हर मोड़ पर खुशी मिले जरुरी नही है
हंसके उठाते रहिये गम भी लाजिम है
यहाँ हर शख्स दोस्त नही हुआ करता
रस्मे दुनिया है यारा हाथ मिलाते रहिये
अंधेरे में जलते चिरागों को न बुझाओ
आग इस महकते चमन में न लगाओ
आज हर शख्स के...अजब से हाल है
शाद होकर भी हाले दिल हाल बेहाल है
उनके ओठों पर एक झूठी मुस्कान सी है
गमो के निशान ..उनके चेहरों पर भी है
गर तुम्हे चलना नही आता है राहेवफा पे
तो कांटे न बिछाओ तुम औरो की राह पे
तुझे रुसवा न करेंगे अपने अल्फाजो से हम
मरकर न करेंगे तेरी बेवफाई का जिक्र हम
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1.12.08
28.11.08
मुंबई घटनाक्रम के सन्दर्भ में - वो बेवजह गुनाह कर रहे है..
चुनाव कार्य पूर्ण करने के उपरांत आज समाचार पत्रों में टी.वी. में मुंबई में चल रहे घटनाक्रम को देखकर ह्रदय व्यथित हो गया है . धमाको से कई निरीह लोगो की जाने चली गई और आतंकवादियो द्वारा खुलकर खूनी खेल खेला गया उसे देखकर यह सोचने लगा हूँ कि लगातार घटनाये हो रही है जाने जा रही है आखिर इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है ? क्या हमारी व्यवस्था इसी घटनाओ को रोकने में सक्षम नही है ? क्या हम ऐसी आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए पूर्ण रूप से निपटने के लिए अपनी मानसिकता नही बना सके है ? आज की आतंकी घटना के संदर्भ में मन में उभरी कुछ पंक्तियाँ दे रहा हूँ -
वो बेवजह गुनाह कर रहे है
और तौबा करते है
मानवीयता को दरकिनार रख
निरीह अरमानो का
बेदर्दी से
खूनी सौदा कर रहे है.
खूनी नदिया
बह जाने के बाद
हम अपने ही
बाग़ और बगियाँ को
कोस रहे है .
बेवजह आतंकवादी घटनाओ में मृत सभी निरीह जनों को व्यथित ह्रदय से श्रध्धांजलि अर्पित है . ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे .
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वो बेवजह गुनाह कर रहे है
और तौबा करते है
मानवीयता को दरकिनार रख
निरीह अरमानो का
बेदर्दी से
खूनी सौदा कर रहे है.
खूनी नदिया
बह जाने के बाद
हम अपने ही
बाग़ और बगियाँ को
कोस रहे है .
बेवजह आतंकवादी घटनाओ में मृत सभी निरीह जनों को व्यथित ह्रदय से श्रध्धांजलि अर्पित है . ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे .
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24.11.08
दिल से मेरे प्यार को,दिल में बसा ले.
मेरा दिल चाहे, कि कोई तो मेरा हो
मै वहां जाऊ, जहाँ हासिल हो खुशी.
मेरा दिल, ऐसे दिलदार को तरसता है
दिल से मेरे प्यार को,दिल में बसा ले.
दो बाते, जी चाहकर भी कर न सके
वो फ़िर, करके इकरारे मोहब्बत गए.
खुली थी आंख, वो दिल में समां गए
सीने में आग लगा गए, जब वो गए.
न समझेंगे न समझे अपना ख्याल करो
कुछ तो रहम, उस शोख जवानी पे करो.
न दिल पे एतबार न तुझ पे इख्तियार
फ़िर भी न जाने, क्यो तेरा इंतजार है.
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मै वहां जाऊ, जहाँ हासिल हो खुशी.
मेरा दिल, ऐसे दिलदार को तरसता है
दिल से मेरे प्यार को,दिल में बसा ले.
दो बाते, जी चाहकर भी कर न सके
वो फ़िर, करके इकरारे मोहब्बत गए.
खुली थी आंख, वो दिल में समां गए
सीने में आग लगा गए, जब वो गए.
न समझेंगे न समझे अपना ख्याल करो
कुछ तो रहम, उस शोख जवानी पे करो.
न दिल पे एतबार न तुझ पे इख्तियार
फ़िर भी न जाने, क्यो तेरा इंतजार है.
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