26.5.09

झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे

जिस्म जलता है बहुत दो पल नहाने दो मुझे
झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे.

हस्ती से बेजारी न थी मौत से यारी न थी
उन राहों पर चल दिए जिसकी तैयारी न थी.

फासला तो है मगर अब कोई फासला नहीं है
तुम मुझसे जुदा सही मगर दिल से जुदा नहीं.

आओ मै और तुम मिलकर चिरागेदिल जलाये
कल कैसी हवा चले यह कोई जानता ही नहीं
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