4.9.08

माँ नर्मदा प्रसंग : श्री नंदिकेश्वर तीर्थ की कहानी

कणिका नाम की नगरी में एक ब्रामण रहता था जो वृध्धावस्था में अपने घर की जिम्मेदारी अपने पुत्र सम्वाद को सौप कर काशी चला गया और कुछ समय के पश्चात उसकी मृत्यु हो गई . थोड़े समय के बाद उसकी माँ बीमार हो गई . मृत्यु के पूर्व उसकी माँ ने अपने पुत्र संवाद से अनुरोध किया कि मृत्यु के उपरांत मेरी अस्थियाँ काशी ले जाकर गंगा में विसर्जित कर देना . अपनी माँ की अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिए संवाद अपनी माँ की अस्थियाँ काशी ले गया और वहां वह एक पंडा के घर रुक गया . पंडा जी ने उसे गौशाला में ठहराया .

पंडा जी गाय का दूध दुह रहे थे . गाय का बछडा दूध पीने को आतुर हो रहा था . बछडा जोर से रस्सी खींचकर गाय का दूध पीने लगा इसी खीचातानी में पंडा के हाथ का दूध गिर गया और सब जगह फ़ैल गया और पंडा के पैरो में भी चोट आ गई और क्रोध में उन्होंने बछडे की खूब पिटाई की और वहां से बडबड़ा कर चल दिए . बछडे की पिटाई होती देख गाय से रहा नही गया वह जोर जोर से रोने लगी . गाय बछडे देते हुए बोली की तेरी पिटाई का बदला मै पंडा जी की पिटाई कर लूंगी .

बछडे ने अपनी माँ को समझाते हुए कहा कि माँ मेरे लिए आप बदले में पंडा को न मारे और ब्रम्ह हत्या जैसा जधन्य अपराध न करे . अपना जीवन और ख़राब और हो जावेगा . पंडा जी अपने स्वामी है आज उन्होंने मुझे मारा है कल वे मुझे प्यार भी करेंगे . हे माँ आप उन्हें क्षमा कर दें . गाय ने कहा तू ब्रम्ह हत्या कि चिता न कर माँ नर्मदा का एक तीर्थ नंदिकेश्वर ऐसा है जहाँ स्नान ध्यान आदि करने से ब्रम्ह हत्या जैसे पापो से मुक्ति मिल जाती है यह सब सुनकर बछडा चुपचाप हो गया .

शाम को जैसे ही पंडा जी गौशाला में दाखिल हुए उसी समय गाय ने रस्सी तोड़कर अपने पीने सींगो से पंडा जी पर आक्रमण कर दिया और पंडा को मार डाला और तुंरत वह काशी से नंदिकेश्वर मन्दिर की ओर भागी . यह सब सम्वाद देख सुन रहा था वह भी गाय के पीछे पीछे भागा . कुछ दिन बाद गाय ने नंदिकेश्वर तीर्थ पहुंचकर उसमे डुबकी लगाई . सबके देखते ही देखते ही उसका श्याम वर्ण शरीर पहले की तरह सफ़ेद हो गया . सम्वाद ने नंदिकेश्वर तीर्थ का महत्त्व देखकर जानकर नंदिकेश्वर तीर्थ को नतमस्तक होकर प्रणाम किया ओर जोर जोर से नंदिकेश्वर तीर्थ के जय के नारे लगाये .

हर हर महादेव नर्मदे हर

3 टिप्‍पणियां:

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Mahendraji, ek jaankaripoorn katha batane ke liye dhanywad. Sach men yah kivdanti to pata hi nahi thi.

राज भाटिय़ा ने कहा…

महेन्दर जी, क्या ऎसा हे ?
धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत आभार . बेहतरीन प्रस्तुति रही.