जोग है चुटीले.
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शिक्षिका - "दुनिया का आकार कैसा है" ? लल्लू चुप रहा .
शिक्षिका ने उसकी स्मृति को उभारने के विचार से ख़ुद से ही पूछा "गोल" है क्या ?
नही लल्लू बोल उठा .
तो क्या चपटी है ? शिक्षिका ने पूछा
नही उसने फ़िर कहा .
न गोल है और न चपटी है तो पृथ्वी कैसी है ? शिक्षिका ने पूछा
लल्लू ने सरलतापूर्वक जबाब दिया बाबा कहते है कि दुनिया बड़ी टेढी है.
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पुत्र - माँ मै भी तालाब में कूद कर तैरने लगू ?
माँ - नही बेटे तुम डूब जाओगे .
पुत्र - पिताजी तो दो घंटे से तैर रहे है .
माँ - बेटा उनका तो बीमा हो चुका है .
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शादी के मंडप में दुलहन का हाथ दुल्हे को पंडित जी थमा रहे थे यह सब एक
बालक बड़े गौर से देख रहा था उसने अपने पिता से पूछा कि पिताजी दुलहन
दुल्हे क्यो हाथ मिला रहे है .
पिता ने उत्तर दिया - बेटा जब दो पहलवान जब अखाडे में उतरते है तो आपस में
हाथ मिलाते है .
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एक बार भगवानदास अपने मित्र किशोरीलाल से कहता कि जब मै अपने दादाजी
की तलवार देखता हूँ तो ऐसा लगने लगता है कि मै अपने दादाजी की तलवार
लेकर लडाई के मैदान में जाऊं .
किशोरीलाल - फ़िर तलवार लेकर लड़ाई के मैदान में जाते क्यो नही हो और फौज
में शामिल क्यो नही हो जाते हो ?
भगवानदास - दरअसल मुझे अपने दादाजी की कटी टांग याद आ जाती है .
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2 टिप्पणियां:
महेन्दर जी मजा आ गया , बहुत सुन्दर, धन्यवाद
सही कहा सर आपने, झारखंड के हालत बहुत बुरे हैं पहले मुंडा ने निचोडा और अब कोडा फटकार रहे है. सिबू सोरेन न आए रो बेहतर वरना उनकी घूस राजनीति से तो सब परिचित है. ये गुरूजी झारखंड का बंटाधार कर देंगे.
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