3.9.08

संकटहरण गणपति श्रोत

संकटहरण गणपति श्रोत



sabhaar- samayachakr se

ॐ गं गणपतये नमः : आज रिद्धि सिद्धि का शुभसंयोग

आज गणेश चतुर्थी और बुधवार का शुभ संयोग है . सुख सम्रद्धि शान्ति और वैभव प्राप्ति का शुभ दिन है यह महादिन सन २०१२ में आवेगा . देश के कोने कोने में आज गणपति बब्बा विराजित होने का क्रम लगातार प्रारम्भ हो गया है . गणेश जी के बारे में यह कहा जाता है कि श्री गणेश का स्मरण का कही भी आड़ी तिरछी रेखा खींच दे तो उनका चित्र आकार लेने लगता है . किसी भी कोण से गणेश महाराज पर यदि द्रष्टिपात करे तो मनभावन और अति सुंदर दिखते है इसीलिए उन्हें सौन्दर्य का देवता भी कहा जाता है और मंगलमूर्ति तो उन्हें कहा ही जाता है .

मुझे बचपन से न जाने क्यो सूढ़ वाले गजानन बब्बा से अत्यधिक लगाव था . मेरे घर में श्री गणेश जी की स्थापना नही की जाती थी पर गणेश पर्व के शुभावसर पर स्कूल से लौटते समय मै श्री गणेश की मूर्ती बाजार से खरीदकर ले आया और अपने मम्मी-पापा को वगैर बताये उनकी अनुपस्थिति में घर में श्री गणेश की मूर्ती स्थापित कर दी . जब मै अपने घर में श्री गणेश जी की आरती कर रहा था उसी दौरान मेरे मम्मी पापा घर वापिस आ गए और उन्होंने मुझे गणपति जी के सामने आरती करते देखा तो बड़े प्रसन्न हुए तब से मेरे घर में श्री गणेश "दुःखहर्ता सुखकर्ता गजानन जी मूर्ती की स्थापना मेरे घर में प्रतिवर्ष की जाने लगी है और अब श्री गणेश की मूर्ती की स्थापना प्रतिवर्ष घर में मेरा बालक कर रहा है तो मेरी खुशी का ठिकाना नही रहता कि अब श्री गणपति जी कि मूर्ती स्थापित करने के कार्य को मेरा बेटा अंजाम दे रहा है .



श्री गणेश पर्व के शुभावसर पर श्री गणेश जी की आरती प्रस्तुत कर रहा हूँ .



बिहार में आई भीषण बाढ़ - आप भी दुःखहर्ता बनने का संकल्प ले



धरती कांपती है , बिजली गिरती है तो कही तूफ़ान उठते है और आकाश गरजते है पर कुदरत की बड़ी बड़ी आपदाओ के सामने मानव ने कभी भी हार स्वीकार नही की है . आपदा विपदा के समय एक जुट होकर सभी सच्चे मन से एक दूसरे की सहायता करते है . इस समय देश में बिहार भीषण बाढ़ के प्रकोप का शिकार है और करीब ३१ लाख व्यक्ति इस भीषण बाढ़ से हलाकान है लोगो को अपनी जमीन खेती किसानी संपत्ति से हाथ धोना पड़ा है आज उनके सामने खाने पीने का संकट है और रहने को छाया नही है . मानवता और इंसानियत का तकाजा है कि बिहार वासियो की सभी राजनीति से ऊपर उठकर पुरजोर मदद करे जैसे कि हमारे देश की परम्परा है .आज गणेश चतुर्थी का पावन शुभदिन है और हम भी जरुरतमंदों की मदद करने का संकल्प ले और दुःखहर्ता बनने का संकल्प ले और बाढ़ पीडितो की चढ़ बढ़कर मदद करे . श्री गणेश आपके संकल्प को अवश्य मजबूती प्रदान करेंगे.

ॐ श्री गणेशाय नमः

सभी ब्लॉगर भाई-बहिनों को गणेश चतुर्थी पर्व के अवसर पर ढेरो शुभकामना आपका आने वाला समय सुख शान्ति और सम्रद्धि से परिपूर्ण हो .

ॐ श्री गणेशाय नमः

2.9.08

माँ नर्मदा प्रसंग : श्री शूलभेद तीर्थ

एक बार काशी नरेश चित्रसेन शिकार करने जंगल की और गए . वहां उन्होंने हिरन के झुंड को देखा . कौतुकवश उस झुंड में ऋषी उग्रतपा के लडके हिरन भेष में जंगल में विचर रहे थे . राजा ने देखा कि हिरन के झुंड चौकडी मारकर भाग रहा है तो राजा ने पीछा किया और निशाना साधकर तीर छोड़ दिया और दुर्भाग्यवश तीर ऋषी पुत्र की छाती में लग गया वो वही गिर गया . अन्तिम समय में ऋषी पुत्र ने देह प्रगट कर कहा कि मै ऋषी उग्रतपा का पुत्र हूँ और मेरा आश्रम पास में ही है . आप मेरी मृत देह को मेरे पिताजी तक पहुँचा दे . ऐसा कहकर ऋषी पुत्र ने देह त्याग दी .

राजा को ब्रामण हत्या का अत्यधिक दुःख हुआ और वे ऋषी पुत्र की देह उठाकर आश्रम तक ले गए और हाथ जोड़कर ऋषी से बोले आपके पुत्र का हत्यारा मै काशी नरेश चित्रसेन हूँ आपका पुत्र धोके से मेरे हाथ से मारा गया है . बदले में जो सजा या श्राप आप देंगे मै भुगतने के लिए तैयार हूँ . अपने प्यारे पुत्र की लाश देखकर ऋषी और पुत्र की माँ भाई वगैरह सभी रोने लगे . अंत में सब बाते जानकर ऋषी ने राजा को सांत्वना देकर कहा की आपका कोई दोष नही है और अब हम सपरिवार जीना नही चाहते है . आत्मदाह द्वारा हम सभी अपने प्राणों का त्याग कर रहे है . आप हमारी अस्थियाँ समेटकर शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर देना ऐसा कहकर ऋषी मुनि ने मय पत्नी लडके तथा समस्त बहुंये समेत आत्मदाह कर लिया .

राजा बेबस मन से यह सब देखते रहे और उन्होंने अस्थियाँ समेटी और धोड़े पर सवार होकर शूलभेद तीर्थ की और निकल पड़े और उन्होंने अस्थियाँ शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर दी . देखते ही देखते ऋषी उनकी पत्नी और बच्चे एक दिव्य विमान में बैठकर आकाशमार्ग से स्वर्ग जा रहे थे . दिव्य विमान से ऋषी ने राजा को आशीर्वाद देकर बोले हम सब शूलभेद तीर्थ की कृपा से हम लोग स्वर्ग जा रहे है राजा तुम ब्रम्ह हत्या से मुक्त हो गए हो .

नमामि माँ नर्मदे ..नर्मदे हर