2.2.10

माइक्रो पोस्ट : मुम्बई मेरी है

आज दिनभर से टी.वी. में देख रहा हूँ मुम्बई मेरी है ..... मुम्बई हम सबकी है ... मैंने भी भारत देश की धरती पर जन्म लिया है इसीलिए डंके की चोट पर मुम्बई मेरी है .


जय हिंद
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

31.1.10

हंसी पिटारा - अपणे ताउजी का नौकर

अपणे ताउजी का एक नौकर हरयाणवी था बहुत चुस्त चालाक था पर था ताउजी का ऊँचे दर्जे का वफादार था . अपणे ताउजी भी कम फोकस बाज नहीं थे उन्होंने अपणे नौकर को समझा कर रखा था की जब कोई मेहमान घर आये और वो कोई चीज की फ़रमाइस करें तो तुम कुछ बढ़ा चढ़ा कर बताया करो की सामने वाला मेहमान भी हक्का बक्का हो जाए अपनी फोकियत बाजी देखें .



एक दिन ताउजी जी के घर कुछ मेहमान आ गए . ताउजी ने नौकर हरयाणवी से कहा ओ मेहमान आये जरा तूसी कुछ ठंडा शरवत बरवत लाओजी .

नौकर हरयाणवी - हुजूर कौन सा वाला खस का केवड़े का या बादाम का लाऊ

ताउजी - नौकर से बादाम का ले आओ .

शरवत हो गया तो मेहमान ने पानी माँगा .

नौकर हरयाणवी - कौन सा वाला हैण्ड पम्प का कुंए का या ऊपर की टंकी का पानी लाऊ जी .

ताउजी अपणे नौकर से - ए सुण जर पान बान ला

नौकर हरयाणवी - साब कौन सा पान कलकतिया बनारसी या नागपुरी लाऊ .

ताउजी अपणे नौकर से - मेहमान के साथ हीरामन शास्त्री आये हैं उनसे पूछ लो कैसा खायेंगे वे पान .



नौकर हरयाणवी - अरे उनकी चोंच है वे क्या पान खायेंगे. हा हा हा

थोड़ी देर मेहमान घर में रुके और जाने लगे तो ताउजी ने नौकर से कहा - मेहमान जा रहे है इनको कार निकाल कर दे दो .

नौकर हरयाणवी - मालिक कौन सी कार निकाल दूं शेवरलेट, मारुती, इम्पाला निकाल दूँ .

मेहमानों ने नौकर हरयाणवी से मारुती निकालने को कहा और बैठ कर उन्होंने कार स्टार्ट की और बोले पिताजी का फोन आये तो उन्हें खबर कर देना की भेडाघाट गए हैं .

नौकर हरयाणवी मेहमानों से - कौन से वाले पिताजी को जबलपुर वाले देहली वाले या इंदौर वाले को खबर करना हैं .

महेंद्र मिश्र की कलम से.

27.1.10

आरती टंकी माता की....

कल २६ जनवरी को राज भाटिया जी ने टंकी का उदघाटन करवा दिया और ताउजी को ऊपर चढाने के राजी कर लिया हैं . टंकी का उदघाटन तो हो गया तो मैंने सोचा चलो भाई अब टंकी माता की आरती भी कर लेते है . चलिए स्तुति करें टंकी माई की ....

आरती टंकी माता की

ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता
जो ब्लॉगर तुझको ध्यावे मनवांछित फल पाता
तुम हो दयालु माता पानी ही तुझसे ही आता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जिसपे कृपा द्रष्टि हो तुम्हारी त्रिभुवन सुख पाता
जो अशान्त ब्लॉगर तेरी शरण में ऊपर को जाता
उतरते ही वह त्रासदी भुलाकर परमशान्ति पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जो तुम्हारी महिमा ध्यानमग्न हो कर गाता
वही ब्लॉगर सहज में टंकी से छुटकारा पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता


महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.