19.10.08

टी.वी.चैनलों में अश्लीलता और हिंसा के द्रश्यो पर सुप्रीम कोर्ट की चिता जायज ?

इस समय देश में दर्जनों टी.वी.चैनलों की भरमार है जो लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए निरंतर हिंसा और अश्लीलता से लबरेज द्रश्य परोस रहे है जिसका दुष्प्रभाव युवा पीढी पर अधिकाधिक पड़ रहा है . जिस पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और टी. वी. चैनलों को कड़ी फटकार लगाई है और प्रसारण स्थिति पर सरकार से प्रतिवेदन माँगा है . इस मामले में कोर्ट ने कहा कि परिवार के लोग अब एक साथ बैठकर टी.वी.चैनल के कार्यक्रम नही देख सकते है जिनमे हिंसा और अश्लीलता आजकल जमकर दर्शको के लिए परोसी जा रही है .

विगत दिनों न्यायालय के समक्ष एक समाजसेवी द्वारा टी.वी चैनलों पर जमकर दिखाई जा रही हिंसा और अश्लीलता के ख़िलाफ़ एक जनहित याचिका प्रस्तुत की गई थी जिस पर विचार करते हुए माननीय न्यायालय द्वारा उपरोक्त विचार व्यक्त किए गए और इस दौरान माननीय न्यायाधीशों द्वारा सुनवाई के दौरान टी.वी. चैनलों के कुछ एपीसोड के बारे में विस्तार से जिक्र किया और चिंता व्यक्त की और कहा कि कई ऐसे द्रश्यो को बार बार चैनलों में दिखाया जा रहा है . माननीय न्यायाधीशों द्वारा चिंता करते हुए कहा गया है यह मसला संवेदनशील है और सीधे जनसामान्य से जुड़ा है . इस पर सरकार द्वारा अभी तक कठोर अधिनियम न बनाये जाने पर भी चिंता व्यक्त की गई .

जनहित और समाज से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले पर माननीय न्यायाधीशों की चिंता सच और जायज और सराहनीय है इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है . इस मामले मे माननीय न्यायाधीशों की चिंता देखकर लग रहा है कि न्याय ख़ुद देख रहा है और महसूस कर रहा कि वास्तव मे टी.वी.चैनलों द्वारा हिंसा और अश्लीलता जमकर समाज के सामने परोसी जा रही है जिसका दुष्परिणाम सीधे सीधे जनमानस पर पड़ रहा है . जल्दी ही सरकार को जनभावनाओ की मंशा के अनुरूप जनहित मे कठोर कानून बनाना चाहिए और समाज हित मे भारतीय संस्कृति के अनुरूप ऐसे चैनलों के प्रसारण मे रोक लगना चाहिए.

Nirantar........

14.10.08

हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल

आचार्य श्रीराम गुरुदेव की पुस्तक युग निर्माण शांतिकुंज हरिद्वार पढ़ रहा था जिसमे एक बहुत ही सुंदर रचना पढ़ी जो प्रेरक संदेश देती है . मानसिक संबल आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए ऐसी कविताये प्रेरक दवा का काम करती है . प्रस्तुत कर रहा हूँ.

हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल
आगे कदम बढाता चल बढाता चल बढ़ाता चल

अन्धकार का वक्ष चीरकर फूटे नव प्रकाश निर्झर
प्राण प्राण में गूंजे शाश्वत सामगान का नूतन स्वर
तुम्हे शपथ है ह्रदय ह्रदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखरता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल .

पूर्व दिशा में नूतन युग का हुआ प्रभामय सूर्य उदय
देवदूत आया धरती पर लेकर सुधा पात्र अक्षय
भर ले सुधापात्र तू अपना सबको सुधा पिलाता चल
शत शत कमल खिलाता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल.

ओ नवयुग के सूत्रधार अविराम सतत बढ़ते जाओ
हिमगिरी के ऊँचे शिखरों पर स्वर्णिम केतन फहराओ
मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गता चल
नवचेतना जगाता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल .

रचना - आचार्य गुरुदेव.
युग निर्माण शांतिकुंज हरिद्वार.

ब्रम्हकमल जो सिर्फ़ शरद पूर्णिमा को खिलते है .

ब्रम्हकमल एक ऐसा पुष्प है जो सभी देवी देवताओं को अत्यन्त प्रिय है इसीलिए इसका बैदिक महत्त्व है . वर्ष में केवल एक रात को ही खिलने वाला यह पुष्प शायद इन्ही गुणों के कारण दुर्लभ है . शरद पूर्णिमा को ब्रम्हकमल के पुष्प से लक्ष्मी जी की पूजा करने से श्री लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है . कहा जाता है कि जब राम रावण का युद्ध चल रहा था और युद्ध काफी लंबा खिचने से श्री राम काफी दुखी हो गए . रीछ जामबंत ने श्री राम को जगतजननी का अनुष्ठान करने की सलाह दी . भगवान प्रभु श्री राम ने प्रत्येक आहुति में समिधा के रूप में एक ब्रम्हकमल पुष्प अर्पित किया . जब अन्तिम ब्रम्हकमल बचता है तो जगतजननी उसे स्वयं उठा लेती है .





प्रभु श्रीराम जब अन्तिम पुष्प नही पाते है तो अनुष्ठान भंग होने की आशंका से उनका मन खिन्न हो जाता है . तभी भगवान श्रीराम को याद आता है कि उन्हें उनकी माँ राजीवलोचन कहकर संबोधित करती है . भगवान श्री राम ने ब्रम्हकमल के स्थान पर अपने नेत्र अर्पित करने के लिए जब कटार उठाते है तभी माँ जगतजननी वहां प्रगट हो जाती है और श्री राम को विजयी भावः का आशीर्वाद देती है . शरद पूर्णिमा के रात्रि को इस दुर्लभ पुष्प को देखकर कई लोग सारी रात काट देते है .

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