28.8.08

माँ नर्मदा की उत्त्पति

माँ नर्मदा की उत्त्पति

"पुरा शिव शांत तानुश्य चार विपुलं तपः हितार्थ सर्व लोकानाभूमाया सह शंकर"

माँ नर्मदे नमामि - मेरा जन्म माँ नर्मदा पवित्र नदी के किनारे बसे शहर जबलपुर में हुआ है मुझे बचपन से मै नर्मदा से काफी लगाव रहा है आज मै माँ नर्मदा के जन्म के सन्दर्भ में जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ .

प्राचीन काल में परम शांत विग्रह सदा शिव ने भगवती सहित सब लोको के हित के लिए रिक्षवान पर्वत पर पर समारूढ़ हो अद्रश्य रूप होकर घोर तप किया और उग्र तप से शंकर जी के शरीर से पसीना निकला जो पर्वत को आद्र करने लगा और उसी से महान पुन्य दिव्य सरिता उत्त्पन्न हुई . उसने कन्या रूप रखकर आदि सतयुग में दस १००००० वर्ष भगवान शंकर का जप तप किया .

भगवान शंकर उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हारे मन में जो वर हो तो मांग लो . श्री नर्मदा ने हाथ जोड़कर बोली हे पिताजी मै प्रलयकाल में अक्षय बनी रहूँ जो महापात की उपपात से युक्त है वे सभी श्रध्दा पूर्वक मुझमे स्नान कर सर्वपापो से मुक्त हो जावे . मै संसार में दक्षिण गंगा के नाम से सभी देवताओं में पूजित होऊ . पृथ्वी के सभी तीर्थो के स्नानं का जो फल मिलता है जो मुझमे स्नान कर सभी को प्राप्त हो . ब्रम्ह हत्या जैसे पाप मुझमे स्नान कर क्षीण हो जावे . समस्त वेदों और यज्ञादि की संपन्नता के फल के समान फल मुझमे स्नान कर लोगो को प्राप्त हो यही मेरी कामना है तो शंकर जी ने प्रसन्न होकर कहा कि हे पुत्री कल्याणी तूने जैसा वर माँगा है वैसा ही होगा और सभी देवताओ सहित मै तुम्हारे तट पर निवास करूँगा इसीलिए नर्मदा परिक्रमा करने का महत्त्व माना गया है ..

माँ नर्मदा के अनेको नाम - नर्मदा,त्रिकूटा,दक्षिनगंगा, सुरसा,कृपा,मन्दाकिनी ,रेवा,विपापा,करभा,रज्जन,वायुवाहिनी, बालुवाहिनी,विमला आदि .

27.8.08

पहली बार लंका में वन डे सीरिज जीती

भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार श्रीलंका की जमी पर वन डे सीरिज जीती . टीम इंडिया और सभी को ढेरो शुभकामनाये..
महेंद्र मिश्रा
ब्लॉग - समयचक्र और निरंतर
जबलपुर. एम.पी.

एक आशियाना सजाने में हस्ती मिट गई

वह खुदा के दर से ही जो कुछ भी मिलेगा
हम हाथ नही फैलाते ज़माने भर के आगे.

सुहानी रात का मंजर और तुम्हारी यादे
आंसू बहाते है पर करवटे नही बदलते है.

बिगड़ी हुई तकदीरे भी कभी बदल जाती है
हम लाया नही करते है शिकवा जुबां पर.

मिलना नसीब था या बिछड़ना नसीब है
पास आना नसीब था या दूर जाना नसीब है.

तुम ही इस सवाल का जबाब बताते जाओ
फ़िर हँसाना नसीब था या सिसकना नसीब है.

एक आशियाना सजाने में हस्ती मिट गई
हाले गम सुनाने में एक उम्र गुजर गई.

जिन्हें अपना बनने में कई बरस लग गए
देखिये एक ही झटके में वे बेगाने हो गए.

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