8.9.09

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना

न ख़ुशी है और न कोई दर्द रुकाने वाला
हमने अपना लिया है हर रंग जमने वाला.

उन्हें रुकसत क्या किया मुझे मालूम नहीं
सारा दर्द दे गया घर छोड़ के जाने वाला.

हम आपको भूल जाए इतने बेवफा नहीं
क्या गिला करे आपसे कोई गिला नहीं.

अपने गम देते मुझे कुछ सूकून तो मिले
कितने बदनसीब है जिन्हें गम नहीं मिले.

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना
सुबह होने को है...माहौल बनाए रखना.

आज खास बात है की आज रात रौशन है
हुश्न खूब रौशन है...उजाला साथ लाया है.

मेरी सांसो की खुशबू तेरे प्यार की प्यासी है
मेरी आंखे तेरे प्यार दीदार की प्यासी है।
ooooo

5.9.09

शिक्षक दिवस 5 सितंबर : मानवतावादी डाक्टर राधाकृष्णन

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान शिक्षाविद महान दार्शनिक महान वक्ता और एक अस्थावान हिंदू विचारक थे. स्वतंत्र भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति थे. डाक्टर राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप मे व्यतीत किए. उनमे एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे .उन्होने अपना जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की इच्छा व्यक्त की थी और हमारे देश मे डाक्टर राधाकृष्णन का जन्म दिन 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप में राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे. उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव दिमाग़ का सदउपयोग किया जाना संभव है.इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए.

एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है .जब देशो की नीतियो का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. शिक्षक दिवस का महत्त्व इस द्रष्टि से अत्यधिक बढ़ जाता है की हम इस दिन अपने गुरुजनों का सम्मान कर स्मरण कर लेते है की उन्ही के आशीर्वाद से हम जीवन में उन्नति और प्रगति कर सकते है. किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो ".

अंत में इस अवसर पर सभी गुरुजनों के चरणों में नमन कर उनका हार्दिक स्मरण कर रहा हूँ की जो भी हूँ या जो भी है वह उनकी असीम कृपा से है.

ॐ तस्मै गुरुवे नमः

1.9.09

चुटकुले हंसी के खजाने से सराबोर

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महाताऊ श्री एक बार निमंत्रण में ताउजी के यहाँ खाना खाने गए . महाताउश्री ने जो खाना खाना शुरू किया तो खाते चले गए और देखते ही देखते २० रोटी खा गए . ताउजी यह सब देखकर हैरत में पड़ गए सोचने लगे यदि इसी तरह से मेहमान महोदय खाना खाते रहे तो मेरा भटरा बैठ जायेगा . यह सोचकर ताउजी खिसिया गए और बोले यार तुम तो खाते ही चले जा रहे हो खाने के दौरान क्या आप पानी वगैरा नहीं लेते ?
ताऊ महाश्री - पीता हूँ मगर आधा खाना खाने के बाद.
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एक साहब ने एक पेटू पंडित को खाना खाने का निमंत्रण दिया था . पंडितजी ने भरपेट खाना खाया और अपनी तौंद पर हाथ फेरते हुए - "बस भर गई है"
साहब ने मलाई की एक प्लेट और पंडित जी के सामने रख दी - पंडित जी ने मलाई की प्लेट भी साफ़ कर दी . वाही पास में खड़े होकर ताउजी यह सब देख रहे थे उनसे रहा न गया बोले - पंडितजी अभी तो आप कह रहे थे की "बस भर गई है" फिर मलाई की प्लेट आपने कैसे साफ़ कर दी .
पंडित जी बोले - जजमान बस तो भर गई थी पर कंडेक्टर की सीट खाली थी .
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एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर से - दस साल से ब्लॉग लिखने के बाद मुझे बाद में पता चला की मुझमे सृजन शीलता की प्रतिभा बिलकुल भी नहीं है .
दूसरा मित्र ब्लॉगर - तो तुमने आखिर ब्लॉग लिखना क्यों बंद कर दिया ?
ब्लॉगर - नहीं ब्लॉग लिखना बंद करने से पहले मै काफी प्रसिद्द हो गया था .....है हे हेए .
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