6.5.09

जब इंटरनेट मददगार साबित हुआ और अपनी बीबी की उसने डिलेवरी करवा दी ?

जब से दुनिया में सूचना क्रांति का आगाज हुआ तबसे लोग बाग़ इससे होने वाले फायदों और लाभदायक होने के कारण इसमें जबरजस्त रूचि लेने लगे है . दुनिया में होने वाली किसी भी घटना व कार्यक्रमों को पलक झपकते ही आप नेट पर देख सकते है. यह क्रांति उन मौके पर भी काम आ सकती है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते है. आज ऐसा ही रोचक वाक्या एक अखबार में पढ़ा है कि इस क्रांति के माध्यम से तात्कालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

लन्दन में रहने वाले एक शख्स उनका नाम है मार्क स्टीफंस जो नेवल में इंजिनियर है उन्होंने इंटरनेट की मदद से जानकारी प्राप्त कर खुद अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी. अब आपको लग रहा होगा कि कोई व्यक्ति इंटरनेट की मदद से अपनी बीबी की डिलेवरी कैसे करवा सकता है. मार्क स्टीफंस की पत्नी की चौथी डिलेवरी होने वाली थी. कुछ दिनों उनकी पत्नी को पेट दर्द हुआ और उस समय उसको काफी तकलीफ हुई.

मार्क स्टीफंस अपनी पत्नी को लेकर फौरन हॉस्पिटल लेकर गए और इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि उस हॉस्पिटल में कोई भी मिडवाइफ उपस्थित नहीं है तो फौरन उन्होंने गूगल सर्च पर जाकर यूं टूयूब से कुछ ऐसे वीडियो खोजे जिनमे वीडियो/फोटो के माध्यम से यह दिखाया गया था कि बच्चे को कैसे जन्म दिया जाता है. स्टीफंस साहब ने दर्द से कराहती अपनी पत्नी को एक दिखाया और अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी.

जन्म देने के बाद उसकी पत्नी ने लोगो को बताया कि यह डिलेवरी काफी सुखदायक और आरामदायक थी और इसमें मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई और न कोई कष्ट हुआ और उसे डिलेवरी के दौरान कोई टेशन नहीं था. इसके पहले उसके तीन बच्चे हुए. तीनो बच्चो की डिलेवरी के दौरान उसे काफी कष्ट और तकलीफ हुई थी.

वास्तव में सूचना क्रांति के आने से सभी को काफी फायदे मिल रहे है और आप मनचाही जानकारी तुंरत इंटरनेट पर प्राप्त कर सकते है और अपनी समस्या का निराकरण भी कर सकते है और सूचनाओं का आदान प्रदान मिनिटो में कर सकते है और तात्कालिक लाभ प्राप्त कर सकते है. सूचना क्रांति के माध्यम से लोग कैसे कैसे तात्कालिक लाभ प्राप्त कर रहे है यह उसका एक जीता जागता उदाहरण है जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते है.

रिमार्क - अंश एक अखबार से साभार.

4.5.09

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है

खुशबू गुलशन में बिन फूलो के न होती
लहरे समुन्दर में बिन पानी के न होती.

गर प्यार न हो तो क्या रखा है वन में
तुम न होते तो खुशियाँ न होती दिल में.

सनम तेरी खातिर फूल क्या है मेरे लिए
तेरी खातिर हम काँटों पर भी चल देंगें.

तेरी खातिर हम बगावत जहाँ से कर देंगे
तू कहें अगर पानी में भी आग लगा देंगे.

पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.

1.5.09

कुछ मजेदार चुटकुले ......

पिछले दो माहो से मैंने खूब चुनावी चिठ्ठे जूते की भरमार भरे प्रसंग खूब पढ़े पढ़कर बोरियत सी महसूस होने लगी . सोचा अब हास्य परिहास के बारे में सोचा जाये अन्यथा सब बेकार है और जीवन जीने के लिए हास्य का समावेश होना जरुरी है वरना जीवन नीरस है . कुछ अच्छे मजेदार चुटकुले आप सभी को बाँट रहा हूँ .

मालिक अपने नौकर से - सुनो जाओ जरा स्टेशन जाओ मेरे कुछ मित्र आने वाले है इसके लिए मै तुम्हे पांच रुपये दूंगा .
नौकर - अगर मालिक आपके दोस्त न आये तो ?
मालिक - फिर मै तुम्हे दूने दस रुपये दूँगा.
*****

नाटककार - मेरे नाटक के बारे में आपका क्या ख्याल है ?
आलोचक - मै एक सलाह देना चाहता हूँ .
नाटककार - वो क्या ?
आलोचक - नाटक के अंत में विलेन को पिस्तौल से शूट करने की बजाय जहर देकर मारा जाए फायर की आवाज से दर्शको की आँख खुल सकती है.
*****

दो औरते नाटक देख रही थी एक औरत दूसरी औरत से
"अगर रोशनी ज्यादा कर दी जाए तो कितना अच्छा होगा . अँधेरे में मुझे अच्छी तरह से सुनाई नहीं देता है.
दूसरी औरत तुनककर बोली - मै तो वगैर ऐनक लगाए टेलीफोन पर अच्छी तरह से सुन भी नहीं सकती.
*****

उनकी अभी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी हनीमून के बाद एक शानदार मकान में खूब मौज मस्ती कर रहे थे . कुछ दिनों बाद उनके शहर में नामी नाटक के कलाकारों का आगमन हुआ . एक दिन उन पति पत्नी के घर में डाक से एक लिफाफा आया जिसमे दो टिकिट थे साथ ही एक पुर्जा भी था जिसमे लिखा था बताओ कलाकारों के प्रोग्राम के लिए ये टिकिट तुम्हे किसने भेजे ? टिकिट और पुर्जा देखकर पति पत्नी बड़े प्रसन्न हुए . वे नाटक देखने गए. आधी रात के बाद जब वे अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा उनके घर का सारा सामान गायब था . सोफा सेट तक गायब हो गए थे . वे हक्का बक्का रह गए . उन्होंने टेबल पर एक पुर्जा पड़ा देखा और उसे पढ़ा जिसमे लिखा था अब पता चल गया होगा कि टिकिट किसने भेजे थे.
*****

मनो चिकित्सक मरीज से पूछा - क्या तुम्हे कभी ऐसी आवाजे सुनाई देती है जिनके बारे में तुम बता नहीं सकते हो कि वे आवाजे कहाँ से आ रही है ?
मरीज (रोगी) - हाँ
मनो चिकित्सक - ऐसा कब होता है ?
मरीज - जब मै टेलीफोन पर बाते कर रहा होता हूँ

*****