12.10.08

कटीले चुटकुले

कटीले चुटकुले

एक जहाज़ी पुराने युध्ध क़ी बात अपने साथियो को चहक कर सुना रहा था
वह सुना रहा था कि बार एक तारपीडो बड़ी तेज़ी के साथ हमारे जहाज़
की तरफ़ आ रहा था.
दूसरा साथी बोला फिर क्या हुआ ?
वह बोला फिर क्या हुआ खुदा का शुक्र है कि वह हमारा निकला..
........

एक बीबी ने थर्मा मीटर से अपने पति का ग़लत टेँपरेचर नाप लिया
फिर डाक्टर को फ़ोन कर बोली जल्दी आओ मेरे पति का टेँपरेचर
120 से अधिक हो रहा है
डाक्टर बोला फिर मेरा कोई क़ाम नही रह गया है फ़ायर बिग्रेड को
बुलवा लो .

........

11.10.08

डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" की एक सुंदर रचना "लहू की लाज"

डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर संस्कारधानी के युवा कवि है और मेरे अच्छे मित्र है . समय समय पर इनकी काव्य रचना प्रकाशित होती रहती है . पुस्तक " किसलय के काव्य सुमन " डाक्टर तिवारी द्वारा रचित है . इनकी पुस्तक मरुस्थल में हरित भूमि के मानिंद है और द्विवेदी युगीन काव्य धारा का स्मरण कराने वाली गंभीर द्रष्टि की परिचायक कृति है. बर्तमान में विजय तिवारी जी एम.पी.लेखक संघ,कहानी मंच, मिलन.पाथेय मंच, मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल हिन्दी परिषद् आदि से सम्बद्ध है . आज मै अपने कवि मित्र भाई विजय तिवारी जी की एक सुंदर रचना "लहू की लाज" आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ .

लहू की लाज

राह श्रेष्ट है मानवता की
इसको तुम अपना लेना
जेब किसी की खाली हो
उसको निज संबल देना.

न्याय धर्म की पतवारो से
जीवन नैया पार लगना
द्रव्यमान होने पर भी तुम
नम्र भाव को नही भुलाना.

अहित न हो दुर्बल दलितों का
उनके हित में हाथ बँटाना
ग्रहण किए निज कर्म ज्ञान से
प्रगति राह से आगे बढ़ते जाना.

वाकशक्ति के पावन श्रम का
सही अर्थ सबको समझाना
लज्जित न हो लहू तुम्हारा
ऐसा बल वैभव दिखलाना.

लेखक - डाक्टर विजय तिवारी "किसलय"
पुस्तक किसलय के काव्य सुमन से रचना साभार
जबलपुर.
..............

9.10.08

जबलपुर के राइट टाऊन स्टेडियम में इस दशहरा जुलूस में दिल्ली और पंजाब की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है .

भारतीय संस्कृति की उत्सवप्रियता विश्व प्रसिद्द है . इन्द्रधनुषी समारोह सालभर उल्लासित करते रहते है और इनका रंग भारतीयो को अनादित करते करके तनावरहित बनता है . जबलपुर संस्कारधानी का पंजाबी दशहरा आधी शताब्दी की यात्रा तय कर सुनहरे अक्षरो में दर्ज हो चुका है . भारत में यह दशहरा इस समय दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर है इसकी भव्यता और रौनक देखते ही बनती है . जबलपुर के राइट टाऊन स्टेडियम में इस दशहरा जुलूस में दिल्ली और पंजाब की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है .

५८ सालो पूर्व इस दशहरे की शुरुआत हुई जबलपुर शहर में .

आजादी के बाद पकिस्तान और भारत के बटवारे के साथ पंजाबी समाज के लोग जबलपुर आये और ओमती क्षेत्र में एक कुटुंब के रूप में रच बस गए. १९५० से यह दशहरा शुरू किया गया . पहले पंजाबी दशहरा का जुलूस वशीर के बाड़े ओमती से प्रारम्भ होता था . रावण मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतलो का दहन बर्तमान पुलिस कंट्रोल रूम है वहां किया जाता था .
विगत दिवस जबलपुर में राइट टाऊन स्टेडियम में पंजाबी दशहरा कार्यक्रम आयोजित किया गया . बुराई के प्रतीक ५५ फुट ऊँचे रावण मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतलो का दहन किया गया . बमों के धमाको और रंगीन आतिशबाजी के बीच भगवान राम और लक्ष्मण हनुमान सहित रथ पर सवार होकर स्टेडियम पहुंचे . स्टेडियम में जनसैलाब उमड़ रहा था . चाइना की रंगीन आतिशबाजी के नज़ारे बस देखते ही बनते थे . पहलवानों ने उत्कृष्ट कोटि की चुस्ती फुरती का प्रदर्शन कर जनसमुदाय का मन मोह लिया . बच्चो ने " तारे जमीन पर" की धुन पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए . पंजाबी भांगडा और गिद्दा विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे .

पंजाबी दशहरा जबलपुर शहर में साम्प्रदायिकता और सदभाव के अप्रतिम कीर्तिमान स्थापित कर रहा है जिसकी जीतनी सराहना की जावे कम है .


रात्रि में स्टेडियम का विहंगम द्र्श्य








गिद्दा नृत्य करती एक कलाकार .



ओ पापे भांगडा करती मंडली .


चाइनीज रंगीन आतिशबाजी .


बुराई के प्रतीक रावण पर निशाना साधते हुए श्री राम और लक्ष्मण







रावण के वध के पश्चात हर्षित मुद्रा में श्री हनुमान.



जब रावण धू धू कर जल उठा.




पंजाबी भांगडा और गिद्दा विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे.


.......