हर मोड़ पर खुशी मिले जरुरी नही है
हंसके उठाते रहिये गम भी लाजिम है
यहाँ हर शख्स दोस्त नही हुआ करता
रस्मे दुनिया है यारा हाथ मिलाते रहिये
अंधेरे में जलते चिरागों को न बुझाओ
आग इस महकते चमन में न लगाओ
आज हर शख्स के...अजब से हाल है
शाद होकर भी हाले दिल हाल बेहाल है
उनके ओठों पर एक झूठी मुस्कान सी है
गमो के निशान ..उनके चेहरों पर भी है
गर तुम्हे चलना नही आता है राहेवफा पे
तो कांटे न बिछाओ तुम औरो की राह पे
तुझे रुसवा न करेंगे अपने अल्फाजो से हम
मरकर न करेंगे तेरी बेवफाई का जिक्र हम
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7 टिप्पणियां:
आज हर शख्स के...अजब से हाल है
शाद होकर भी हाले दिल हाल बेहाल है
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बहुत सामयिक हैं पंक्तियां, जी।
बहुत खुब, एक से बढ कर एक शेर.
धन्यवाद
गर तुम्हे चलना नही आता है राहेवफा पे
तो कांटे न बिछाओ तुम औरो की राह पे
... बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।
देश को इस वक्त हंसकर दुनिया के सितम उठाने वाले अल्फ़ाज़ों की नहीं वीर रस की ज़रुरत है , ताकि लोगों की नीम बेहोशी टूटे । उम्मीद है आप अपनी प्रतिभा का उपयोग इस दिशा में भी करेंगे ।
आज हर शख्स के...अजब से हाल है
शाद होकर भी हाले दिल हाल बेहाल है
बहुत सटीक रचना!
गर तुम्हे चलना नही आता है राहेवफा पे
तो कांटे न बिछाओ तुम औरो की राह पे
' i liked these two lines most"
Regards
सुंदर भावपूर्ण bhavabhivyakti है.
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