10.4.09

भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


यदि ऐसा दिखा दिया तो सब धुल जायेगी जी

जूते का भूत


हमारा निशान जूता है महान अब रोज जलती रहे जूते की मशाल

अब तो राजकपूर की तरह कंधे पर प्रिय जूते रखकर चलने का ज़माना आ गया है न जाने कब चलाने पड़े जी .

देखो फोटो तो उतार लो मगर भाई जूता न चलाना जी

जूतों की बौछारों के बीच जूते जब पड़ते है तो लोग डिस्को भांगरा कत्थक और राई डांस करने लगते है .

जब से विदेश और देश में जूते चले तब से जूतों की दुकानों में भीड़ बढ़ गई है .

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

जूते है अब बड़े काम की चीज जितना बड़ा जूता उतनी बड़ी इसकी मार

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

मेरे पापा कहते है की बेटा जूते की हिफाजत अभी से करना शुरू कर दो बड़े होने पे बहुत काम आएंगे हा हा

जूते मेरे अनमोल रतन अब जूते जेवर भी पहिनने लगे है . इन्हें सजा कर रखना पसंद करते है लोग बाग़

खूब गए जूते पहिन पहिन कर मीटिंग में नंगे पैर जाओ मेरे यार . जूता प्रतिबंधित है .


देखिये मेरी लोकप्रयता बढ़ गई है अब जूते के खिलौने में बच्चे खूब रूचि दिखाते है . देखिये इन खिलौने की फोटो

8.4.09

एक ब्लॉगर मीट : प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) से जबलपुर प्रवास के दौरान

दिनाक ४ अप्रेल को इलाहाबाद से भाई प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) ने मोबाइल से जानकारी दी कि मै दिनाक 5 अप्रेल को जबलपुर पहुँच रहा हूँ . दिनाक ५ अप्रेल को प्रमेन्द्र जी का मुझे फोन मिला कि मै जबलपुर पहुँच गया हूँ . चूंकि ६ अप्रेल को समीर लाल जी की पुस्तक "बिखरे मोती" का जबलपुर में अंतरिम विमोचन किया जाना था तो वही मुलाकत करने का निश्चय किया . सुबह प्रमेन्द्र प्रताप सिंह का फोन मिला और उन्होंने मुझसे पुछा कि आप कहाँ पर है और मै क्या आपसे मुलाकात कर सकता हूँ तो मैंने उन्हें सहज भाव से घर पर आने का निमंत्रण दे दिया.



प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने शहर के निवासी ताराचंद जी (जो बर्तमान में हरिभूमि समाचार पत्र जबलपुर में कार्यरत है) के साथ मेरे निवास स्थान पर ठीक १२ बजे पहुँच गए . ब्लागिंग के सन्दर्भ में और वरिष्ठ ब्लागरो के बारे में काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे से बातचीत करते रहे . उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में उनके घर के समीप ज्ञान जी (मानसिक हलचल) का निवास स्थान है . उनसे काफी देर तक महाशक्ति ब्लॉग और उससे जुड़े ब्लॉगर नीशूजी (बर्तमान में दिल्ली में} और ताराचंद और अन्य जुड़े सहयोगी ब्लागरो के सम्बन्ध में चर्चा होती रही और यह भी विचार किया कि सार्थक ब्लागिंग हो और हम इसमें क्या सहयोग कर सकते है आदि आदि बातो पर हमने विचार किया . करीब पॉँच घंटे कब गुजर गए पता ही नहीं चला .

उसी दिन समीर जी पुस्तक बिखरे मोती के अंतरिम विमोचन के अवसर पर प्रेमेन्द्र प्रताप जी से फिर रात्री में दूसरी मुलाकात हुई . प्रेमेन्द्र जी सात तारीख को दर्शनीय भेडाघाट प्रपात देखने गए और उन्होंने भेडाघाट प्रपात की जमकर तारीफ की और यहाँ के ब्लागरो की उन्होंने जमकर तारीफ भी की . उन्हें जबलपुर शहर और यहाँ के निवासियो का व्यवहार बहुत ही पसंद आया है और फिर से जबलपुर आने का वादा भी किया है . प्रेमेन्द्र जी निहायत व्यवहार कुशल संस्कारवान उत्साही ब्लॉगर है और ब्लागिंग के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरना चाहते है और बेहद उर्जावान नवयुवक है . उनसे पहली बार मुलाकात कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मै किसी सुपरिचित से मुलाकात कर रहा हूँ . यह सच है कि ब्लागिंग के माध्यम से आपस में भाई चारा और सम्बन्ध स्थापित होते है.

3.4.09

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है
ये तोहफे तुझसे मैंने मोहब्बत कर पाए है.

उनकी यादो का नशा दो चार दिन रहेगा
जब दिल से उतरेगा कोई दीवाना न होगा.

अब दुश्मनों से नहीं अब दोस्तों से गिला है
जो मिला था दोस्तों ने खंजर चला छीना है.

तेरी यादो के उजाले अब तेरे आलम में होंगे
तेरी बेवफाई के किस्से अब हर चर्चे में होंगे.