिशे की बहुत चाहा मैंने उनको भुला कर कि हम जिए
कोशिशे तमाम मेरी नाकाम रही है पर भुलाकर हम जी न सके.

दिलशाद कभी न हो पाया मेरा ,मैंने माँ से भी ज्यादा जिसे चाहा
अपना दामन छुडा कर चले गये फ़िर भी न अब न लगे दिल मेरा

मयकदे में जाकर देखा है बज्म उनकी तलाश इन आँखों को है
जो नजरो से गिराकर गए है मुझे न करार न सुकून मिल सका है

दिल लगाकर ये एहसास हुआ है जो चले गए ठोकरों में उड़ाकर
कोई इलाज नही इन जख्मो का ये जाना सबको दिलेहाल सुनाकर.

7.10.08

अब मिलिए जबलपुर रामलीला में भरत शत्रुधन बनने वाले पात्रो से

जबलपुर शहर में इन दिनों रामलीला की धूम मची हुई है बर्तमान में इस शहर में नौ रामलीला समितियां सक्रिय है . इन रामलीला समितियों में एक से बढ़कर एक कलाकार अपनी अभिनय प्रतिभा की दम पर जनमानस का मन मोह लेते है . पिछली पोस्टो में इन रामलीलाओ में रावण पात्र के रूप में अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे में और हनुमान पात्र का अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे सचित्र जानकारी दी थी . विविध भारती मुंबई के ब्लॉगर युनूस खान जी की फरमाईस पर गोविन्दगंज रामलीला समिति में भरत और शत्रुधन के पात्रो का अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे में फोटो सहित जानकारी दे रहा हूँ . गोविन्दगंज जबलपुर शहर की रामलीला १६५ वर्ष पुरानी है और इसका एतिहासिक महत्त्व है .

भरतहि धरम धुरंधर ज्ञानी
निज सेवक तन मानस बानी
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सुधि पाठको आज इन कलाकारों के पारंगत अभिनय के क्षेत्र धुरंधर कलाकारों के बारे में जानकारी दे रहा हूँ . अवधपुरी के चारो भाइओ में से राम लखन सीता के साथ वनागम करने गए . श्री राम के वनवास पर जाने से अयोध्या नगरी विचलित हो गई . भरत और शत्रुधन दोनों भाई प्राणों से प्रिय अपने भाई राम लक्ष्मण और जानकी सीता के वनवास पर जाने के साथ राजपाट संभालने का कार्य कैकयी सुत भरत के कंधे पर आ पड़ा. भरत ने श्री राम की पादुकाओं कों सिंघासन पर रखकर राजसुख होने के बाबजूद १४ वर्षो तक रघुवंश के सिंघासन पर रखा और तपस्वी सा जीवन जिया .
चित्रकूट में भरत श्रीराम से मिलाप मुलाकात करने के लिए दौड़ पड़े थे . भरत मिलाप का अदभुत प्रसंग है . चलिए मिलते है कलाकारों से.

श्री गोविन्द गंज रामलीला जबलपुर





भरत का रोल १३ वर्षीय आदित्य दुबे कर रहे है . वे कक्षा आठवीं के छात्र है . वे कहते है की इस पात्र कों निभा कर उन्होंने बडो का आदर करना सीखा .







शत्रुघ्न का अभिनय कक्षा सातवीं के छात्र अंकित मिश्रा कर रहे है . उनका कहना है कि वे अपने भाई की प्रेरणा से अभिनय के क्षेत्र में आए है .


गोकलपुर रामलीला समिति ९९ वर्षो से है इसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है .


१६ वर्ष के राहुल शर्मा भरत के पात्र का अभिनय कर रहे है . यह रामलीला सफल मंचन और सशक्त अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है . राहुल कों बचपन से ही अभिनय का शौक है .



१२ वी कक्षा के छात्र अनुराग पांडे शत्रुधन का अभिनय कर रहे है और बताते है कि उन्होंने अभिनय कला अपने पिता और ताऊ से सीखी है . वे रामलीला समिति में सभी पात्रो का अभिनय कर चुके है .


सत्य पर विजय का प्रतीक है दशहरा









शहर जबलपुर संत बिनोबा द्वारा संबोधित " संस्कारधानी " के नन्हे मुन्नों ने असत्य के प्रतीक रावण का दहन किया और विजयौल्लास मनाया . इस समय शहर कि धार्मिक फिजां एक श्रद्धा की लहर बस देखते ही बनती है . यह सब देखकर बस कहते ही बनता है कि जबलपुर संस्कारो और कलाकारों का गढ़ है जहाँ एक से एक बढ़कर नए कलाकार पनपते है .


जय श्री राम
जय अम्बे माँ रानी भवानी जगदम्बे
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यह कड़ी दशहरा तक जारी रहेगी ......