13.5.09

सचित्र पहेली : बूझो तो जाने ? कुछ हटकर

तबियत ठीक न होने से गरमागरम मौसम के कारण आज अचानक अवकाश ले लिया. घर में परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद बच्चो की भरमार रहती है . घर में चहल पहल का माहौल रहता है . आज छोटे भाई की नन्ही नन्ही प्यारी बेटियो ने मुझ से अचानक मुहावरे पूछना शुरू कर दिया .कुछ के मैंने सही उत्तर मैंने दिए और कुछ के गलत उत्तर दिए. उन बच्चो के बीच मुझे अपना बचपना याद आ गया . एक मुहावरा उन्होंने मुझसे पूछा बड़ी देर तक उस मुहावरे को मै काफी देर तक बूझ नहीं पाया . काफी देर बाद जब उस मुहावरे को बूझ पाया तो हंसते हंसते मेरे पेट में बल पड़ गए है . . फिर मैंने सोचा कि मै यह मुहावरा क्यों न अपने ब्लॉगर भाई/बहिनों से पूछ लूं . चलिए तैयार हो जाये . उत्तर देने के लिए दो दिन का समय दिया जाता है उसके बाद पहेली का परिणाम घोषित कर दिया जावेगा .

एक बगीचे में तीन महापुरुषों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं , रोज सुबह उन मूर्तियाँ को मोहल्ले के लोग फूलो की माला पहिनाते है . इन तीन महापुरुषों के नाम क्रमशः पंडित जवाहर ला जी नेहरू दूसरा राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र जी है इनकी फोटो नीचे दिए गए है . फोटो को देखकर अनुमान लगाकर आपको सिर्फ उत्तर देना है .







प्रश्न मुहावरा - सुबह तीनो मूर्तियो को माला पहिनाई जाती है . एक गाय आती है और पंडित जवाहर लाल जी नेहरू और नेताजी सुभाष चन्द्र जी बोस की मूर्तियाँ की माला खा जाती है पर महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला गाय नहीं खाती है वह महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला क्यों नहीं खाती है आपको इसका सोच समझ कर उत्तर देना है .

चलिए उत्तर देने का समय अब हो चुका है .

11.5.09

कम्प्यूटर पर अधिक समय देकर कही आप "कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम" बीमारी को आमंत्रण तो नहीं दे रहे है ?

जैसे जैसे हम आई.टी. युग में प्रवेश कर रहे है और इंटरनेट और कम्प्यूटर हमारे दैनिक दिनचर्या के अंग बन चुके है कम्प्यूटर से मानव जीवन को होने वाले तरह तरह के दुष्परिणाम सामने आने लगे है.



एक जानकारी के अनुसार कम्प्यूटर अब आँखों के लिए बीमारी पैदा करने लगे है. कहा गया है कि कम्प्यूटर के सामने लगातार अधिक समय तक कार्य करने वालो को आँखों के आंसू सूखने की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है.





नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी आँखों के आसुओ पर प्रभाव डालती है. इस बीमारी में आँखों में तीव्र जलन होती है और रोगी को एसा महसूस होता है कि जैसे उसकि आँखों में रेत घुस गई हो. यह बीमारी तीन से चार घंटो से अधिक कम्प्यूटर पर काम करने वालो को अधिक हो रही है इसमें आँखों में आंसू बनना बंद हो जाता है इसके अतिरिक्त जो आंसू बनाते भी है तो उनका फैलाव आँखों में पूरी तरह से हो नहीं पता है.

नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि एक सामान्य आदमी एक मिनिट में २५ से २७ बार अपनी पलकें झपकाता है लेकिन कम्प्यूटर पर काम करने वाला व्यक्ति एक मिनिट में पॉँच से सात बार पलकें झपकाता है ..जिससे आंसू सरक्यूलेशन अधिक नहीं हो पाता है जिसके कारण आदमी अधिक थकावट और आँखों में रेत घुसने जैसे अनुभव करने लगता है और उसे शब्द धुंधले दिखने लगते है.



इस बीमारी से शुरुआत में ही बचाव करना भी जरुरी है. कभी भी कम्प्यूटर के सामने ४५ मिनिट से अधिक न बैठे. कम्प्यूटर के सामने काम करते समय अपनी पलकें झपकाते रहना चाहिए. इस बीमारी में अधिक परेशानी हो तो डाक्टर से सलाह लें . आजकल आँखों में आंसू बढ़ाने वाली दवाये भी डाक्टरों द्वारा मरीजो को दी जाने लगी है. आजकल हमारे देश में मेडिकल कालेजो में और हॉस्पिटल में ऐसे मरीजो की संख्या खूब बढ़ रही है.

10.5.09

मदर्स डे पर : माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है



"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.



माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है




मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.





माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है

झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये

सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना

सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये

अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है

कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है




माँ तुम्हे प्रणाम
माँ तुझे सलाम