कहा गया है कि व्यक्ति को उचित अनुचित का विचार करना चाहिए कि जो कार्य वह कर रहा है क्या समय के अनुरूप है या किसी ने जो सलाह दी है वह उचित है अथवा उचित नही है . कभी कभी व्यक्ति उचित अनुचित का ध्यान न रखकर अपनी ढपली और अपना राग अलापने लगता है और उस स्थिति में वह किसी की सलाह मानने को भी तैयार नही होता है और उसे अपने हित अहित का ख्याल भी नही रह जाता है जिसका खामियाजा उसे कभी कभी निश्चित रूप से भुगतने पड़ते है.
पंचतंत्र में मैंने आज एक कहानी पढ़ी है जिसमे लिखा है कि असमय गधे को गीत गाना कितना महंगा साबित हुआ. एक गधा भूखा प्यासा जंगल में घूमता फिरता रहता था उसकी दोस्ती एक गीदड़ के साथ हो गई. गीदड़ के साथ गधा घूम फिरकर बहुत मौज करता था और खा पीकर वह मोटा हो गया था. गीदड़ के साथ गधा एक रात तरबूज के खेतो में घुसकर खूब माल खा रहा था.
गधे ने गीदड़ से कहा - मामा मुझे बहुत अच्छा राग आता है मै तुम्हे एक गीत सुनाऊ.
गीदड़ बोला - बेटा भांजे यह समय राग सुनाने का नही है यहाँ हम चोरी से खा रहे है. तुम्हारा गाना सुनकर हमें खेत के रखवारे पकड़ लेंगे और हमारी पिटाई करेंगे.
गधा गुस्से से बोला मामा तुम जंगली होकर गीत का आनंद नही जानते हो . विद्या तो वह कला है जिस पर देवी देवता भी मोहित हो जाते है.
गीदड़ बोला - अरे तुम गाना नही गाते हो बस खाली रेंकते हो.
गधा क्रोध से बोला - मामा क्या मै गाना नही जानता हूँ अरे सात स्वर, उन्चास ताल, नवरस, छत्तीस राग और कुल १6५ गानों के भेद जो प्राचीनकाल में भरत मुनि ने सार रूप में कहें है उन सबका मुझे ज्ञान है. मामा तुम कहते हो मुझे कुछ नही आता है .
गीदड़ बोला - अरे अच्छा भांजे मै खेत के बहार जाकर खेत के रखवारे को देखता हूँ तुम खूब खुलकर गाना इतना कहकर गीदड़ चला गया.
अब गधा महाराज शुरू हो गए लगे जोर जोर से राग अलापने. गधे की आवाज सुनकर रखवारा हाथ में ताऊ का लट्ठ लेकर आया और उसने गधे की जोरदार धुनाई कर दी बेचारा गधा पिटता हुआ दौड़ लगाकर वहां से भाग गया. रास्ते में गधे को मामा गीदड़ मिल गया.
गीदड़ ने गधे से कहा - क्यो भाई बेवक्त राग अलापने का जोरदार मजा चख लिया है . इसीलिए कहा गया है जो अपना हित अहित नही समझते वो इसी तरह मार खाते है.
साभार कहानी-पंचतंत्र से.
22.12.08
19.12.08
हम इस तरह से मंजिले मकसद तक पहुंचे है
हम इस तरह से मंजिले मकसद तक पहुंचे है
मैंने काँटों भरी राह को हम सफर समझा है.
मेरी आँखों में बसे दिल को उतर कर नही देखा
समुन्दर नही देखा कश्ती के उस मुसाफिर ने.
चाँद तारे मुस्कुराते रहे, दिल में अरमां बने रहे
बढ़ता दर्द ढलती रात पर वो फ़िर भी नही आए.
गिरता है समुन्दर में दरिया बड़े उमंग उत्साह से
लेकिन दरिया में समुन्दर नही गिरता प्यार से
...................
16.12.08
जरा हंस मेरे यार इन जोगो पे
एक रईस मोटी काली एक सौन्दर्य विशेषज्ञ के पास यह पूछने गई कि उसे किस रंग का कपडा पहिनना चाहिए जिससे वह सुंदर और आकर्षक लगे .
सौन्दर्य विशेषज्ञ ने उसे सलाह दी देखिये श्रीमती जी भगवान ने गाने वाली चिडिया बनाई तो उसे कई रंग दिए. तितली को भी भगवान ने रंगबिरंगा बनाया पर भगवान ने हथिनी को सिर्फ़ एक ही रंग दिया है .
..........
कंजूस बाप ने अपने बेटे को एक चश्मा लाकर दिया . एक दिन बेटा कुर्सी पर चश्मा लगाये हुए बैठकर कुछ सोच रहा था .
बाप ने आवाज दी बेटा तुम क्या कर रहे हो क्या पढ़ाई कर रहे हो .
बेटा - नही पापाजी
बाप - फ़िर क्या तुम लिख रहे हो ?
बेटा - नही पापाजी
बाप - (गुस्से से) फ़िर अपना चश्मा उतार क्यो नही देता फिजूलखर्ची की आदत पड़ गई है.
..........
लेखक - दस साल लिखते रहने के बाद मुझे यह पता चला की मुझमे साहित्यसृजन की प्रतिभा बिल्कुल भी नही है.
मित्र - तो तुमने लिखना छोड़ दिया ?
लेखक - नही नही तब तक तो मै काफी प्रसिद्द हो चुका था.
.........
एक उपन्यासकार ने कहा "आखिरकार मैंने एक ऐसी चीज लिख ली है जिसे हर पत्रिका स्वीकार कर लेगी"
क्या है वह ? उसके मित्र ने पूछा
लेखक - "एक वर्ष के चंदे का चैक"
........
सौन्दर्य विशेषज्ञ ने उसे सलाह दी देखिये श्रीमती जी भगवान ने गाने वाली चिडिया बनाई तो उसे कई रंग दिए. तितली को भी भगवान ने रंगबिरंगा बनाया पर भगवान ने हथिनी को सिर्फ़ एक ही रंग दिया है .
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कंजूस बाप ने अपने बेटे को एक चश्मा लाकर दिया . एक दिन बेटा कुर्सी पर चश्मा लगाये हुए बैठकर कुछ सोच रहा था .
बाप ने आवाज दी बेटा तुम क्या कर रहे हो क्या पढ़ाई कर रहे हो .
बेटा - नही पापाजी
बाप - फ़िर क्या तुम लिख रहे हो ?
बेटा - नही पापाजी
बाप - (गुस्से से) फ़िर अपना चश्मा उतार क्यो नही देता फिजूलखर्ची की आदत पड़ गई है.
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लेखक - दस साल लिखते रहने के बाद मुझे यह पता चला की मुझमे साहित्यसृजन की प्रतिभा बिल्कुल भी नही है.
मित्र - तो तुमने लिखना छोड़ दिया ?
लेखक - नही नही तब तक तो मै काफी प्रसिद्द हो चुका था.
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एक उपन्यासकार ने कहा "आखिरकार मैंने एक ऐसी चीज लिख ली है जिसे हर पत्रिका स्वीकार कर लेगी"
क्या है वह ? उसके मित्र ने पूछा
लेखक - "एक वर्ष के चंदे का चैक"
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