26.12.09

हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि हमारे कितने हितैषी है ?

हमारे देश की चुने हुए जनप्रतिनिधियो की कितनी बड़ी फौज है . विगत दिनों मंहगाई के मुद्दे पर संसद में मात्र ४७ सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो इस बात को दर्शाता है की हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर गरीबो के कितने हितैषी है . आज के समय निर्वाचित राज नेता सिर्फ दिखावे के लिए गरीबो की झोपड़ी में एक रात बिताते है और दिखाने के लिए उस घर के गरीब सदस्यों के साथ सूखी रोटी खाते है . ये राजनेता यदि गरीबो के बर्तन झांक कर देखे जोकि इस भीषण मंहगाई के कारण खाली दिखेंगे. उन गरीबो के गरीबां में झांककर देखें जो गरीब दिन भर भारी मेहनत कर साठ से अस्सी रुपये मात्र एक दिन में कमाता है वह गरीब अस्सी और रुपये कीमत वाली दाल कैसे खरीद सकता है यदि उसने दाल खरीद भी ली तो उसे और उसके परिवार वालो को सब्जी भाजी खरीदने के लाले पड़ जाते है . इस स्थिति में परिवार का लालन पोषण करना तो छोडिये गरीब खुद का पेट भी पालना मुश्किल हो जाता है . गरीब रहकर जीवित है वे, यही ईश्वर की मेहरबानी है .

इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को शर्म आना चाहिए यदि पूरी संसद इस मुद्दे पर एकजुट हो जाए तो मंहगाई कम हो सकती है . इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को यह नहीं भूलना चाहिए की उन्हें जो खाना कपडे जूते और रहने के लिए जो छाया मिल रही है उन सबके पीछे मेहनतकश गरीब जनता का हाथ होता है . शर्म करो हे चुने हुए नेताओं किसी गरीब के घर एक दिन क्या रहते हो असल में हितैषी हो तो किसी गरीब के झोपड़े में साल भर रहो नहीं तो गरीबो का हितैषी होने का ढोंग रचना छोड़ दो .

23.12.09

टूटे दिल की आस : हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से

मेरी हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से
मेरी हर रात यूं कटती है ओ जानम तेरी याद में.
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जानम कुर्बान हम तेरी प्यारी सूरत देख कर हो गए
तुमसे मोहब्बत करके जानम हम बदनाम हो गए.
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तेरा करते करते इंतज़ार सारी जिन्दगी गुजर गई
आपसे एक अर्ज है आशियाँ इस दिल को बना लो.

18.12.09

जोग - ताउजी और महाताउश्री और डाक्टर झटका के कारनामे

प्रसूतिग्रह के डाक्टरों की सभा चल रही थी . सभा में परिचर्चा का मुख्य विषय था " साहित्य और साहित्यक वातावरण का गर्भिणी पर प्रभाव ".
परिचर्चा में चर्चा करते हुए डाक्टर ताऊ महाश्री ने कहा - साहित्य का तो मैंने प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है एक बार मैंने एक पेसेंट को " दो बेटी " नामक पुस्तक पढ़ने दी बाद में उस महिला को दो लड़कियाँ पैदा हुई .
डाक्टर ताउजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - मै आपकी बातो का समर्थन करता हूँ मैंने भी एक स्त्री को " तीन तिलंगे " नामक पुस्तक पढ़ने दी थी बाद में परिणामस्वरूप उस स्त्री के यहाँ तीन तीन लफंगे उप्रद्रव करने आ टपके .
इसी परिचर्चा के बीच डाक्टर झटका अचानक परिचर्चा छोड़ कर जाने लगे तो डाक्टर ताऊ महाश्री और डाक्टर ताउजी ने पूछा - डाक्टर झटका अचानक आप मीटिंग से क्यों जा रहे है ?
डाक्टर झटका ने उत्तर दिया - ओह बादशाहों मेरी तो मती मारी गई है मेरी बीबी के पाँव भारी है अरे मैं उसे " अलीबाबा चालीस चोर " पुस्तक पढ़ने के लिए देकर आया हूँ .
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एक बार ताउजी एक रेल के डिब्बे में सफ़र कर रहे थे . उस डिब्बे में स्त्रियों की संख्या अधिक थी . आदत के मुताबिक वहां उपस्थित हर महिला अपनी उम्र कम करके बता रही थी .
पचास वर्षीय बिंना ने अपनी उम्र पैतीस वर्ष बतलाई . तो शब्बो जी ने कहा अभी वो पच्चीस की दहलीज पर चल रही है . मैडम झिन्गालैला ने कहा - अभी तो वो बस बीस की ही है . झलकन बाई ने कहा - ये तो सब ठीक है अभी मै सोलह की भी नहीं हुई हूँ.
ताउजी उपरी बर्थ पर लेटे थे और उन स्त्रियों की बातो को बड़े ध्यान से सुन रहे थे . अब उनसे रहा नहीं गया और वे अचानक उपरी बर्थ से नीचे कूद पड़े. नीचे उपस्थित स्त्रियाँ अचकचा गई और ताउजी को डाँटते हुए कहा - अरे तुम कहाँ से आ गए ?
ताउजी ने विनम्र शब्दों में उत्तर दिया - अभी अभी पैदा हुआ हूँ .
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एक बार ताउजी भारत भ्रमण पर निकले और अपने मित्र डाक्टर झटका के साथ मुंबई पहुंचे . ताउजी सर उठाकर एक ऊँची इमारत को देख रहे थे उसी समय वहां एक ठग पहुंचा और ताउजी से बोला - ए क्या देख रहो हो तुम्हे मालूम नहीं है की ये मुंबई है यहाँ हर चीज को देखने के लिए रुपये लगते है .
ताउजी ने कहा - मै उस ईमारत की दूसरी मंजिल देख रहा हूँ . उस ठग ने ताउजी से कहा - अच्छा तो चलो चार रुपये निकालो . ताउजी ने उस ठग को चार रुपये दे दिए . ठग रुपये लेकर चला गया .
ताउजी ने अपने मित्र डाक्टर झटका से कहा - मैंने तो सुना था की मुंबई में बहुत ठग रहते है मगर देखो मैंने उसे कैसे ठग लिया . डाक्टर झटका ने ताऊ जी से पूछा - वो कैसे ?
ताउजी ने उत्तर दिया - असल में मै उस ईमारत की चौथी मंजिल देख रहा था . अगर मै उस व्यक्ति से चौथी मंजिल देखने की बात बताता तो वह आदमी मुझसे आठ रुपये चौथी मंजिल देखने के न ले लेता .
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एक बार ताउजी ने अपने पुलिस अफसर से पूछा - अगर कोई पुलिस वाला अपनी डियूटी अच्छी तरह से नहीं करता है तो आप उसे क्या सजा देते है ?
पुलिस अफसर ने उत्तर दिया - ऐसे पुलिस वालो के हम नाम नोट कर लेते है . जब नगर में कोई कवि सम्मेलन, धरना प्रदर्शन होता है तो ऐसे पुलिस वालो की डियूटी हम वहां लगा देते है .
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एक आदमी कुआ खोद रहा था . काफी गहरा गढ्ढा हो गया था . उस गहरे गढ्ढे में वह आदमी गिर गया . उसने बहुत निकलने की कोशिश की पर निकल नहीं पाया . शाम हो गई अँधेरा हो गया था जोरदार ठण्ड पड़ रही थी . उस आदमी ने जोर जोर से आवाजे लगाना शुरू कर दिया अरे कोई मुझे बचालो.....अरे भाई बचालो ... तभी वहां से डाक्टर झटका निकले - उन्होंने अँधेरे में झांककर देखने की कोशिश की . गढ्ढे के अन्दर से आवाज आ रही थी - खुदा के वास्ते मुझे बाहर निकालो . मै ठण्ड के मारे मरा जा रहा हूँ . डाक्टर झटका ने गढ्ढे में झांककर कहा - ठण्ड तो तुम्हे लगेगी ही भाई . लोग तुम पर मिटटी डालना भूल गए है .

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