20.10.08

तेरी सूरत में जो नशा है वह नशा जाम में नही.

मेरी जुबान से पूछ लो या चाँद से तुम पूछ लो
किस्सा अपना मेरा हर तरफ़ जहाँ से पूछ लो.

बिगड़ी हुई तदवीर से अपनी फ़िर तकदीर बना ले
एक दांव तू भी लगा ले गर अपनों पर भरोसा है.

तेरे जिस्म की खुशबू में मेरा हर लब्ज ढला है
तेरे जिस्म से हर रंग उजला निखरा निकला है.

मोहब्बत करने की उनको रियायत बहुत ही खूब थी
अहसास नही हुआ कि दिल उन्होंने मेरा चुराया था.

तेरी सूरत में जो नशा है वह नशा जाम में नही
मेरे दिल में जो प्यार है इस सारे जहाँ में नही .

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6 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

तेरी सूरत में जो नशा है वह नशा जाम में नही
मेरे दिल में जो प्यार है इस सारे जहाँ में नही .
बहुत सुन्दर सभी शेर
धन्यवाद

Girish Kumar Billore ने कहा…

WAH

Udan Tashtari ने कहा…

तेरी सूरत में जो नशा है वह नशा जाम में नही
मेरे दिल में जो प्यार है इस सारे जहाँ में नही .


-बहुत बढ़िया,,, बदले बदले से मेरे सरकार नजर आते हैं. :)

seema gupta ने कहा…

तेरी सूरत में जो नशा है वह नशा जाम में नही
मेरे दिल में जो प्यार है इस सारे जहाँ में नही .
"wah , jvab nahee.."

Regards

रंजना ने कहा…

बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं.

Vinay ने कहा…

सुंदर पंक्तियाँ... और क्या कहूँ!