14.10.08

ब्रम्हकमल जो सिर्फ़ शरद पूर्णिमा को खिलते है .

ब्रम्हकमल एक ऐसा पुष्प है जो सभी देवी देवताओं को अत्यन्त प्रिय है इसीलिए इसका बैदिक महत्त्व है . वर्ष में केवल एक रात को ही खिलने वाला यह पुष्प शायद इन्ही गुणों के कारण दुर्लभ है . शरद पूर्णिमा को ब्रम्हकमल के पुष्प से लक्ष्मी जी की पूजा करने से श्री लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है . कहा जाता है कि जब राम रावण का युद्ध चल रहा था और युद्ध काफी लंबा खिचने से श्री राम काफी दुखी हो गए . रीछ जामबंत ने श्री राम को जगतजननी का अनुष्ठान करने की सलाह दी . भगवान प्रभु श्री राम ने प्रत्येक आहुति में समिधा के रूप में एक ब्रम्हकमल पुष्प अर्पित किया . जब अन्तिम ब्रम्हकमल बचता है तो जगतजननी उसे स्वयं उठा लेती है .





प्रभु श्रीराम जब अन्तिम पुष्प नही पाते है तो अनुष्ठान भंग होने की आशंका से उनका मन खिन्न हो जाता है . तभी भगवान श्रीराम को याद आता है कि उन्हें उनकी माँ राजीवलोचन कहकर संबोधित करती है . भगवान श्री राम ने ब्रम्हकमल के स्थान पर अपने नेत्र अर्पित करने के लिए जब कटार उठाते है तभी माँ जगतजननी वहां प्रगट हो जाती है और श्री राम को विजयी भावः का आशीर्वाद देती है . शरद पूर्णिमा के रात्रि को इस दुर्लभ पुष्प को देखकर कई लोग सारी रात काट देते है .

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12.10.08

कटीले चुटकुले

कटीले चुटकुले

एक जहाज़ी पुराने युध्ध क़ी बात अपने साथियो को चहक कर सुना रहा था
वह सुना रहा था कि बार एक तारपीडो बड़ी तेज़ी के साथ हमारे जहाज़
की तरफ़ आ रहा था.
दूसरा साथी बोला फिर क्या हुआ ?
वह बोला फिर क्या हुआ खुदा का शुक्र है कि वह हमारा निकला..
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एक बीबी ने थर्मा मीटर से अपने पति का ग़लत टेँपरेचर नाप लिया
फिर डाक्टर को फ़ोन कर बोली जल्दी आओ मेरे पति का टेँपरेचर
120 से अधिक हो रहा है
डाक्टर बोला फिर मेरा कोई क़ाम नही रह गया है फ़ायर बिग्रेड को
बुलवा लो .

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11.10.08

डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" की एक सुंदर रचना "लहू की लाज"

डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर संस्कारधानी के युवा कवि है और मेरे अच्छे मित्र है . समय समय पर इनकी काव्य रचना प्रकाशित होती रहती है . पुस्तक " किसलय के काव्य सुमन " डाक्टर तिवारी द्वारा रचित है . इनकी पुस्तक मरुस्थल में हरित भूमि के मानिंद है और द्विवेदी युगीन काव्य धारा का स्मरण कराने वाली गंभीर द्रष्टि की परिचायक कृति है. बर्तमान में विजय तिवारी जी एम.पी.लेखक संघ,कहानी मंच, मिलन.पाथेय मंच, मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल हिन्दी परिषद् आदि से सम्बद्ध है . आज मै अपने कवि मित्र भाई विजय तिवारी जी की एक सुंदर रचना "लहू की लाज" आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ .

लहू की लाज

राह श्रेष्ट है मानवता की
इसको तुम अपना लेना
जेब किसी की खाली हो
उसको निज संबल देना.

न्याय धर्म की पतवारो से
जीवन नैया पार लगना
द्रव्यमान होने पर भी तुम
नम्र भाव को नही भुलाना.

अहित न हो दुर्बल दलितों का
उनके हित में हाथ बँटाना
ग्रहण किए निज कर्म ज्ञान से
प्रगति राह से आगे बढ़ते जाना.

वाकशक्ति के पावन श्रम का
सही अर्थ सबको समझाना
लज्जित न हो लहू तुम्हारा
ऐसा बल वैभव दिखलाना.

लेखक - डाक्टर विजय तिवारी "किसलय"
पुस्तक किसलय के काव्य सुमन से रचना साभार
जबलपुर.
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