10.5.09

मदर्स डे पर : माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है



"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.



माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है




मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.





माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है

झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये

सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना

सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये

अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है

कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है




माँ तुम्हे प्रणाम
माँ तुझे सलाम

9.5.09

हम क्या करें गिला शिकवा आपसे ओ जानम

दर्द इस दिल में है ओठो पर मुस्कान रहती है
मेरी आरजू तेरी याद में..हर पल तड़फती है.

देखते ही आपको मेरे दिल में बहारे खिलती है
देखकर खुश आपको..दिल को ख़ुशी मिलती है.

मुद्द्त से तड़फ रहा था ये दिल प्यार के लिए
इस दिल ने हार कर कहा बहुत जी लिए सनम.

चोट इस दिल ने खाई अश्क इन आँखों ने बहाये
तेरी याद में जानम न जी पाए और न मर पाये.

हम क्या करें.. गिला शिकवा आपसे ओ जानम
इस दिल को तडफा लो.. पर प्रीत न होगी कम.

6.5.09

जब इंटरनेट मददगार साबित हुआ और अपनी बीबी की उसने डिलेवरी करवा दी ?

जब से दुनिया में सूचना क्रांति का आगाज हुआ तबसे लोग बाग़ इससे होने वाले फायदों और लाभदायक होने के कारण इसमें जबरजस्त रूचि लेने लगे है . दुनिया में होने वाली किसी भी घटना व कार्यक्रमों को पलक झपकते ही आप नेट पर देख सकते है. यह क्रांति उन मौके पर भी काम आ सकती है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते है. आज ऐसा ही रोचक वाक्या एक अखबार में पढ़ा है कि इस क्रांति के माध्यम से तात्कालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

लन्दन में रहने वाले एक शख्स उनका नाम है मार्क स्टीफंस जो नेवल में इंजिनियर है उन्होंने इंटरनेट की मदद से जानकारी प्राप्त कर खुद अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी. अब आपको लग रहा होगा कि कोई व्यक्ति इंटरनेट की मदद से अपनी बीबी की डिलेवरी कैसे करवा सकता है. मार्क स्टीफंस की पत्नी की चौथी डिलेवरी होने वाली थी. कुछ दिनों उनकी पत्नी को पेट दर्द हुआ और उस समय उसको काफी तकलीफ हुई.

मार्क स्टीफंस अपनी पत्नी को लेकर फौरन हॉस्पिटल लेकर गए और इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि उस हॉस्पिटल में कोई भी मिडवाइफ उपस्थित नहीं है तो फौरन उन्होंने गूगल सर्च पर जाकर यूं टूयूब से कुछ ऐसे वीडियो खोजे जिनमे वीडियो/फोटो के माध्यम से यह दिखाया गया था कि बच्चे को कैसे जन्म दिया जाता है. स्टीफंस साहब ने दर्द से कराहती अपनी पत्नी को एक दिखाया और अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी.

जन्म देने के बाद उसकी पत्नी ने लोगो को बताया कि यह डिलेवरी काफी सुखदायक और आरामदायक थी और इसमें मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई और न कोई कष्ट हुआ और उसे डिलेवरी के दौरान कोई टेशन नहीं था. इसके पहले उसके तीन बच्चे हुए. तीनो बच्चो की डिलेवरी के दौरान उसे काफी कष्ट और तकलीफ हुई थी.

वास्तव में सूचना क्रांति के आने से सभी को काफी फायदे मिल रहे है और आप मनचाही जानकारी तुंरत इंटरनेट पर प्राप्त कर सकते है और अपनी समस्या का निराकरण भी कर सकते है और सूचनाओं का आदान प्रदान मिनिटो में कर सकते है और तात्कालिक लाभ प्राप्त कर सकते है. सूचना क्रांति के माध्यम से लोग कैसे कैसे तात्कालिक लाभ प्राप्त कर रहे है यह उसका एक जीता जागता उदाहरण है जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते है.

रिमार्क - अंश एक अखबार से साभार.