1.9.08

माँ नर्मदा प्रसंग : शूलपाणी झाड़ी

शूलपाणी की झाड़ी राजघाट (बड़वानी) नामक स्थान से शुरू होती है . इस झाड़ी में नर्मदा भक्त भीलो का राज है . उस क्षेत्र से जो भी परिक्रमावासी निकलते है उनका भील सब कुछ छुडा लेते है और परिक्रमावासी के पास सिर्फ़ पहिनने के लिए लगोटी बचती है . परिक्रमावासी की वहां पर परीक्षा की घड़ी होती है . उस दौरान परिक्रमावासी को अपना धैर्य बनाये रखना चाहिए और सदा की भाति प्रेम से नर्मदा भजन करते रहे . माँ नर्मदा संकट के समय सहारा देती है .
जो परिक्रमावासी का सब कुछ छुडा लेते है और उन्ही से अपने भोजन आदि की व्यवस्था करने का निवेदन करे वो ही नर्मदा भक्त भील आपको खाना और दाना देंगे . आप अपने मन को दुखी न करे और प्रसन्न रहे . ये शरीर नाशवान है जिसका कभी भी अंत नही होता है .
कहा जाता है कि उन झाडियो में श्रीशूलपाणेश्वर भगवान ज्योतिलिंग है उनके दर्शन के लिए भूखे प्यासे रहकर कठोर दुखो को सहनकर प्रेम से झाड़ी के आदि में उनका मन्दिर है......के दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाये . परिक्रमावासियो से अनुरोध है कि वे शूलपाणी की प्रसिद्द झाडियो में अवश्य जाए और दर्शन लाभ प्राप्त करे.

बोलो शूलपाणेश्वर भगवान की जय .

दक्षिण तट - झाड़ी राजघाट बड़वानी से प्रारम्भ होकर शूलपाणेश्वर मन्दिर में समाप्त होती है .
उत्तर तट - गुरुपाणेश्वर से प्रारम्भ होकर कुक्षी चिखलदा पर समाप्त होती है .
दोनों तट की लम्बाई १६० मील है .

रिमार्क - जिन परिक्रमावासियो को अपने समान से लगाव है वो दक्षिण तट राजघाट से तीन किलोमीटर दूर भीलखेडी गाँव में पटेल साहब जो प्राचीन भील राजा के वंशज है उनके पास जमा करा दे और वापिसी के पश्चात प्रमाण देकर अपना सामान वापिस पा सकते है . यदि परिक्रमावासी उस स्थान पर नही जाते है तो उनकी नर्मदा परिक्रमा अधूरी मानी जाती है .
बोलो शूलपाणेश्वर भगवान की जय .

7 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

महेन्दर जी , धन्यवाद एक अच्छी जानी कारी देने के लिये, लेकिन मे वहाम नही जाने वाला.

Asha Joglekar ने कहा…

WAHAN TO HUM BHEE NAHI JANEWALE.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

शूलपाणेश्वर भगवान का आपने इतना सुन्दर चित्रण किया है
की मन वहाँ जाने को मचल उठा है पर आगे की कथा सुन
कर हिम्मत जवाब दे रही है ! कोई आसान सा तरिका
बताइये जिससे आपके पाठक भी भगवान के प्राचीन स्थान
का दर्शन लाभ ले सके ! धन्यवाद !

seema gupta ने कहा…

" very interesting article to read, it seems to very difficult to reach the place, but still feeling good to know about it"
Regards

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

भाई जी, हमने तो यहीं मजा ले लिया..
सुंदर वर्णन.

Unknown ने कहा…

I Wish to perform circumambulation through shulpaneshwar forest.can you provide more information about the villages in zadi.

Narendra Joshi

Unknown ने कहा…

I have planned PARIKRAMA through Sfulpaneshwar forest,kindly provide more information about villages & distances etc
narendra43@gmail.com