11.9.08

माँ नर्मदा प्रसंग : संत शिरोमणि गौरीशंकर जी महाराज

संत शिरोमणि गौरीशंकर जी महाराज धूनीवाले बाबा के गुरु थे . अभी तक माँ नर्मदा के जितने भी भक्त हुए है . गौरीशंकर जी महाराज का नाम आदर से लिया जाता है . आप श्री कमल भारती के शिष्य थे जिन्होंने माँ नर्मदा की तीन बार परिक्रमा की थी . अपने गुरु के ब्रम्हलीन होने के पश्चात अपने गुरु के पदचिह्नों पर चलना अपना कर्तव्य समझकर एक बड़ी जमात इकठ्ठा कर माँ नर्मदा की परिक्रमा करने निकल पड़े . भण्डार बनाते समय यदि भंडारी यदि कह दे कि घी की कमी है तो आप तुंरत कह देते कि श्रीमान जी घी माँ नर्मदा से उधार मांग लो और एक बड़े पात्र में नर्मदा जल भरकर लाते और जैसे ही कडाही में डालते वह घी हो जाता था . जब कोई भक्त यदि घी अर्पण करने आता तो स्वामी जी आज्ञा से घी माँ नर्मदा की धार में डलवा दिया जाता था . स्वामी जी माँ नर्मदा पर अत्याधिक विश्वास करते थे और माँ नर्मदा के जल में प्रवेश नही करते थे और दूर से ही जल मंगवाकर स्नान कर लेते थे.

कहा जाता है कि एक बार आपकी जमात होशंगाबाद में भजन कीर्तन कर रही थी तो इस जमात की गतिविधियो को एक अंग्रेज कमिश्नर देख रहा था और उसके मन में संदेह हो गया की आखिर स्वामी जी इतनी बड़ी जमात को चलाते कैसे है और एक समूह को खाना कैसे खिलाते है . वह तुंरत स्वामी जी के पास पहुँचा और पुछा की इतनी बड़ी जमात को चलाने के लिए खर्च कहाँ से लाते हो तो स्वामी जी ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि सब माँ नर्मदा जी देती है और उनकी कृपा से हम सभी खाते पीते है . कमिश्नर ने कहा कि ठीक है मै सुबह आकर आपकी परीक्षा लूँगा और देखता हूँ ऐसा कहकर वह चला गया . सुबह वह अधिकारी स्वामी जी को बंधाधान ले गया और तट पर खड़ा होकर स्वामी जी से कहा कि आप अपनी माँ नर्मदा से ग्यारह सौ रुपयों की मांग करे हम देखना चाहते है कि तुम कहाँ तक सत्य कह रहे हो .

स्वामी जी ने माँ नर्मदा को प्रणाम किया और हाथ जोड़कर बोले कि मैंने कभी आपके जल में प्रवेश नही किया है और इन सब के कहने पर आपके जल में प्रवेश कर रहा हूँ और छपाक से माँ नर्मदा के अथाह जल में छलांग लगा दी और जल में डुबकी लगाई और सैकडो लोगो की उपस्थिति में हाथ में ग्यारह सौ रुपयों की थैली लेकर बाहर आये तो उन्होंने साहब को वह थैली थमा दी और कहा गिन लीजिये . सभी की उपस्थिति में उन रुपयों को गिना गया और ग्यारह सौ रुपये पूरे पूरे निकले तो वह अधिकारी काफी शर्मिंदा हुआ और उसने क्षमा याचना की और उसने भविष्य में किसी नर्मदा भक्त को परेशान न करने की शपथ ली और उसने खुश होकर स्वामी जी को सम्मानित किया और अनेको प्रमाण पत्र भी दिए .

एक बार ब्रम्ह मूहर्त में स्वामी जी स्नान करने जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें कांटा लग गया वे दर्द से व्याकुल हो गए और वही बैठ गए . स्वामी जी आश्रम नही पहुंचे तो उनके शिष्य उन्हें खोजते खोजते नर्मदा तट की और गये . रास्ते में उन्हें स्वामी बैठे दिखे . शिष्यों ने स्वामी जी से कांटा निकालने को कहा पर स्वामी जी ने उन्हें मना कर दिया और कहा माँ नर्मदा ही यह कांटा निकालेंगी और उन्होंने अपने शिष्यों को आश्रम लौट जाने का आदेश दिया और वे रास्ते में उसी जगह बैठे रहे.

अपने भक्त का कष्ट माँ नर्मदा जी से देखा नही गया और वे रात्रि १२ बजे मगर पर सवार होकर वहां पहुँची और अपने भक्त गौरीशंकर से कहा कि बेटा मै तुम्हारा कांटा निकालने आ गई हूँ और उन्होंने स्वामी जी के पैर में लगा कांटा निकाल दिया और उन्हें पहले की भांति स्वस्थ कर दिया . स्वामी जी ने माँ नर्मदा से जल समाधी लेने की अनुमति मांगी तो माँ नर्मदा ने उन्हें खोकसर ग्राम में समाधी लेने की आज्ञा प्रदान की और अंतरध्यान हो गई . सुबह सुबह स्वामी जी ने इस सम्बन्ध में अपने भक्तो और शिष्यों को जानकारी दी और समाधी लेने की इच्छा व्यक्त की . एक गहरा गडडा खुदवाया गया और आठ दिनों तक भजन कीर्तन होते रहे और नौबे दिन स्वामी जी अखंड समाधी ले ली जहाँ स्वामी जी ने समाधी ली है वहां माँ नर्मदा का पवित्र मन्दिर बना है .

10.9.08

जरा हँस ले रे मनवा

जरा हँस ले रे मनवा

एक शाम को दादाजी घूमने जा रहे थे उसी समय रास्ते में एक नवयुवती
पारदर्शी साडी पहिने निकली . तो दादाजी को यह बात पची नही तो तुंरत उस
नवयुवती से बोले - देखो तुम पारदर्शी साडी पहिनो हो इसे देखकर तुम्हारी
माँ क्या कहेगी ?
नवयुवती बोली - वे इस साडी को देखकर बहुत बिगडेगी क्योकि यह उनकी साडी है मै इसे चोरी से पहिनकर आई हूँ .
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कालेज के जलसे में वक्ता महोदय बोल रहे थे और बीच-बीच में शैतान
लडके उन्हें रोक कर उनसे सवाल पूछ रहे थे . इन सवालों की झडी देखकर
वक्ता महोदय तुनक गए और बोले - लगता है यहाँ सभी बेवकूफ है
अच्छा होता कि यदि मुझसे सवाल एक एक कर बोलते .
तभी भीड़ में से आवाज आई - अच्छा ठीक है अब आप ही बोलिए.

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भिखारी - असल में मै एक लेखक हूँ और मैंने एक किताब लिखी है और
किताब का नाम है "पैसे कमाने के हजार तरीके "
दूसरा व्यक्ति - फ़िर तुम भीख क्यो मांग रहे हो ?
भिखारी - यह भी उनमे से एक तरीका है .

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एक मियां एक नाई के पास हजामत बनवाने के लिए पहुँचा और नाई
से बोला मेरे सारे सफ़ेद बाल क़तर डालो . नाई ने सर के सफ़ेद बाल
क़तर डाले मियां नाई से - अब मेरी दाढ़ी में कुछ सफ़ेद बाल है उन्हें चुन दो .
नाई ने मियां की बात का जबाब नही दिया और मियां की दाढ़ी के
सब बाल बना डाले और मियां की हथेली में सारे दाढ़ी के बाल रख
दिए और बोला - मेरे पास समय नही था इसीलिए दाढ़ी बनाकर
सारे बाल आपकी हथेली में रख दिए है अब आप जैसे चाहे अपने
सफ़ेद या काले बाल चुन लीजिये.

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9.9.08

प्यार के जाम तुम मुझे बार-बार पिलाती क्यो हो

जो हरदिल अजीज था अब वह बेगाना हो गया
वो अन्जाना हो गया नजरे फेर ली उसने हमसे.

ये तो चाहत का नसीब है अंजाम वफ़ा है यारब
अजी दिल दीवाना हो गया ये कहने लगे सभी.

मिलना नसीब था या फ़िर बिछड़ना नसीब था
पास आना नसीब था या दूर जाना नसीब था.

इस दिलकश सवाल का जबाब तुम्ही बताते जाओ
हँसना नसीब है या फ़िर दिल का सिसकना ठीक है.

तुम्हारी बेरुखी का अब तक मै जहर पी चुका हूँ
प्यार के जाम तुम मुझे बार-बार पिलाती क्यो हो.

मेरी गरीबी में मेरे हरदिल अजीज गीत बिक गए थे
उन्हें सरेआम महफिलों में अब तुम दुहराती क्यो हो.