जैसे जैसे हम आई.टी. युग में प्रवेश कर रहे है और इंटरनेट और कम्प्यूटर हमारे दैनिक दिनचर्या के अंग बन चुके है कम्प्यूटर से मानव जीवन को होने वाले तरह तरह के दुष्परिणाम सामने आने लगे है.
एक जानकारी के अनुसार कम्प्यूटर अब आँखों के लिए बीमारी पैदा करने लगे है. कहा गया है कि कम्प्यूटर के सामने लगातार अधिक समय तक कार्य करने वालो को आँखों के आंसू सूखने की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है.
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी आँखों के आसुओ पर प्रभाव डालती है. इस बीमारी में आँखों में तीव्र जलन होती है और रोगी को एसा महसूस होता है कि जैसे उसकि आँखों में रेत घुस गई हो. यह बीमारी तीन से चार घंटो से अधिक कम्प्यूटर पर काम करने वालो को अधिक हो रही है इसमें आँखों में आंसू बनना बंद हो जाता है इसके अतिरिक्त जो आंसू बनाते भी है तो उनका फैलाव आँखों में पूरी तरह से हो नहीं पता है.
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि एक सामान्य आदमी एक मिनिट में २५ से २७ बार अपनी पलकें झपकाता है लेकिन कम्प्यूटर पर काम करने वाला व्यक्ति एक मिनिट में पॉँच से सात बार पलकें झपकाता है ..जिससे आंसू सरक्यूलेशन अधिक नहीं हो पाता है जिसके कारण आदमी अधिक थकावट और आँखों में रेत घुसने जैसे अनुभव करने लगता है और उसे शब्द धुंधले दिखने लगते है.
इस बीमारी से शुरुआत में ही बचाव करना भी जरुरी है. कभी भी कम्प्यूटर के सामने ४५ मिनिट से अधिक न बैठे. कम्प्यूटर के सामने काम करते समय अपनी पलकें झपकाते रहना चाहिए. इस बीमारी में अधिक परेशानी हो तो डाक्टर से सलाह लें . आजकल आँखों में आंसू बढ़ाने वाली दवाये भी डाक्टरों द्वारा मरीजो को दी जाने लगी है. आजकल हमारे देश में मेडिकल कालेजो में और हॉस्पिटल में ऐसे मरीजो की संख्या खूब बढ़ रही है.
11.5.09
10.5.09
मदर्स डे पर : माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.
माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है
मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है
झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये
सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना
सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये
अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है
कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
9.5.09
हम क्या करें गिला शिकवा आपसे ओ जानम
दर्द इस दिल में है ओठो पर मुस्कान रहती है
मेरी आरजू तेरी याद में..हर पल तड़फती है.
देखते ही आपको मेरे दिल में बहारे खिलती है
देखकर खुश आपको..दिल को ख़ुशी मिलती है.
मुद्द्त से तड़फ रहा था ये दिल प्यार के लिए
इस दिल ने हार कर कहा बहुत जी लिए सनम.
चोट इस दिल ने खाई अश्क इन आँखों ने बहाये
तेरी याद में जानम न जी पाए और न मर पाये.
हम क्या करें.. गिला शिकवा आपसे ओ जानम
इस दिल को तडफा लो.. पर प्रीत न होगी कम.
मेरी आरजू तेरी याद में..हर पल तड़फती है.
देखते ही आपको मेरे दिल में बहारे खिलती है
देखकर खुश आपको..दिल को ख़ुशी मिलती है.
मुद्द्त से तड़फ रहा था ये दिल प्यार के लिए
इस दिल ने हार कर कहा बहुत जी लिए सनम.
चोट इस दिल ने खाई अश्क इन आँखों ने बहाये
तेरी याद में जानम न जी पाए और न मर पाये.
हम क्या करें.. गिला शिकवा आपसे ओ जानम
इस दिल को तडफा लो.. पर प्रीत न होगी कम.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)