12.3.10

निरन्तर पर आज दो सौ पचास वी पोस्ट .... कल ब्लागर भाई महफूज अली जी, भाई ललित शर्माजी, अवधिया जी से मुलाकात...

जबसे ब्लागजगत की दहलीज पर मैंने कदम रखा है आलम यह है की लोग मिलते रहे और कारवां बढ़ता गया की तर्ज पर ब्लागरो से मेल मुलाकात बढ़ती गई और यहाँ ब्लॉग पर उंगलियाँ चलती रही और ब्लॉग पर पोस्टे बढ़ती गई और आज स्थिति यह है की आप सभी से मिल रहे निरन्तर प्यार स्नेह और शुभाशीष के फलस्वरूप आज मुझे निरन्तर हिंदी ब्लॉग में दो सौ पचास वी पोस्ट लिखने का अवसर मिला है . हिंदी ब्लॉग समयचक्र के बाद मुझे निरन्तर ब्लॉग बहुत पसंद है . आप सभी ने समय समय पर मेरी हौसलाफजाई की है उससे मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है इस हेतु मै आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूँ आभारी हूँ . विश्वास है कि आप इसी तरह भविष्य में भी स्नेहाशीष बरसाते रहेंगे. इस अवसर पर चंद पंक्तियाँ....

आपके साथ गुजरे हुए लम्हों की याद आने लगी है
वो मेल मुलाकातें यादे कहानी बन दिल में छाने लगी है.

आपके ख़ूबसूरत खतो को मैंने संभाल कर रखा है
जैसे कोई अपने दिल को हिफाजत से रखता है.

आपके हर खतो का लिफाफा संभाल कर रखा है
हर खतो के मजनूनो को दिल में उकेर रखा है.

कल मिसफिट पर गिरीश भाई ने पोस्ट लिखी थी की महफूज भाई न जाने कहाँ लापता हो गए हैं उनकी कोई खबर नहीं है तत्काल मैंने गिरीश जी को टीप लिखी की भाई महफूज जी से मेरी मोबाइल पर बातचीत हुई थी की महफूज जी का ११ मार्च के बाद जबलपुर आने का कार्यक्रम है . आज अचानक गिरीश जी का फोन मिला की महफूज भाई लखनऊ से जबलपुर आ चुके है .


आज करीब सात बजे शाम को महफूज भाई का फोन मिला . उन्होंने बताया की भाई मै जबलपुर आ चुका हूँ . काफी देर तक मोबाइल पर बातचीत होती रही और कल सिटी काफी हाउस में २ बजे मिलने का वादा किया है . साथ ही जानकारी मिली है की रायपुर से भाई ललित शर्माजी और जी.के.अवधिया जी का शहर आगमन हो रहा है . कल हम सब ब्लागर यारो की महफ़िल सिटी काफी हाउस में सजेगी और हम सब आपस में एक दूसरे के विचार और अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे ...

8.3.10

महिला दिवस पर - देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर

आज देश के साथ सारे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है . आज के दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक कराने और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए तरह तरह के आयोजन किये जा रहे हैं . ब्लागजगत में नर नारी अपनी अपनी अहमियत साबित करने में जोड़ तोड़ से जुटे हैं इस परिस्थिति में महिला दिवस पर ब्लॉग में लिखने की बहुत इच्छा थी पर मन में डर समाया था की कहीं कोई पंगे की बात न हो जाए इसीलिए आज सारे दिन मन मसोस कर रह गया फिर भी महिला शक्ति को नमन और प्रणाम करते हुए यह रचना " देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर " प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसकी रचनाकार माया वर्माजी हैं और यह रचना युग निर्माण योजना के सौजन्य से प्रकाशित कर रहा हूँ .


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
युग स्वयं ही बदलता जायेगा
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा

वीर संतान से कोख ख़ाली नहीं
गोद में कौन सी शक्ति पाली नहीं
जनानियाँ शक्ति को साध पाए अगर
शौर्य शिशुओ में बढ़ता चला जायेगा

मूर्ती पुरुषार्थ में है सदाचार की
पूर्ती श्रम से सहज साध्य अधिकार की
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर
पति स्वयं ही बदलता जायेगा

छोड़ दें नारियां यह गलत रूढ़ियाँ
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ
नारियां दुष्प्रथाये मिटाए अगर
दंभ का दम निकालता चला जायेगा

धर्म का वास्तविक रूप हो सामने
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर
ज्ञान का दीप जलाता चला जायेगा

यह धरा स्वर्ग सी फिर संवरने लगे
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे
देवियाँ दिव्य चिंतन जगाएं अगर
हर मनुज देव बनता चला जायेगा.


लेखिका - माया वर्मा
साभार - युग निर्माण योजना के सौजन्य से

4.3.10

जवानी के दिनों की कतरने ...दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ

दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ
इस दिल में उठे तूफानों को चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ.
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शिकायत हमें आप से है की आपने हमें अब तक देखा नहीं
तेरे पैगाम के इंतज़ार में है दिल मेरा पर तूने पैगाम भेजा नहीं.
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दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.
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