मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.
यार बहुत बेहतर तन्हा दिल है.. मेरा
नाशाद हो जाएगा प्यार में दिल..मेरा.
मै मर जाऊंगा अपनी निगाहें न फेरो
किधर जायेंगे गर तुम साथ छोड़ दोगे.
तेरी जुल्फों का साया रहे मेरे चेहरे पर
गर जिंदगी मेरी फ़िर से संवर जायेगी.
गर किनारा न मिले भटकती कश्ती को
सब कुछ मिला पर तेरा साथ नही मिला.
मेरे कदम अब शोहरत की बुलंदी पर है
पर मेरी बांहों को तेरा सहारा न मिला.
तुम हमेशा खुश नसीब रहो दुआ है मेरी
यार जी लूँगा मै हंसकर तेरी जुदाई में.
तेरे चेहरे पर मेरी झलक कोई न देख ले
कसम है तेरे अश्को को शंकर बन पी लूँगा.
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10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
तुम हमेशा खुश नसीब रहो दुआ है मेरी
यार जी लूँगा मै हंसकर तेरी जुदाई में.
मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.
बहुत सही कहा आपने ! धन्यवाद !
मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.
यार बहुत बेहतर तन्हा दिल है.. मेरा
नाशाद हो जाएगा प्यार में दिल..मेरा.
आपने बहुत सही कहा
bahut sundar.
बहुत ही सुन्दर,
धन्यवाद
Bahut badiya.
मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.
बहुत ही सुन्दर,
घनश्याम चौरसिया बादल ने कहा
"खदानों के पत्थर जो अनुमानतें हैं
मेरे घर की बुनियादें वो जानतें है "
बधाइयां
बेहतरीन!!! लगे रहिये पंडित जी.
नई कविता के नज़रिए से बढ़िया रचना है. और कहते चलें.
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